खुद शर्मिंदा होने के बहाने समाज को शर्मिंदा होने के लिए ललकारना। अपराध की बात करते हुए नक्सली को डिफेंड करोगे तो समाज तुम्हारे ऊपर चढ़ जाएगा और तुम्हें सच में शर्मिंदा करके छोड़ेगा।
क्या ज़माना आ गया है। चुनाव के मौसम में छापे मारने पर समोसे और जलेबियाँ बरामद हो रही हैं! जब ज़माना अच्छा था और सब ख़ुशी से जीवनयापन करते थे तब चुनावी मौसम में पड़ने वाले छापे में शराब जैसे चुनावी पेय पदार्थ बरामद होते थे।