Tuesday, September 24, 2024
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खतना, नमाज, इस्लाम… कहानी 10 साल की उम्र में गायब हुए ‘सत्यम’ को कबाड़ी ‘समीर खान’ बनाने की, ब्रेनवॉश ऐसा कि अब अपने परिवार के साथ भी रहना नहीं चाहता

पीड़ित माँ के अनुसार राशिद भले गिरफ्तार हो गया है, लेकिन उन्हें उनका बेटा सत्यम वापस नहीं मिला। उसका ऐसा ब्रेनवॉश किया गया है कि उसने उनको माँ मानने से ही इनकार कर दिया। खुद को मुस्लिम बताते हुए कहा कि उसकी हिन्दू धर्म में आस्था नहीं है।

उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में शनिवार (14 सितंबर 2024) को धर्मान्तरण केस में नामजद राशिद नाम के आरोपित की पुलिस से मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में राशिद घायल हो गया था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह पिछले 19 वर्षों से फरार चल रहा था। राशिद 2005 में घर से लापता हुए हिन्दू बच्चे को इस्लाम कबूल करवाने का आरोपित है। उसके पास से अवैध हथियार और गोला-बारूद भी बरामद हुआ है। अब 30 साल के हो चुके सत्यम नाम के बच्चे को फिलहाल समीर खान बना दिया गया है। ऑपइंडिया से बात करते हुए सत्यम की माँ ने बताया कि उनके बेटे का ब्रेनवॉश इस हद कर तक कर दिया गया है कि वो अब अपने परिजनों के संग रहने को तैयार ही नहीं है।

19 साल पहले गायब हुए सत्यम को बनाया गया समीर खान

यह मामला रामपुर जिले के थानाक्षेत्र शाहाबाद का है। यहाँ 13 सितंबर को मंजू देवी नाम की महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में मंजू ने बताया है कि साल 2005 में उनका 10 वर्षीय बेटा सत्यम अचानक कहीं लापता हो गया था। तब पीड़िता ने इसकी शिकायत हापुड़ के पिलखुआ थाने में दर्ज करवाई थी। बच्चे के लापता होने की खबर अख़बार में भी प्रकाशित करवाई गई थी। काफी खोजबीन कर के मंजू ने पता लगाया कि उनका बेटा रामपुर जिले में राशिद के घर रहता है।

बच्चे को खोजते हुए मंजू देवी रामपुर पहुँची। यहाँ उनकी मुलाकात अपने बेटे से हुई। मंजू के बेटे ने यहाँ बताया कि 2005 में उसको पहले उनको दिल्ली ले जाया गया। वहाँ से बच्चे को कबाड़ी राशिद अपने साथ रामपुर ले आया। राशिद ने बच्चे को अपने साथ रखा और रुपए पैसे का लालच दे कर इस्लाम कबूल करवा दिया। कुछ दिनों बाद सत्यम का नाम बदल कर समीर खान रख दिया गया। एक नया आधार कार्ड भी बनवा दिया गया जिसमें समीर के अब्बा का नाम वाज़िद खान छाप दिया गया।

सत्यम की माँ का आरोप है कि उनके बेटे का खतना करवा दिया गया था और नमाज़ पढ़वाई जा रही थी। पीड़िता मंजू राय ने राशिद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की थी। इस तहरीर पर पुलिस ने राशिद के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कर लिया। उस पर उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म सम्परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। ऑपइंडिया के पास FIR कॉपी मौजूद है। केस दर्ज होने की जानकारी मिलते ही राशिद फरार हो गया। पुलिस ने उसकी तलाश में दबिश देनी शुरू कर दी।

पुलिस पर भी राशिद ने बरसाईं गोलियाँ

13 सितंबर को राशिद के खिलाफ FIR दर्ज कर के पुलिस ने दबिश देनी शुरू कर दी थी। इस बीच अगले दिन 14 सितंबर को शाहाबाद थाने के SHO इंस्पेक्टर पंकज पंत अपने साथी पुलिसकर्मियों के साथ गश्त कर रहे थे। इसी दौरान उनको मुखबिर ने राशिद के एक खंडहर के पास छिपे होने की सूचना दी। पुलिस टीम इस सूचना पर बताए गए खंडहर की तरफ निकल पड़ी। सूचना सही पाई गई। राशिद खंडहर के पास मौजूद था।

पुलिस के मुताबिक पुलिस बल को अपनी तरफ बढ़ता देख राशिद भड़क गया। वह चीख कर बोला, “सालों पुलिस वालों, तुम भी आ गए। आज तुम्हारा भी काम तमाम करता हूँ।” इतना कह कर राशिद ने पुलिस पर गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी। राशिद की फायरिंग से पुलिस ने खुद को बचाते हुए सरेंडर करने की चेतावनी दी। हालाँकि जब इस चेतावनी का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा तो पुलिस ने जवाबी फायरिंग की। पुलिस की गोली चलने पर राशिद भागने लगा जिसे दौड़ा कर दबोच लिया गया।

राशिद की तलाशी में उसके पास से एक तमंचा और कारतूस बरामद हुए। पुलिस पर हमले के आरोप पर उस पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 109 के साथ आयुध अधिनियम के तहत एक और FIR दर्ज हुई है। पूछताछ में राशिद ने बताया कि वो फ़िलहाल दिल्ली के ओखला फेज 1 में रहता है। वह कीपैड फोन ले कर चलता था। पुलिस की पूछताछ में उसने सत्यम के धर्मान्तरण मामले में अपने ऊपर लगे आरोपों को कबूल किया है। फिलहाल राशिद को जेल भेज दिया गया है। ऑपइंडिया के पास पुलिस की FIR मौजूद है।

