गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार देश के संविधान पर भरोसा रखती है और मैं भरोसा दिलाता हूँ कि यह देश कभी मुस्लिम मुक्त नहीं होगा। वे कहते हैं कि इस बिल से मुस्लिमों का अधिकार छिन जाएगा, मगर मैं सबको भरोसा दिलाना चाहता हूँ कि इस बिल से किसी का भी अधिकार नहीं छिनेगा।
"इंसान को आस्था की ज़रूरत ही नहीं है। इंसान की आस्था की 'इंसान' है, इंसान की जाति 'इंसान' है... पहली बार आस्था को नागरिक होने के पैमाने के तौर पर माना जाएगा।"
यह बिल किसी तरह से मुस्लिम भाइयों को नुकसान नहीं करता है। इससे किसी की नागरिकता खतरे में नहीं पड़ने वाली है। यह शरणार्थियों को नागरिकता देगी, मगर भारत के मुस्लिमों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। इनकी नागरिकता को कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
विधेयक के मुट्ठी-भर विरोधी इकट्ठे होकर जताने की कोशिश कर रहे हैं कि वे समूचे कैम्पस के प्रतिनिधि हैं। इस षड्यंत्र में उनके साथ कुछ वामपंथी समाचापत्र भी हैं।
"लोग हिंदू-मुस्लिम कर रहे हैं? मुस्लिमों को बताइए यहाँ पर क्या दिक्कत है? उनको क्या परेशानी है? हमारे वहाँ पर हिंदू तकलीफ में हैं। उन पर अत्याचार होते हैं। तभी हम यहाँ आते हैं, कौन चाहता है अपना घर छोड़ना... कॉन्ग्रेस ने ही तो धर्म के नाम पर देश को बाँटा था। कॉन्ग्रेस सरकार में यह मुमकिन नहीं हो पाता।"
एक चतुर लेकिन बौखल वकील बुढ़ापे में यह भूल गया कि किस तरफ़ से बहस करने की फीस मिली है, और जाकर अपने ही मुवक्किल को कातिल साबित करने वाली दलीलें दे आया। तृणमूल के सांसद और हम सबके बचपन के 'बॉर्नवीटा क्विज़ मास्टर' डेरेक ओ'ब्रायन यही मूर्खता आज राज्य सभा में कर आए हैं।
इंदौर में जब मीडिया ने सिंधिया से बिल पर राय पूछी तो एक ही बात को बार-बार घुमाकर बोल रहे थे, जिसका कोई मतलब नहीं निकल रहा था। वीडियो में वो थोड़े से बदहवास से भी नज़र आ रहे थे। नागरिकता संशोधन विधेयक को बार-बार ‘अध्यादेश’ बोल रहे थे।
कपिल सिब्बल ने कहा कि सबसे पहले टू नेशन थ्योरी वीर सावरकर ने दी थी। इसके बाद सिब्बल ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए (प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के लिए असंसदीय शब्दों का प्रयोग भी) कहा कि...
इसके साथ ही नागरिकता की दादी ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का नाम ‘भारत’ रखा था, तभी से उनके मन में था कि एक दिन वो भारत जरूर जाएँगी। उन्होंने अपनी बेटी का नाम ‘भारती’ रखा और अब अपनी पोती का नाम ‘नागरिकता’ रखा है।
मुसलमानों के साथ कौन सा अन्याय हुआ है? कहाँ के मुसलमान को वो नहीं मिल रहा जो हिन्दुओं को मिल रहा है? क्या कोई ऐसी योजना है, छात्रवृत्ति है, कोई कार्ड है, सिलिंडर है, बिजली है, बैंक अकाउंट है, बल्ब है, बीमा है, हॉस्पिटल है, स्कूल है, कॉलेज है, यूनिवर्सिटी है, जहाँ सरकार ने कहा हो कि इसमें भारतीय मुसलमानों को नहीं रखा गया है?