Thursday, September 19, 2024
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साबरमती एक्सप्रेस बेपटरी मामले में आतंकी साजिश, जाँच के लिए पहुँची ATS: रेल पटरी के टुकड़े को ट्रैक पर रखा गया, पेंच और गार्टर से कसा गया, वेल्डिंग के भी निशान

मौके पर 2-3 पटरी के टुकड़े (बोल्डर) मिले थे। यही बोल्डर रेलवे ट्रैक पर रखे गए थे। इन बोल्डर को पेंच और गार्डर से कसा गया था, ताकि ट्रेन के झटके से यह निकले नहीं और ट्रेन इनके ऊपर से तेजी से गुजरकर बेपटरी हो जाए और अधिकतम तबाही हो। हालाँकि, ट्रेन की स्पीड 80-90 किलोमीटर प्रतिघंटे थी और लोको पायलट ने संदेहास्पद वस्तु को देखकर इमरजेंसी ब्रेक मारी थी।

कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस (19168) के 22 डिब्बे पटरी से उतरने के मामले में आतंकी साजिश की आशंका बढ़ती जा रही है। जिस तरह से पटरी से छेड़खानी की गई थी, उससे लगता है कि ट्रेन को पलटने और अधिक-अधिक लोगों को हताहत करने का साजिश थी। हालाँकि, ट्रेन पटरी से उतरी, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। इस मामले में अब IB के बाद अब ATS भी जाँच में जुड़ गई है।

इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के बाद अब एंट्री टेररिस्ट स्कवॉयड (ATS) की टीम जाँच के लिए कानपुर पहुँची है। इस मामले में जूही के सीनियर सेक्शन इंजीनियर महेंद्र प्रताप सिंह सिसोदिया ने पनकी थाने में FIR दर्ज कराई है। FIR में कहा गया है कि ट्रैक पर पटरी का टुकड़ा रखा गया था। इसकी टक्कर के बाद ट्रेन पटरी से उतरी। रेल मेंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी यही बात कही थी।

हादसे के बाद वैष्णव ने कहा था कि ट्रेन का इंजन पटरी पर रखी किसी भारी चीज से टकराया था। इंजन पर टकराने के निशान हैं और IB अपना काम कर रही है। वहीं, रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि साजिश का शक इसलिए भी है कि साबरमती एक्सप्रेस के आने से 1 घंटा 20 मिनट पहले इसी ट्रैक से पटना एक्सप्रेस गुजरी थी। उस समय लाइन क्लीयर थी।

FIR में कहा गया है कि साबरमती एक्सप्रेस वाराणसी से अहमदाबाद जा रही थी। इसे लोको पायलट एपी बुंदेला चला रहे थे। 17 अगस्त की रात ट्रेन 2.27 बजे गोविंदपुरी-भीमसेन स्टेशन के पास पहुँची। 1338/21-19 KM पॉइंट पर मध्य अप लाइन में भारी वस्तु दिखाई दी। देखते ही लोको पायलट/सह लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया, लेकिन भारी वस्तु इंजन के कैटल गार्ड से टकरा गई।

टक्कर के कारण कैटल गार्ड मुड़ गया। इसके अलावा आगे के पहिए और 22 बोगी पटरी से उतर गए। लोको पायलट ने झाँसी कंट्रोल रूम को 2.30 बजे इसकी सूचना दी। वहाँ पुरानी रेल का टुकड़ा मिला।इसमें फ्रेश हीटिंग के निशान मिले। इससे लगता है कि पटरी से उतारने के लिए लोहे के टुकडे़ को ट्रैक पर रखा गया था। आशंका है कि रेल का टुकड़ा ट्रैक पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने रखा।

मौके पर 2-3 पटरी के टुकड़े (बोल्डर) मिले थे। यही बोल्डर रेलवे ट्रैक पर रखे गए थे। इन बोल्डर को पेंच और गार्डर से कसा गया था, ताकि ट्रेन के झटके से यह निकले नहीं और ट्रेन इनके ऊपर से तेजी से गुजरकर बेपटरी हो जाए और अधिकतम तबाही हो। हालाँकि, ट्रेन की स्पीड 80-90 किलोमीटर प्रतिघंटे थी और लोको पायलट ने संदेहास्पद वस्तु को देखकर इमरजेंसी ब्रेक मारी थी।

वहीं, एटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जब भी कोई ट्रेन पटरी से उतरती है तो एटीएस मौके पर पहुँचकर अपने स्तर पर जाँच करती है। एटीएस को साबरमती एक्सप्रेस हादसे की रिपोर्ट जल्द से जल्द लखनऊ मुख्यालय को सौंपेने के लिए कहा गया है। फिलहाल, लोहे की पटरी रखने वाले लोगों की पहचान के लिए सबूत जुटाए जा रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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