साल 2017 में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था, जब भारत-चीन सीमा पर डोकलाम विवाद हुआ था। दोनों देशों के संबंधों के बीच मतभेद गहरा गए थे मगर ऐसे माहौल में अचम्भा तब हुआ था, जब राहुल गाँधी के एक चीनी राजदूत से मिलने की खबर आई थी।
हत्याकांड को अंजाम देने के लिए अपराधियों ने पहले खरात पर गोली चलाई। गोलीबारी की आवाज सुनकर उनके भाई सुनील बाबू बाहर आए। हमलावरों ने उन पर भी गोली चलाई। वो जान बचाने के लिए घर में भागे। मगर हमलावरों ने उनका पीछा किया और चाकू से उनका गला काट दिया।
"मैं असदुद्दीन ओवैसी और उनके छोटे भाई 'दशद्रोही' अकबरुद्दीन ओवैसी को कहना चाहूँगा कि तुम लोगों को भी RSS की शाखा में सम्मिलित होने की ज़रूरत है। तुम शाखा में सम्मिलित होकर ही समझ पाओगे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किस तरह देश के लिए काम करता है।"
इलाके में करीब 600 घरों में से 65%, यानी 400 के आस-पास समुदाय विशेष के हैं। कथित तौर पर बलात्कारियों ने पीड़िता का कुरता नहीं उतारा- क्योंकि वह अनुसूचित जाति पासी की थी, जिसे स्थानीय समुदाय विशेष वालेअपने से 'नीचे' देखते हैं।
"महात्मा गाँधी सिर्फ़ स्वतंत्रता की ही लड़ाई नहीं लड़ रहे थे बल्कि भारतीय सभ्यता के मूल तत्व को आधार बनाकर पश्चिमी सभ्यता की राक्षसी प्रकृति जिसमें दमन, अमानवीयता, संसाधनों की लूट, विस्तारवाद, ताक़तवर होने का अहम, व्यक्तिवाद और ‘हम और तुम’ की खाई अंतर्निहित है, को भी चुनौती दे रहे थे।"
नामांकन के बाद भाजपा की एक सभा हुई। इस सभा में विजय राजभर अपने सब्जी बेचने वाले पिता से गले मिल फूट-फूट कर रोने लगे। इस दृश्य को देख कर वहाँ मौजूद लोगों की आँखें भर आईं। मंत्री अनिल राजभर ने सब्जी बेचने वाले नन्दलाल राजभर को पूरे सम्मान के साथ मंच पर बिठाया।
सब्यसाची का काफी समय से पार्टी नेताओं से मतभेद भी चल रहा था। उन्होंने भी पार्टी के शीर्ष नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। उन्हें मेयर के पद से हटाने के लिए टीएमसी के सदस्य ही अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे।
पूर्व केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर तिरुवनंतपुरम सीट से कॉन्ग्रेस के टिकट पर 2009, 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुके हैं। हालिया लोकसभा चुनावों में उन्होंने पिछले दोनों चुनावों से भी ज्यादा मत प्राप्त कर जीत दर्ज की थी।
यह प्रश्नवाचक चिह्न रह जाता है कि भगत सिंह का नव-जागृत हिन्दू धर्म के साथ कैसा रिश्ता होता। शायद वे तब भी नास्तिक रहते, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि न भी रहते!
पेशी के लिए जाने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कल्याण सिंह ने कहा था, “सीबीआई कोर्ट ने मुझे आज तलब किया था इसलिए मैं जा रहा हूँ। मैंने हमेशा न्यायालय का सम्मान किया है और करता रहूँगा।”