Saturday, October 12, 2024
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अर्चना तिवारी ‘पत्रकार’ नहीं, उस पर एक्शन ले कश्मीर पुलिस, क्योंकि उससे बात करते ही बाहर आ जाता है कश्मीरियों का ‘जहर’: यास्मीन खान की पत्रकारिता माशाअल्लाह!

अपने ट्वीट में यास्मीन हिंदुओं का मंदिर जलाने की बात खुलेआम कहने वाले मुश्ताक को मासूम कह रही है वहीं दूसरी ओर चुप-चाप उसकी बात सुनने वाली अर्चना तिवारी के लिए कश्मीर पुलिस को उकसा रही हैं कि वो उन्हें गिरफ्तार करें।

जम्मू-कश्मीर में चल रहे विधानसभा चुनावों में इस समय कई पत्रकार ग्राउंड पर जाकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इस दौरान वो जनता से कुछ सवाल करते हैं और बदले में जो जवाब आता है वो उस व्यक्ति विशेष की निजी राय होती है। ‘द राजधर्म’ की रिपोर्टर अर्चना तिवारी भी इस समय ग्राउंड पर ही हैं। वह लगातार कश्मीरी वोटरों से बात करते हुए उनकी राय अपने दर्शकों तक पहुँचा रही हैं।

इस रिपोर्टिंग के दौरान कभी हँसी-मजाक करते हुए कभी गंभीर रहते हुए अर्चना अपने सवाल करती हैं और सामने वाला शख्स उसका जवाब देता है। हाल में इसी सवाल-जवाब के क्रम में अर्चना तिवारी से एक मुश्ताक नाम का इस्लामी कट्टरपंथी टकरा गया। उसने खुलेआम कैमरे पर बोला कि अगर हिंदू उनकी जमीन पर आएँगे, रहेंगे, शराब पीएँगे तो वो लोग हिंदुओं को मारेंगे। इसके साथ उसने वीडियो में ये भी साफ-साफ कहा कि अगर उनके क्षेत्र में हिंदू मंदिर बना तो उन्हें (मुसलमानों को) उसे जलाना ही पड़ेगा।

इस वीडियो के पब्लिक होने के बाद कइयों ने इसे साझा करते हुए अपनी चिंता जताई और सोचने लगे कि 90 के दशक में ऐसी ही मानसिकता से भरे लोग कश्मीर में रहे होंगे इसलिए पंडितों का नरसंहार हुआ। ये सोच गलत भी नहीं जान पड़ती।

जब एक शख्स खुलेआम कैमरे पर इस तरह की बातें कर रहा है, अपनी नफरत दिखा रहा है तो सोचने वाली बात है कि एक हिंदू के मन में और क्या आ सकता है? अर्चना तिवारी ने अपनी वीडियो में बार-बार उस मुश्ताक को समझाना चाहा कि वो हिंदू हैं और उन्हें जब समस्या नहीं होती कि मुस्लिम रहें तो फिर मुस्लिमों को क्या परेशानी है।

अर्चना की बात सुन मुश्ताक एक बार नहीं, बार-बार यही दोहराता रहा कि वो मुसलमान है और उसे इस बात से प्रॉब्लम है कि कोई हिंदू मंदिर बने और हिंदू वहाँ पूजा पाठ करें।

मुश्ताक की वीडियो देखने के बाद जब कश्मीर में मुस्लिमों की कट्टर मानसिकता पर फिर सवाल उठने लगे तो इसे देख एक मुस्लिम महिला पत्रकार इससे बिदक गईं। महिला पत्रकार का नाम यास्मीन खान है। X पर मौजूद उनकी पब्लिक प्रोफाइल के बायो में लिखा है कि जामिया से पढ़ीं यास्मीन खान मुस्लिम मिरर, ग्रेटर कश्मीर, सलाम टीवी न्यूज, बतौर पत्रकार काम किया है और फिर ‘आवाज द वॉयस’ के लिए जम्मू-कश्मीर में रिपोर्ट कर रही हैं।

