आग की लपटें करीबन ढाई घंटे तक प्रतिमा के पास जलती रहीं। इस दौरान धीरे-धीरे माँ पर चढ़ाई जाने वाली चुनर और धागे सब भस्म हो गए। माँ की प्रतिमा वैसी की वैसी रही।
वीडियो में बताया गया है कि कैसे देशवासियों की सोच बदली तो सिनेमा भी बदला, डॉन-माफिया का पहरा अब नहीं रहा और भयमुक्त होकर राष्ट्रवादी फ़िल्में बन रही हैं।