मोटिवेशनल स्पीकर हर्षवर्धन जैन को अक्सर आपने कई वीडियो में देखा होगा। उनके वीडियो अक्सर वायरल होते हैं, साथ ही उनके द्वारा सुनाए जाने वाले किस्से-कहानियाँ भी ख़ासे रोचक होते हैं। अब हर्षवर्धन जैन ने YouTube पर ‘The Rahul Malodia Podcast’ नामक चैनल पर अपने जीवन की यात्रा को लेकर बात की है। इस दौरान उनसे पूछा गया कि आखिर एक प्रेरक वक्ता बनने की उनकी यात्रा की शुरुआत कहाँ से हुई? इस दौरान उन्होंने बताया कि बचपन में वो काफी नटखट हुआ करते थे।
उन्होंने बताया कि 1995 में 15 वर्ष की उम्र में उन्हें अपने चाचा के यहाँ बीकानेर भेज दिया गया था और उनकी दसवीं की पढ़ाई वहीं से हुई। उन्होंने बताया कि उसी साल उन्हें आटा, दाल और चावल के भा पता चले, वो एक अनुशासित परिवार था और वो अपने घर से दूर थे, ऐसे में उन्हें काफी चीजें सीखने को मिलीं। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष जब वो जयपुर लौटे तो उनके भीतर आज जो वो मोटिवेशनल स्पीकर हैं उसका बीज तब डला जब वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में गए।
हर्षवर्धन जैन ने बताया, “16 साल की उम्र थी। उस दौरान RSS की शाखा मेरे गाँव में लगी। उस दौरान उन्होंने पूछा कि यहाँ खेलता कौन है, तो वो मेरे पास आए। उन्होंने सुबह खेलने के लिए बुलाया। मैं 150 लड़कों के साथ सुबह पहुँचा तो वो ख़ुश हो गए कि ये भीड़ खड़ी कर सकता है। वहाँ चप्पलें खोलने का भी तरीका था, किसी चीज को तवज्जो देने का तरीका था। ध्वज नहीं था तो ध्वज बनाया गया और उन्होंने इसे प्रणाम किया। चप्पलों को पदवेश बोला जाता था। इसे खोलने का भी एक सिस्टम था।
हर्षवर्धन जैन ने कहा कि चप्पलों को भी आदर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि एक शब्द पर अच्छे से पंक्ति बन जाती है। बकौल हर्षवर्धन जैन, उन्होंने RSS की शाखा के उस डेढ़-दो घंटे ने उनका जीवन बदल दिया और जैसे उन्होंने सावधान की मुद्रा में बुलंद आवाज़ में परिचय दिया, वो देख कर उन्होंने भी परिचय दिया और उन्होंने जो बोला वो 200 लोगों तक अंत तक पहुँचा। उन्होंने बताया कि वहीं से गीत-भजन सीखा, चीजों को संगठित करना सीखा और वहीं वक्ता होने का बीज डला। वीडियो में 20 मिनट के बाद आप ये वाला हिस्सा देख सकते हैं।