Monday, December 23, 2024
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केरल यूनिवर्सिटी के यूथ फेस्टिवल का नाम इंतिफादा (खूनी विद्रोह): लोग पूछ रहे – पैसे भारत सरकार से… सपने हमास के इस्लामी आतंकियों वाले

केरल विश्वविद्यालय में आयोजित होने जा रहे यूथ फेस्टिवल के नाम को लेकर छात्र ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसका नाम 'इंतिफादा' रखा गया है।

केरल की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में यूथ फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। इसका नाम रखा गया है ‘इंतिफादा’। केरल यूनिवर्सिटी में 7 से 11 मार्च तक होने वाले यूथ फेस्टिवल को ‘आक्रमण के खिलाफ कला का विरोध’ टैगलाइन के साथ आयोजित किया जा रहा है, जिसका सीधा मतलब इजरायल-हमास युद्ध में हमास के समर्थन से है। अब इस ‘इंतिफादा’ के खिलाफ एक स्टूडेंट ने केरल एवं लक्षद्वीप हाई कोर्ट में याचिका लगाई है और इसका नाम बदलने की माँग की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल यूनिवर्सिटी के पहले साल के छात्र ने हाई कोर्ट में जो याचिका दाखिल की है, उसमें कोर्ट से अपील की है कि इस नाम को बदलने का आदेश जारी किया जाए, क्योंकि ‘इंतिफादा’ न सिर्फ भ्रमित करने वाला शब्द है, बल्कि ये मौजूदा इजरायल-हमास युद्ध को ध्यान में रखते हुए बाँटने वाला शब्द भी है।

छात्र का दावा है कि ‘इंतिफादा’ शब्द न सिर्फ हमास जैसे आतंकी संगठन से जुड़ा है, बल्कि केरल यूनिवर्सिटी के यूथ फेस्टिवल के लोगो पर इजरायत के नक्शे पर फिलिस्तीन को भी दिखाता है। छात्र ने कहा है कि यूथ फेस्टिवल का लोगो कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम के हिसाब से सही नहीं है। इसकी वजह से छात्रों में भी अलगाव पैदा हो सकता है। छात्र ने कहा है कि उसने राज्यपाल और यूनिवर्सिटी के वीसी को भी पत्र लिखा है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में अब हाई कोर्ट ने केरल यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।

वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने इसे बदमाशी और बेशर्मी की हद पार करने वाला बताया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “बदमाशी और बेशर्मी की हद! भारत सरकार से अनुदान पाने वाली केरल युनिवर्सिटी ने अपने यूथ फेस्टिवल का नाम इंतिफादा यानी हिंसक प्रतिरोध रखा है, जो हमास का आतंक फैलाने का तरीका ही है l गनीमत है कि यूथ फेस्टिवल का नाम जिहाद या गजवा हिंद नहीं रखा!”

क्या है इंतिफादा?

इंतिफादा एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है बगावत या विद्रोह। खास बात ये है कि इंतिफादा शब्द का सबसे ज्यादा इस्तेमाल ‘तख्तापलट’ जैसे कामों में मिडिल-ईस्ट से लेकर उत्तरी-पश्चिमी अफ्रीकन देशों में हुआ है और पिछले कुछ दशकों से इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध में इसे ‘इजरायल’ के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। हर बार इजरायल के खिलाफ वेस्ट बैंक या फिर गाजा पट्टी में कुछ होता है, तो उसे ‘इंतिफादा’ करके प्रचारित किया जाता है। एक तरफ इसे प्रतिरोध बताया जाता है, तो दूसरी तरफ कायराना हमले भी इजरायल पर किए जाते हैं। इस समय हमास-इजरायल के बीच चल रहे युद्ध को पाँचवाँ इंतिफादा भी कहा जा रहा है।

इजरायल-फिलिस्तीन के संदर्भ में इंतिफादा

इजरायल-फिलिस्तीन संकट के संदर्भ में इसे धर्मयुद्ध से भी जोड़ सकते हैं। एक तरफ यहूदी इजरायल का विरोध कर रहे मुस्लिम फिलिस्तीनी और अरबी हैं, तो दूसरी तरफ उन्हें समर्थन दे रहे मुस्लिम देश। इतजराय-फिलिस्तीन के बीच तमाम लड़ाई लड़कर हारने के बाद फिलिस्तीनियों द्वारा दिसंबर 1987 में पहला इंतिफादा शुरू किया गया, जो साल 1993 तक चला। दूसरा इंतिफादा सितंबर 2000 से साल 2005 तक चला। इसे अल-अक्सा इंतिफादा भी कहा जाता है। तीसरी बार साल 2014 में जेरूशलम में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शनों और हिंसा को भी इंतिफादा कहा गया गया।

वहीं, साल 2015-2016 को चौथा इंतिफादा, जेरुशलम इंतिफादा, अल कुद्स इंतिफादा या चाकू इंतिफादा भी कहा जाता है। और पिछले साल अक्टूबर में अल-अक्सा फ्लड नाम से हमास ने इजरायल के अंदर जो हमला बोला, उसे कई ‘मुस्लिम’ विद्वान पाँचवाँ इंतिफादा भी कह रहे हैं। वैसे, तो इसे आम तौर पर अहिंसक विरोध प्रदर्शन से जोड़ा जाता है, लेकिन इजरायल-फिलिस्तीन के संदर्भ में ये हमेशा हिंसक ही रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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