Sunday, December 22, 2024
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पक्का मकान जिन आँखों के लिए था सपना, मोदी सरकार ने उनके लिए बना दिए 3.3 करोड़ घर: जानिए प्रधानमंत्री आवास योजना से कितना बदला देश

देश में इस योजना के तहत अब तक 4.12 करोड़ घरों को मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से 3.3 करोड़ घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। बाक़ी का निर्माण चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रो में इस योजना का लाभ पाने वालों में से 44% लाभार्थी दलित या जनजातीय समुदाय से आते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को दस वर्ष पूरे हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव हफ्ते-पन्द्रह दिन के भीतर घोषित किए जाने वाले हैं। प्रधानमंत्री मोदी देश के चौथे ऐसे पीएम हैं, जिन्हें 10 साल का कार्यकाल मिला। ऐसे में उनके कामों का मूल्यांकन करना जरूरी हो जाता है। प्रधानमंत्री के भाषणों का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि उन्होंने जिन कुछ योजनाओं का सबसे ज्यादा जिक्र किया है, उनमें से प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम प्रमुख है।

आवास यानी घर, घरौंदा, मकान जो भी कह लिया जाए, दुनिया के हर मानव की प्राथमिक जरूरतों में से एक है। बताते हैं कि आज से कोई 72000 साल पहले सबसे पहला घर बनाया गया था। इसके बाद बदलाव आते गए, मकान बनाने की तकनीक बदलती गई। हमारा देश 1947 में आजाद हो गया, लगभग 67 साल गुजर गए, लेकिन बड़ी आबादी के हिस्से पक्की छत ना आ सकी। खपरैल और छप्पर वाले घर देश की पहचान बन गए।

इस बीच कई योजनाएँ आई और गईं लेकिन देश के करोड़ों-करोड़ लोगों को एक अदद घर ना मिल सका। देश में इतना विकास हुआ नहीं कि वह अपने आप ही बना ले और सरकार इस मामले में बाकी सभी क्षेत्र की तरह फिसड्डी ही रही। हालाँकि, बीते कुछ सालों में यह तस्वीर बदली है। देश के कस्बों और शहरों के उन हिस्सों में कच्चे घर और टाट पट्टी वाले घर नहीं दिखते, जहाँ पहले लोग जाने में भी कतराते दिखते थे। गाँवों में भी खपरैल और फूस के छप्पर की जगह अब ईंट के पक्के मकान ले चुके हैं। इसमें सबसे बड़ा रोल प्रधानमंत्री आवास योजना है।

पीएम आवास योजना शहरों की सूरत बदली

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के अंतर्गत दो तरीके की योजनाएँ चलती हैं। एक योजना नगरीय क्षेत्रों में घर बनाने के लिए जबकि दूसरी योजना का लक्ष्य गाँवों में कच्चे घरों का उन्मूलन है। पीएम आवास योजना (शहरी) की शुरुआत जून, 2015 में की गई थी।

इसका लक्ष्य था कि शहरों की मलिन बस्तियों और बाकी इलाकों में जितने कच्चे घर बने हैं, उनकी जगह पर पक्के घर बनाए जाएँ। पक्के घर बनाने के लिए शहरी इलाकों में सरकार ने ₹2.5 लाख कमजोर तबके के लोगों को देने की योजना चालू की। इसके अंतर्गत लाभार्थी सरकार से सहायता लेकर अपनी जमीन पर मकान तैयार करवाता है। सरकार इसमें कुछ लाभार्थियों को आसान लोन भी उपलब्ध करवाती है।

योजना के विषय में बताने वाला डैशबोर्ड दिखाता है कि जून 2015 के बाद सरकार इस योजना के तहत देश भर में 1.18 करोड़ घरों को बनाए जाने की मंजूरी दे चुकी है। इनमें से 1.14 करोड़ घरों की नीँव भी पड़ गई है। देश के शहरी इलाकों में 80.35 लाख घर बनाकर तैयार भी किए जा चुके हैं। 34 लाख घरों का निर्माण अलग अलग चरणों में है।

