वे पर्दे के पीछे से साजिश रचेंगे और डराने के लिए खून भी बहाएँगे। वे चाहेंगे कि माहौल बिगड़े ताकि मंदिर निर्माण टलता रहे। वे नक्शे को फाड़ेंगे, क्योंकि वे जानते हैं कि जिस दिन हिंदू जगेगा उनका इतिहास हर गली-नुक्कड़ पर फाड़ा जाएगा।
"सत्तर सालों से अयोध्या विवाद की वजह से बस राजनीति हो रही है और मुझे उम्मीद है कि अब शहर में कुछ विकास होगा"। आज उनके बेटे इकबाल अंसारी ने कहा कि वह अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए वचनबद्ध हैं।
वर्तिका सिंह ने कोर्ट में दी याचिका में इकबाल अंसारी पर मारपीट का आरोप लगाया था। साथ ही इकबाल अंसारी समेत 5 के खिलाफ देशद्रोह और कई अन्य मामलों को लेकर यह याचिका दायर की थी।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को केवल इस बात का सबूत चाहिए कि अयोध्या के किस खास जगह पर राम का जन्म हुआ था। वरना इकबाल के इमाम-ए-हिंद को वे भी याद करते हैं। कृपानिधान तो वाजिद अली शाह के भी राम ही थे। लेकिन, किसी ने न लिखा, न गाया। राम किस प्लॉट में पैदा हुए थे?
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज वर्तिका सिंह ने धारा 156/3 के तहत मामला दर्ज करवाया था, जिसमें इकबाल अंसारी पर देशद्रोह और कई अन्य मामलों में केस दर्ज करने की माँग हुई थी।
मुस्लिम पक्षकार ने ‘जन्मस्थान’ की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जन्मस्थान 'ज्यूरिस्ट पर्सन' नहीं हो सकता। राजीव धवन ने कहा कि जब जमीन ही देवता हो गई, तो फिर किसी और का दावा ही नहीं बन सकता, इसलिए जन्मस्थान को पार्टी बनाया गया है।
उद्धव ठाकरे ने कहा है कि कोर्ट का निर्णय कुछ भी आए लेकिन जिस तरह से कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला केंद्र सरकार के किया, उसे उसी हिम्मत से राम मंदिर का निर्माण भी शुरू करवाना चाहिए।
कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि जन्मस्थान के लिए अदालत में याचिका दाखिल नहीं हो सकती। जन्मस्थान कोई कानूनी व्यक्ति नहीं है। उन्होंने प्रार्थना को एक वैदिक अभ्यास बताते हुए कहा कि अगर कल को चीन मानसरोवर में जाने से रोक देता है, तो क्या कोई पूजा के अधिकार का दावा कर सकता है?
सुनवाई के दौरान जजों ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा कि क्या आपके पास इस बात को कोई सबूत हैं जिससे आप साबित कर सके कि राम जन्मभूमि की जमीन पर आपका कब्जा है? इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें उनके कागजात खो गए। इसके बाद जजों ने निर्मोही अखाड़ा से अन्य सबूत पेश करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह आवश्यक है कि CBI जज एसके यादव इस मामले की सुनवाई पूरी कर फ़ैसला सुनाएँ। कोर्ट ने यहाँ तक कहा कि हम अनुच्छेद-142 के तहत आदेश जारी करेंगे कि उन्हें 30 सितंबर तक रिटायर न किया जाए।