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Satire
NDTV से रवीश कुमार का इस्तीफा, जहाँ जा रहे… वहाँ चलेगा फॉर्च्यून कड़ुआ तेल का विज्ञापन
रवीश कुमार NDTV से इस्तीफा दे चुके हैं। सोर्स बता रहे हैं कि देने वाले हैं। मैं मीडिया में हूँ, मुझे सोर्स से भी ज्यादा भीतर तक की खबर है।
रावण के थे दो ‘वानर’- एक शुक, दूजा सारण: श्रीराम की सेना में घुस गए, कौन से राज़ पता लगाने थे?
AAP के मनीष सिसोदिया और संजय सिंह राम मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या गए। इस घटना का रामायण वाले 'शुक और सारण' से कोई लेनादेना नहीं है। या... है?
तालिबान की सरकार में न भीम, न ब्राह्मण: बबुआ के साइकिल पर बैठ काबुल निकली बुआ, हाथ में त्रिशूल-साथ में रावण!
तालिबान ने आखिर साबित कर दिया है कि 56 इंच के सीने से कुछ नहीं होता, एके-56 हाथ में हो तो बहुत कुछ हो जाता है।
हजरतबल में चिदंबरम के बेटे ने हरी टोपी में पढ़ी जुमे की नमाज, प्रोफेसर हकुद्दीन शेख कर रहे ‘लुंगी-खतना’ का इशारा
कार्ति चिदंबरम पहुँचते हैं हजरतबल। शुक्रवार के दिन नमाज पढ़ते हैं। हरी टोपी पहन कर। सोचा होगा मुसलमान मान लिए जाएँगे लेकिन ऐसे कैसे!
…न भाला है, यह गेहुअन करइत काला है: लंबे-नुकीले ‘मैस्कुलिन पैट्रिआर्कि’ पर यूँ बिफरा लिबरल गिरोह विशेष
'भाला फेंक' में स्वर्ण पदक मिलने पर कुछ सेक्युलर ब्रिगेड के पत्रकारों की टिप्पणियाँ हमारे पास आ गई हैं, जिन्हें हम आपके साथ साझा करना चाहेंगे।
786 फीट तकिया फेंका, देश के लिए लाया पहला ओलंपिक गोल्ड: वो GK जिसे इतिहासकारों ने छिपाया
भारत गोल्ड जीत चुका था। बात प्रेस में दबाने के लिए चाहने वाली बिलायती महिला को सेट किया। चाहने वाली पावरफुल थी। उन्होंने प्रेस को सेट किया।
बाढ़ का बुलेटिन पढ़ता हूँ… बिहार को डूबोने वाली नदियों को, पानी को हजार लानतें भेजता हूँ
अजीत झा -
आज बात बिहार की। वहाँ के बाढ़ की... लानतों की हकदार वे नदियाँ हैं जो उफनती हैं। वह पानी है जो खेत-खलिहान से लेकर घर-द्वार में घुसती है।
लिबरलों की नज़र में आज-कल, दिन भी अँधेरी रात है… क्योंकि मोदी ने छीने सामूहिक शर्मिंदगी के वे दिन
खुद शर्मिंदा होने के बहाने समाज को शर्मिंदा होने के लिए ललकारना। अपराध की बात करते हुए नक्सली को डिफेंड करोगे तो समाज तुम्हारे ऊपर चढ़ जाएगा और तुम्हें सच में शर्मिंदा करके छोड़ेगा।
कहानी उस गोले की जहाँ है तुगलक प्रदेश, जहाँ के शहंशाह हैं सर जी!
अजीत झा -
मुस्कुराइए क्योंकि कहानी इस गोले की नहीं है। उस गोले की है जहाँ तुगलक प्रदेश है। जिस प्रदेश में खुशहाली का ओवरडोज है।
उद्घाटन की लिस्ट जारी, कौन करेगा, क्या-क्या करेगा… सब क्लियर: मुख्यमंत्री-विधायक सबकी बल्ले-बल्ले
"जबसे कोरोना आया है, तब से नए काम हो नहीं रहे हैं। किसी पोस्टर पर अपना चेहरा देखे आठ महीने हो गए। उद्घाटनों की संख्या ड्रास्टिकली गिर गई है।"