देश भर के शहरी इलाकों में कोई भी घर कच्चा ना रहे इसके लिए मोदी सरकार ₹1.56 लाख करोड़ खर्च कर चुकी है। यह पैसे सीधे लाभार्थी के खाते में दिए गए हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि वह अभी योजना के तहत ₹50,000 करोड़ का योगदान और करेगी जिससे पक्के घरों का लक्ष्य पूरा हो सके। केंद्र सरकार ने इस योजना को दिसम्बर 2025 तक बढ़ा भी दिया है ताकि भारत में प्रत्येक आवासहीन व्यक्ति को आवास दिया जा सके।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की एक नगर पंचायत में रहने वाली सुनीता को इस इस योजना के तहत मकान मिला है। सुनीता एक मंदिर के बाहर फूल बेचती हैं। वह कहती हैं कि उनकी इतनी कमाई नहीं थी कि वह पक्का घर बनवा सकती। वह योजना का लाभ मिलने से पहले की परिस्थिति के विषय में बताती हैं, “आज से 7 साल पहले तक आधा घर कच्चा और आधा टाट पट्टी वाला था। बारिश में बहुत दिक्कत होती थी क्योंकि पक्की छत नहीं थी। धूप और सर्दी भी झेलनी भी पड़ती थी। बिजली का कनेक्शन भी नहीं था।”

उन्हें इस योजना के तहत आवास मिला है। उन्होंने अपना कच्चा आवास गिराकर पक्का आवास बनवाया है। सुनीता और उनके परिवार ने इस घर को बनाने में खुद ही मजदूरी कर ली और इसके भी पैसे बचाए। अब सुनीता पक्के घर में रहती हैं। इसमें दो कमरे हैं। उन्हें घर पक्का बना होने की वजह से और भी कई योजनाओं का लाभ मिला है।

गाँवों से हट गए छप्पर-खपरैल और तिरपाल

प्रधानमंत्री आवास योजना को शहरों में लागू करने के एक वर्ष के बाद वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) योजना चालू की गई थी। इसका लक्ष्य था कि देश के ग्रामीण इलाकों से भी कच्चे घरों को समाप्त करके सभी को पक्के आवास दिए जाएँ। इस योजना के तहत सरकार ने देश के गाँवों में रहने वाले व्यक्तियों को प्रति आवास ₹1.20 लाख देने का निर्णय लिया था। हालाँकि, पहाड़ी क्षेत्रों में इसमें कुछ अधिक धनराशि दी जाती है। सरकार ने इसके लिए तकनीक का भी सहारा लिया। घरों को लोकेशन से जियोटैग किया गया।

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक इस योजना के तहत 2.94 करोड़ घरों को मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से 2.57 करोड़ घर बनाए भी जा चुके हैं। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2.95 करोड़ घर बनाने का है लेकिन अब इसे आगे और बढ़ाया जा सकता है। इस योजना के तहत अब तक 3.24 करोड़ लोग पंजीकरण करवा चुके हैं। योजना के अंतर्गत पहले वर्ष 2016-17 जहाँ इसके तहत मात्र 2,115 घर बने थे वहीं 2017-18 में यह सँख्या बढ़ कर 44.93 लाख हो गई। इसके बाद साल दर साल यह सँख्या बढ़ती रही है।

महिला सशक्तिकरण में भी आगे है योजना

इस योजना का लाभ पाने वाला सबसे बड़ा तबका अनुसूचित जाति/जनजाति का है। योजना के अंतर्गत बनाए गए घरों में से 44% घर SC/ST लाभार्थियों को मिले हैं। 13% घर अल्पसंख्यकों को भी दिए गए हैं। इसके अलावा इस योजना ने महिला सशक्तिकरण में भी बड़ी भूमिका निभाई है। योजना के अंतर्गत बनाए जाने वाले 72% घरों में महिलाओं को संयुक्त या अकेले तौर पर घर का मालिकाना हक़ दिया गया है। इस योजना का लाभ भी तेजी से पहुँचा है। इसके अंतर्गत दिए जाने वाले 77% घरों का निर्माण एक वर्ष के भीतर पूरा हो गया।

योजना के अंतर्गत शहर और गाँवों में मिलाकर अब तक 3.3 करोड़ नए घर तियार किए जा चुके हैं। ऐसे में जहाँ प्रधानमंत्री आवास योजना ने लोगों के जीवन स्तर को सुधारा है, वहीं इसने साथ में ही सामाजिक बदलाव में भी सहायता की है। अब सरकार का लक्ष्य है कि वह उन लोगों को जल्द घर उपलब्ध करवाए जो झुग्गियों में रहते हैं। सरकार इन लोगों के लिए बड़े कदम उठा रही है।

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अर्पित त्रिपाठी
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