जोमी चर्च से जुड़े 50 परिवारों के लगभग 250 सदस्य राशन और खाद्य सामग्री से परेशान थे। इस चर्च में ज्यादातर लोग नार्थ-ईस्ट के लोग, खासकर मिजोरम के निवासी हैं और कई वर्षों से दिल्ली में रह रहे हैं।
पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय को कोरोना की पुष्टि के बाद उसके 17 साथी भी क्वारंटाइन में भेजे गए हैं। हालॉंकि अब तक इनमें से किसी का टेस्ट नहीं किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा है कि अगर किसी में लक्षण डेवलप होते हैं तो उसका टेस्ट कराया जाएगा।
एक तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लाखों लोगों के भोजन की व्यवस्था का दावा कर रहे हैं। दूसरी ओर प्रवासी श्रमिकों की जो तस्वीरें आ रही है वह उनके दावों की पोल खोल रहे हैं। इन्हें एक वक्त का भोजन नसीब है और वह भी एक गुरुद्वारे से मिल रहा।
दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए गई महिला डॉक्टर के साथ मरीज ने अभद्रता की और जब एक पुरूष डॉक्टर उन्हें बचाने वहाँ पहुँचा तो मरीजों ने उन पर भी हमला कर दिया। स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने खुद को ड्यूटी रूम में छिपाया लेकिन मरीजों की भीड़ ने...
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये वीआईपी लोग शिक्षित होने के बावजूद भी मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और ब्रांडेड सामान की माँग को लेकर कई बार अपना आपा भी खो दे रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि एक वीआईपी व्यक्ति ने तो मुझ पर मुकदमा कराने की धमकी तक दे डाली थी।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, कई निजी अस्पतालों के अलावा, 8451 सरकारी अस्पतालों में 1,451 कोविड-19 रोगियों का इलाज किया जा रहा है। इनमें से 49 रोगियों की गहन देखभाल की जा रही है, जबकि 5 वेंटिलेटर पर हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन अस्पतालों की निगरानी की कुल क्षमता 2,406 है।
"कोरोना वायरस पर दिल्ली सरकार के डेली बुलेटिन में 'मरकज़ रिलेटेड' वाला कॉलम इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने वाला है। ऐसा बेहूदा वर्गीकरण गोदी मीडिया और हिंदुत्ववादी ताकतों के आगे सरेंडर करने के सामान होगा।"
फिलहाल चाँदनी महल में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है और भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। कहा जा रहा है कि इलाक़े में कई मस्जिदों में अभी भी जमाती छिपे हुए हैं, जो सामने नहीं आ रहे हैं और इलाज कराने से इनकार कर रहे हैं।
प्रवासियों की कठिनाई को देख कर 'मगध-मित्र' का सोशल मीडिया पर जन्म हुआ। इसका उद्देश्य राजनैतिक दलों की सीमाओं से उठ कर, जिस राज्य अथवा शहर में जिस किसी वालंटियर या स्वयंसेवक समूह का कार्यक्षेत्र हो, उससे वहाँ फँसे श्रमिकों तक सहायता पहुँचाना था।