सोनिया गाँधी इटली से यहाँ आई हैं और उन्होंने नागरिकता ले ली थी, लेकिन यह लोग पाकिस्तान में सताए गए हमारे हिन्दू और सिख भाइयों को मिल रही नागरिकता का विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी उनके समूह का हिस्सा हैं, वे एक ही भाषा बोलते हैं।"
एनपीआर को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद से विपक्ष उसी तरह अफवाह फैलाने में जुट गया है जैसा उसने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर किया। जिस तरीके से CAA को NRC से जोड़ा गया, उसी तरह अब NPR को भी NRC से जोड़कर दिखाने की कोशिश हो रही है। जबकि हकीकत कुछ और ही है।
"कई लोगों ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। बावजूद इसके सोनिया, प्रियंका और ओवैसी साजिश के तहत लोगों को उकसाने वाले बयान दे रहे हैं। इससे जामिया में हिंसा भड़की। रवीश कुमार ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और अन्य जगहों पर हिंसा हुई।"
विपक्षी दलों को दिक्कत बुलेट ट्रेन से नहीं है। उनका विरोध राजनीतिक ओछेपन के अलावा कुछ नहीं है। उनको दिक्कत इस बात से है कि यदि यह परियोजना समय पर पूरी हो जाएगी तो इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाएगा।
इंदिरा गाँधी के मामले में स्वामी ने दावा किया कि इंदिरा गाँधी ने अपनी राजनीतिक छवि के चक्कर में अपने सुरक्षा कर्मियों के आतंकी गुटों से मिल जाने की रिपोर्ट के बाद भी सुरक्षा कर्मी नहीं बदले।
आरएसएस प्रमुख भागवत के साथ हाल में मंच साझा करने वाले वे कॉन्ग्रेस से जुड़े दूसरे नेता हैं। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस के विजयादशमी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। मुखर्जी का इस कार्यक्रम में जाना गॉंधी परिवार को रास नहीं आया था।
सीएम की कुर्सी को ताकत का स्रोत नहीं बल्कि उस पर एक अवांछित बाँध मानने वाले बाला साहेब का बेटा उसी कुर्सी के लिए हिंदूवाद को ही राम-राम कर मुख्यमंत्री बन गया है।
संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के सम्पादकीय में कहा था कि जो भी गोडसे से नफरत करते हैं, वह ज़रूर इशरत से मोहब्बत करते हैं। सामना के सम्पादकीय में लिखा था कि गोडसे के स्मारक की जगह क्या इशरत का स्मारक बनाया जाए?
राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के पीएम बनने की बात चलती थी तो बालासाहब पूछते थे कि प्रधानमंत्री का पद भिंडी बाजार में रखी कोई कुर्सी है क्या? बाल ठाकरे के ख़ून पसीनों से सींची हुई पार्टी ने उसके नाम पर शपथ ली, जिसके सामने झुकने वालों को वो हिजड़ा मानते थे।