लापता नहीं हुआ मेरा बेटा, बल्कि रची गई थी साजिश

ऑपइंडिया ने इस मामले में मंजू देवी से सम्पर्क किया। मंजू देवी ने बताया कि उनको आशंका है कि 2005 में उनका बेटा खुद लापता नहीं हुआ था बल्कि उसे साजिशन गायब किया गया था। बचपन में ही सत्यम की संगति गलत हो जाने का दावा करते हुए मंजू ने बताया कि सबसे पहले उसे दिल्ली में लगभग 4 महीने रखा गया। यहाँ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उसे अपने रंग में ढाला और कबाड़ आदि बीनने के काम पर लगाया। बाद में सत्यम को रामपुर शाहाबाद में भेज दिया गया। रामपुर में सत्यम को राशिद के पास रखा गया।

मंजू देवी आगे बताती हैं कि राशिद ने सत्यम को नौकरों की तरह रख कर काम करवाए। यहीं पर उसे मुस्लिम बना दिया गया और खतना भी करवाया गया। थोड़े समय बाद सत्यम को शाहाबाद के ही रहने वाले वाज़िद खान के सुपुर्द कर दिया गया। वाज़िद ने सत्यम का समीर खान नाम से आधार कार्ड बनवाया और खुद को उसका अब्बा दिखा दिया। वाज़िद ने भी अपने पूरे परिवार को कमा कर खिलाने की जिम्मेदार सत्यम पर डाल दी। सत्यम कभी कबाड़ बीन कर तो कभी फेरी लगा कर वाज़िद के परिवार का पेट भरता रहा।

लौट आया था अपने परिवार में, पर फिर हुआ ब्रेनवॉश

मंजू देवी आते बताती हैं कि साल 2017 में ही उन्होंने अपने बेटे को खोज निकाला था। तब वो जैसे-तैसे रामपुर से मिन्नत कर के अपने बेटे को वापस हापुड़ ले आईं थीं। यहाँ सत्यम महज 2 से ढाई महीने के बीच रहा। सत्यम का नाम भी आधार कार्ड में बदलवा दिया गया। इस बीच कोई विक्की खान उसको लगातार कॉल कर के वापस लौटने के लिए ब्रेनवॉश करता रहा। इस ब्रेनवॉश का असर ये रहा कि सत्यम मंदिर जाने और पूजापाठ आदि से चिढ़ने लगा था। आखिरकार लगभग ढाई महीने बाद सत्यम फिर से अपना घर छोड़ कर रामपुर चला गया।

मंजू देवी बताती हैं कि इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को वापस पाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहीं। पीड़िता के एक और बेटा है जो सत्यम से छोटा है। मंजू देवी के पति मेहनत मजदूरी कर के परिवार पालते हैं। खुद मंजू भी एक प्राइवेट स्कूल में काम कर के अपने परिवार के लिए चार पैसे जुटाती हैं। इसी पैसे से वो अपने दूसरे बेटे की पढ़ाई आदि करवा रहीं हैं। मंजू चाहती हैं कि उनके बेटे के धर्मान्तरण में शामिल सिर्फ राशिद ही नहीं बल्कि दिल्ली से रामपुर तक प्रकाश में आए सभी आरोपितों पर एक्शन हो।

परिवार के साथ रहने को तैयार नहीं सत्यम

मंजू देवी ने हमको आगे बताया कि भले ही राशिद जेल चला गया है लेकिन उनको सत्यम वापस नहीं मिल पाया। पुलिस के आगे सत्यम ने उनको माँ मानने से ही इंकार कर दिया। सत्यम ने खुद को मुस्लिम बताते हुए कहा कि उसको हिन्दू धर्म में आस्था नहीं बची है। पुलिस के आगे कोई भी मुस्लिम सत्यम पर अपना दावा करने नहीं आया। मंजू देवी के मुताबिक उनके बेटे को मुस्लिमों द्वारा वर्तमान समय में साजिशन उत्तराखंड एक रुद्रपुर कहीं शिफ्ट कर दिया गया है।

मंजू ने हमको आगे बताया कि भले ही उनका बेटा उन्हें दोबारा वापस न मिले पर वो मुस्लिम मत छोड़ कर अपने मूल धर्म में वापस लौट आए। उन्होंने कहा कि अगर वो कहीं गौशाला में गायों की सेवा करे, किसी मठ या मंदिर का पुजारी बन जाए या किसी हिन्दू अधिकारी/व्यापारी के घर नौकरी करने लगे तो उन्हें बहुत सुकून मिलेगा। मंजू ने प्रशासन के साथ हिन्दू संगठनों से भी उम्मीद जताई है कि वो उनके बेटे को मुस्लिम मत से बाहर निकालने में मदद करें।

पीड़िता ने अपने परिवार की सुरक्षा भी खतरे में होने की बात कहते हुए भविष्य में चरमपंथियों द्वारा किसी अनहोनी की भी आशंका जाता है। अंत में वो फूट-फूट कर रोने लगीं और कहा कि कुछ साजिशकर्ताओं ने उनके परिवार को बर्बाद कर दिया। मंजू को यह भी चिंता है कि इस विवाद से उनके छोटे बेटे की शादी-ब्याह में दिक्कत पेश आ सकती है। फ़िलहाल पुलिस पूरे मामले की जाँच व अन्य जरूरी कानूनी कार्रवाई कर रही है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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