Friday, November 22, 2024

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प्रोपेगेंडा

प्रवासी: तापसी पन्नू का वैचारिक प्रपंच

तापसी श्रमिक पालयन के मूल कारण पर मौन क्यों हैं? महामारी नियंत्रण में केंद्र सरकार के प्रयासों को विफल क्यों करना चाहती हैं, देश में अराजकता क्यों बढ़ाना चाहती हैं?

‘लद्दाख में क्रैश हुआ भारत का Mi-17’ – चीन की गोदी में खेल रहे पाकिस्तानी पत्रकार, फैला रहे फर्जी खबर

जिस तस्वीर को पाकिस्तानी पत्रकार, वहाँ की अवाम और PTI से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, वो तस्वीर साल 2018 की है।

अजमल कसाब ने आत्महत्या की थी… Google यही दिखा रहा है: भारत-विरोधी प्रोपेगेंडा के पीछे किन-किन का हाथ

जब आप गूगल पर 'Ajmal Kasab Death' लिख कर सर्च करेंगे तो आप 'मृत्यु का कारण' वाले सेक्शन में पाएँगे कि आत्महत्या लिखा हुआ है।

मानवाधिकारों के नाम पर मासूम की पहचान उजागर करने वाली एमनेस्टी सिखा रही कश्मीर पुलिस को कानून, लोगों ने खोली पोल

इन्हीं दोनों ट्वीट के स्क्रीनशॉट्स को शेयर करके एमनेस्टी इंडिया के पाखंड पर लोग सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि एमनेस्टी बहुत भयानक तरह से झूठ फैलाता है।

आतंकियों के हमले में जवान के साथ हुई थी बच्चे की मौत, सेना पर हत्या का दोष मढ़ रहे इस्लाम और पाक परस्त

आतंकियों की करतूत पर पर्दा डालने के लिए कश्मीर में बच्चे की हत्या का दोष सेना के मत्थे मढ़ने की कोशिश हो रही है।

‘स्क्रॉल’ पत्रकार सुप्र‌िया शर्मा के खिलाफ वाराणसी में FIR, ‘भुखमरी’ को लेकर प्रकाशित की थी फ़ेक न्यूज़

FIR में माला देवी ने कहा है कि वह किसी के घर में काम नहीं करती हैं, और 'स्क्रॉल' की पत्रकार ने उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है।

विकीपीडिया vs ऑपइंडिया: वामपंथी नैरेटिव और गिरोह की साजिश, ऑपइंडिया के खिलाफ यूँ खेला जा रहा खेल

विकीपीडिया पर ऑपइंडिया का पेज इतना नेगेटिव क्यों है? ये वो सवाल है जिसके बारे में लोगों ने हमसे कई बार पूछा। लेकिन, इस सवाल जवाब बेहद सरल है। वो ये कि हमने एक बने-बनाए इकोसिस्टम को चुनौती दी।

SatyaHindi की एजेंडा पत्रकारिता… जहाँ सत्य एवं तथ्य को नजरअंदाज करते हैं आशुतोष

आशुतोष जैसे पत्रकार इस वैश्विक महामारी में भी अपने एजेंडा पत्रकारिता से बाज नहीं आ रहे। इनके पोर्टल में जाकर देखा जा सकता है कि...

IS के आतंकी दम्पति के बाद अब PFI का दानिश अली गिरफ़्तार: दिल्ली दंगों व जामिया से जुड़े हैं तार

पुलिस इस बात का पता लगा रही है कि आखिरकार इनका नेटवर्क किस प्रकार से जामिया में सीएए के ख़िलाफ़ चल रहे प्रोटेस्ट में काम कर रहा था व किस प्रकार से इन्हें फंंडिंग हो रही थी और दिल्ली में चल रहे सीएए के विरोध प्रदर्शन में इसका इस्तेमाल कैसे किया गया।

9 साल पहले कॉन्ग्रेस सरकार में हुई बच्चे की मौत, मीडिया गिरोह ने उदाहरण देकर फैलाया प्रोपेगेंडा

"जिस वाकये के बारे में आप बात कर रही हो, वो साल 2011 का है। 9 साल पहले का - जब केंद्र और असम दोनों में कॉन्ग्रेस सरकार थी। मगर उस समय आप चुप रहीं। अब अपना पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा साधने के लिए बच्चे की मौत से जुड़े मामले को 9 साल बाद इस्तेमाल कर..."

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