"जिस वाकये के बारे में आप बात कर रही हो, वो साल 2011 का है। 9 साल पहले का - जब केंद्र और असम दोनों में कॉन्ग्रेस सरकार थी। मगर उस समय आप चुप रहीं। अब अपना पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा साधने के लिए बच्चे की मौत से जुड़े मामले को 9 साल बाद इस्तेमाल कर..."
सीएए विरोध के नाम पर बच्चे उकसाए जा रहे हैं। उनसे आजादी के नारे लगवाए जा रहे। कट्टरपंथी उनका ब्रेनवॉश कर रहे हैं। बावजूद इसके बच्चों के अधिकार का हवाला दे मीडिया गिरोह इनकी करतूतों का समर्थन कर रहा है।
मोदी-विरोध में डूबे कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य को आईना दिखाया है अमोल ने। CAA-NRC से लेकर तान्हाजी Vs छपाक और गोडसे-गाँधी से लेकर केजरीवाल-JNU तक - कार्टूनिस्ट सतीश के प्रोपेगेंडा को कार्टून से ही जवाब दिया है अमोल ने।
अब जो लोग खुद को मोहम्मद साहब का अनुयायी कहते हैं और उनके किरदार में इतना छिछोरापन नजर आए कि देश के दो पत्रकार आपके दरवाजे पर खड़े हों और आप दरवाजा बंद कर दें। ऐसे में दरवाजा बंद करने वाले किस मुँह से खुद को मुसलमान कहलाने का दावा पेश करेंगे?
शांतनु का कहना है कि यह केवल उनका और राघव का पक्ष सुनने की बात नहीं थी। बात उनके साथ हुए बर्ताव की है। जब लोग उन्हें पकड़ने की बात कर रहे थे, गुस्से से आगे बढ़ रहे थे, तब इंडिया टुडे ने भीड़ को सँभालने के लिए कुछ नहीं किया।
उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले, यह अफ़वाह थी कि रोहिणी सिंह को समाजवादी पार्टी द्वारा 2BHK अपार्टमेंट प्राप्त हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि दीपक चौरसिया ने जो बात कही, उसमें रोहिणी सिंह को 2BHK नहीं बल्कि 3BHK अपार्टमेंट मिलने का आरोप लगाया। यह दावा कितना सच है, इसे सिर्फ चौरसिया ही...
जो गोरखनाथ मंदिर को लेकर झूठ फैलाती है। जो आज़म ख़ान के महिलाविरोधी बयान का बचाव करती है। जो 'जय श्री राम' से नफरत करती है और 'ला इलाहा' का महिमामंडन करती है। जो हलाला का विरोध करने वालों से लड़ाई करती है। वो 'द वायर' की आरफा खानम शेरवानी है।
कौन हैं वो 'मसीहा पत्रकार', जिनकी पूर्ववर्ती सरकारों में अच्छी-ख़ासी मौज रहती थी? मोदी के आने से उन्हें दिक्कत क्यों हुई? 'इंडिया टीवी' के न्यूज़ एंकर सुशांत सिन्हा से समझिए कि अवार्ड-वापसी और 'लिंचिंग' की कैसे रची गई पूरी साज़िश। लुटियंस गैंग की तिलमिलाहट का पोस्टमॉर्टम।
वामपंथी पत्रकार रोहिणी सिंह ने पत्रकार दीपक चौरसिया को लगभग लताड़ लगाते हुए कहा कि शाहीन बाग में मुस्लिम महिलाएँ विरोध-प्रदर्शन कर रही थीं और आप (दीपक चौरसिया) वहाँ अपनी आवाज़ बुलंद करने गए थे!
"मुझे एक ही बात पता चल रही है और वो ये कि तुम अभी सिर्फ़ अपने कैमरे के सामने कंट्रोवर्सी चाहते हो। ऐसा मत करो। ये हमारे देश का सवाल है। ये सिर्फ़ 'माइनॉरिटी प्रॉसिक्यूशन' नहीं बल्कि 'रिलीजियस माइनॉरिटी प्रॉसिक्यूशन' के लिए है।"