Monday, October 14, 2024
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शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने लेखक और वकील से की बदसलूकी, राहुल कँवल ने कैमरा घुमा लिया

ऑपइंडिया से बात करते हुए राघव ने इंडिया टुडे को सलाह दी कि उन्हें कुछ पेशेवर रवैया दिखाना चाहिए और अपने पैनलिस्टों की इस तरह शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों द्वारा लिंच होने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए।

इंडिया टुडे के पत्रकार राहुल कँवल ने 29 जनवरी को अपना प्राइम टाइम शाहीन बाग से किया। राहुल ने पहले घूम-घूम कर प्रदर्शनकारियों से बात की और फिर शो के लिए बुलाए गए अतिथियों की साउंडबाइट ली। प्राइम टाइम में बतौर गेस्ट कथित पत्रकार सबा नकवी, वरिष्ठ पत्रकार जावेद मंसारी, पॉलिटिकल एनॉलिस्ट मनीषा परियम, वकील राघव अवस्थी और लेखक शांतनु गुप्ता शामिल थे।

चूँकि, राहुल कँवल लगातार प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रहे थे, तो वहाँ हर कोई उनसे बड़ी तहजीब से बात कर रहा था। लेकिन जब वकील राघव अवस्थी और लेखक शांतनु गुप्ता ने बोलना शुरू किया तो कुछ प्रदर्शनकारी उन पर चढ़ गए और उन्हें बोलने से रोकने लगे।

प्रदर्शनकारियों के बर्ताव से भी ज्यादा शर्मनाक बात यह थी कि राहुल कँवल ने इस दौरान अपने गेस्ट के बात सुनने से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की ओर माइक कर दिया। शांतनु गुप्ता और राघव अवस्थी को बोलने का मौका भी नहीं दिया।

29 जनवरी को हुए इस प्राइम टाइम में 15.45 सेकेंड के लेकर 18 मिनट तक के स्लॉट के बीच राहुल कँवल की इस हरकत को स्पष्ट देखा जा सकता है। हम देख सकते हैं कि किस तरह जब मनीषा परियम, सबा नकवी का पक्ष जानने के बाद राघव के बोलने का चांस आया, तो उन्होंने वहाँ प्रदर्शन पर बैठी सभी महिलाओं की सराहना की और कहा कि प्रदर्शनकारियों को शरजील जैसे लोगों को इस प्लोटफॉर्म का गलत इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए। यहाँ उन्होंने ये भी बताने की कोशिश की सीएए का भारतीय नागरिकों से लेना-देना नहीं है।

हालाँकि, राघव ने कैमरे पर कोई आपत्तिजनक बात नहीं कही थी। लेकिन, वीडियो को गौर से देखें तो पता चलेगा कि जैसे ही उन्होंने शरजील का नाम लिया भीड़ बदसलूकी पर उतर आई। उन्हें पीछे धकेल दिया गया और कई लोग जोर-जोर से नारे लगाने लगे। इसके बाद शांतनु गुप्ता ने वहाँ आकर उनकी बात को समझाने की कोशिश की। लेकिन राहुल कँवल तो प्रदर्शनकारियों की ओर माइक घुमा चुके थे।

राघव के अनुसार इस घटना के बाद वहाँ मौजूद लोग एक-दूसरे को उनकी पहचान करवाने लगे कि ये लंबे बाल वाला वही शख्स है जिसने शरजील का नाम लिया। उनके मुताबिक शांतनु के बीच में आने के कारण उन्हें भी वहाँ मौजूद लोग कहने लगे कि ये आदमी भी उस लंबे बाल वालों के साथ था।

राघव के मुताबिक, वहाँ कई प्रदर्शनकारियों ने उनकी ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्होंने शरजील का नाम लिया, इसलिए उन्हें पकड़ लेना चाहिए। इसके बाद राघव और शांतनु दोनों को धक्का देकर वहाँ से चले जाने को कहा गया। लेकिन राघव ने जाने से मना कर दिया। उन्हें और शांतनु दोनों को डर था कि अगर वो अकेले गए, तो पता नहीं उनके साथ क्या होगा। उन्हें आशंका थी कि प्रदर्शनकारी नुकसान पहुँचा सकते हैं।

राघव बताते हैं कि इस घटना के दौरान, वरिष्ठ पत्रकार जावेद मंसारी ने भी प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की थी कि आखिर वो क्या कहना चाह रहे हैं। लेकिन उनकी बात भी शायद किसी ने नहीं सुनी। बाद में दोनों पैनलिस्टों को स्टेज के पीछे से उतारा गया। इस दौरान पुलिस ने उनकी सुरक्षा के लिए बैरिकेड्स लगाए हुए थे।

अब, सोचिए एक लेखक और वकील के लिए वह स्थिति कितनी भयावह हो गई। वो भी तब जब वो एक मीडिया समूह के साथ थे। लेकिन, राहुल कँवल को देखकर लगता है कि उनका इन सबसे क्या लेना-देना। वो तो अपना एजेंडा साधने गए थे। अब प्रदर्शनकारी उनके पैनलिस्टों के साथ कुछ भी करें।

शर्म की बात है कि इतना सब होने के बावजूद उन्होंने अपने ट्विटर पर इस घटना का जिक्र तक नहीं किया। उन्होंने सिर्फ़ शाहीन बाग की महिलाओं से बातचीत के बारे में अपने फॉलोवर्स को बताया। इसे देख राघव अवस्थी आहत हो गए और उन्हें जवाब दिया कि अगर वे उक्त घटना के बारे में भी ट्वीट करते तो कितना अच्छा होता।

राहुल कँवल के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए राघव ने राहुल से कहा कि को अपने शो में आए अतिथियों की सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए था और कैमरा घुमाकर उन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए था।

राघव के अलावा शांतनु ने भी इस घटना का जिक्र करते हुए ट्वीट किया और सबा नकवी समेत जावेद मंसारी को डिबेट के बीच में आकर उनकी मदद करने के लिए धन्यवाद दिया।

लेकिन, इतने के बावजूद भी इंडिया टुडे के पत्रकार राहुल कँवल ने दोनों पैनलिस्टों की शिकायत पर सफाई देने की बजाए या उनकी स्थिति के लिए माफी माँगने की जगह, उनकी प्रतिक्रिया को terrible कह दिया। बाद में कई लोगों ने इंडिया टुडे की वीडियो से क्लिप काटकर उसे शेयर किया।

बाद में शांतनु ने उनके ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि ये उनके और राघव का सिर्फ़ पक्ष सुनने की बात नहीं थी। बल्कि वहाँ उनके साथ हुए बर्ताव की बात थी। शांतनु ने शिकायत की कि जब लोग उन्हें पहचानकर पकड़ने की बात कर रहे थे, गुस्से से आगे बढ़ रहे थे, तब आखिर क्यों इंडिया टुडे का कोई शख्स भीड़ को सँभालने नहीं आया।

ऑपइंडिया से बात करते हुए राघव ने इंडिया टुडे को सलाह दी कि उन्हें कुछ पेशेवर रवैया दिखाना चाहिए और अपने पैनलिस्टों की इस तरह शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों द्वारा लिंच होने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए।

राघव ने बताया कि वे जब जर्मनी में थे तब उन्हें White Supremacist rally में शामिल होने की बहुत इच्छा थी। लेकिन जब वहाँ की रैली ने चिल्लाना शुरू किया कि ये हमारी जमीन है, तब बतौर brown man उन्हें असहज महसूस हुआ था, बिलकुल वैसे ही जैसे शाहीन बाग में हुआ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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