सलीम शाम को बंद होती दुकानों पर नज़र रखता था। जो दुकानदार दिन भर की कमाई अपने साथ लेकर जाने वाला होता था, दुकान बंद करते वक़्त सलीम किसी बहाने से उसका ध्यान भटकाता और उसका बैग लेकर रफू-चक्कर हो जाता। कभी-कभी तो वह पैसों वाला बैग उठाकर उसकी जगह वैसा ही एक डुप्लीकेट बैग छोड़ जाता था। सलीम की इस चाल से...
बंगाल में घुसपैठियों और शरणार्थियों की अधिकांश बस्तियाँ उन जगहों पर बसी हुई हैं जोकि राज्य सरकार की हैं। मगर यहाँ बसने वाले लोग दरअसल मूल रूप से भारतीय नहीं हैं इसीलिए उन्हें अक्सर विरोध का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीणों ने जब बबलू और प्रकाश को एक गाड़ी में पशुओं को ले जाते देखा तो उन्हें शक हुआ और उन्होंने गाड़ी रुकवाकर दोनों से पूछताछ की। जब दोनों के जवाब से वहाँ मौजूद लोग संतुष्ट नहीं हुए तो पहले उनकी गाड़ी में आग लगाई गई, फिर उन्हें इतना मारा गया कि...
"माता-पिता को पहले कई बार चेतावनी दी गई थी जब बच्चे ऐसे कपड़े पहन रहे थे, जो हमारे ड्रेस कोड में नहीं है। कुछ स्टूडेंट्स ने लेगिंग्स पहनी हुई थी। हमारे स्कूल में एक ड्रेस कोड है और कुछ स्टूडेंट्स ने ऐसे कपड़े पहने जो स्कूल ड्रेस कोड का उल्लंघन करते हैं।"
48 वर्षीय छबर के शेख पाँच दिन पहले कूच बिहार में काम करने गए थे, लेकिन उसके बाद से घर वापस नहीं लौटे। घर न लौटने पर परिजनों ने उनकी तलाश शुरू की। काफ़ी ढूँढ़ने के बाद जब उनका कुछ नहीं पता चला, तो उनके परिजनों ने तूफ़ानगंज थाने में लिखित शिक़ायत दर्ज करवाई।
सांसद माला रॉय के अनुसार मंत्री ने उन इलाकों की बिजली भी कटवा दी थी जहॉं फिल्म नहीं दिखाई जा रही थी। इससे स्थानीय लोग भड़क गए और प्रदर्शन करने लगे। लेकिन किसी ने चट्टोपाध्याय के साथ मारपीट नहीं की।
देखते ही देखते कहासुनी मारपीट में तब्दील हो गई और नशे में धुत लोगों ने अजय दास पर अपनी लाठी और डंडों से हमला बोलकर उसे बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया और लहू-लुहान हालत में छोड़कर भाग गए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारा दायित्व है कि विद्यार्थियों की शक्ति को 21वीं सदी के साइंटिफिक एनवायरनमेंट में सही माहौल में लेकर जाएँ। विज्ञान में फेलियर कुछ नहीं होता, सब कुछ प्रयत्न या प्रयोग होते हैं और फिर कामयाबी होती है। इसीलिए लम्बे मुनाफे का सोचना चाहिए।"