यास्मीन अर्चना तिवारी को पत्रकार नहीं मानतीं और चाहती हैं कि कश्मीर में ग्राउंड रिपोर्ट करने के लिए उन्हें जेल भेज दिया जाना चाहिए क्योंकि अर्चना की रिपोर्टिंग से कश्मीरियों का गलत चेहरा दुनिया के सामने आ रहा है। अपने ट्वीट में यास्मीन ने बिना अर्चना के नाम का उल्लेख करते हुए लिखा- “कश्मीर में एक व्यथित करने वाला प्रयास चल रहा है। एक यट्यूबर सड़कों पर उतरकर मासूम, कम-पढ़े लिखे लोगों से मंदिर, मस्जिद और शराब जैसे संवेदनशील मुद्दों पर उनकी विचार पूछ रही हैं। लोगों की समझ की कमी का फायदा उठाते हुए अपना नैरेटिव चला रही है। इससे हमारी कश्मीरियों को खतरा है। मेरा अनुरोध है कि श्रीनगर पुलिस ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार करे और हमारे समुदाय को इस खतरे से बचाएँ।”

यास्मीन ने बड़ी चालाकी से अपने एक्स पर ये ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने अर्चना का नाम तो नहीं लिखा लेकिन जो कंटेंट का विवरण उन्होंने दिया है उससे साफ है कि वो द राजधर्म वाली अर्चना तिवारी और मुश्ताक के बीच हुई बातचीत का ही जिक्र कर रही हैं। ट्वीट में वह हिंदुओं का मंदिर जलाने की बात खुलेआम कहने वाले मुश्ताक को मासूम कह रही है वहीं दूसरी ओर चुप-चाप उसकी बात सुनने वाली अर्चना तिवारी के लिए कश्मीर पुलिस को उकसा रही हैं कि वो उन्हें गिरफ्तार करें।

हैरानी की बात ये है कि इतनी अनुभवी पत्रकार होने के बावजूद यास्मीन सही गलत में फर्क नहीं समझ पा रहीं। अगर कोई उनके इस रवैये को देख उन्हें निष्पक्ष पत्रकार न कहकर मजहब के काम करने वाली पत्रकार कहे तो क्या गलत होगा?

वायरल वीडियो देखने पर साफ पता चलता है कि मुश्ताक से अर्चना ने बस ये सवाल किए थे कि भाजपा की किन बातों के कारण वो लोग उन्हें वोट नहीं देंगे… ये सवाल तो कोई घुमा फिराकर नहीं पूछा गया था। मगर, इस सीधे से सवाल का जवाब में अगर हिंदू घृणा दिखाई जाए…तो इसमें अर्चना की गलती क्या है और क्यों उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

अपने ट्वीट पर तो उन्होंने कश्मीर में रिपोर्टिंग के दौरान उस कश्मीरी उमर की वीडियो भी डाली है जो भारतीय सेना के जवानों को हीरो समझता है, मानता है कि जवान देश की जनता के लिए शहीद होते हैं, जिसका फेवरेट क्रिकेटर विराट कोहली है।

उन्होंने उस बुजुर्ग व्यक्ति की भी वीडियो डाली है जो कहते हैं कि इतने सालों में अब कश्मीर में शांति दिखने लगी है।

अब इन लोगों की प्रतिक्रिया डालना अगर गलत नहीं है या उनसे पूछे सवाल गलत नहीं हैं तो फिर मुश्ताक से किए गए सवाल कैसे गलत हो सकते हैं या उस शख्स से किए गए सवाल कैसे गलत हो सकते हैं जो जवाब में बस ये बोले कि उन्हें हिंदू किसी कीमत पर नहीं चाहिए।

सवाल करना और जवाब पूछना… यही प्रक्रिया तो ग्राउंड पर रहते हुए हर पत्रकार फॉलो करता है। वो भी चुनावी रिपोर्टिंग के दौरान तो खासकर लोगों के मन टटोले जाते हैं कि उन्हें किस पार्टी का क्या काम पसंद है क्या नहीं। इसमें गिरफ्तारी की बात कैसे आ गईं?

कहीं अपने आपको कश्मीरी पत्रकार कहने वाली यास्मीन खान को अर्चना तिवारी से समस्या इसलिए हो रही है क्योंकि उनकी रिपोर्टिंग के जरिए कट्टरपंथ में सने लोग और उनकी हिंदू घृणा से लबरेज विचार सामने आ रहे है।

यास्मीन कहती हैं कि अर्चना कश्मीर के भोले-भाले लोगों अपने जाल में फँसा रही हैं और उनसे ऐसी बातें उगलवा रही हैं। उन्हें ये चिंता नहीं है कि कश्मीर के लोगों के मन में हिंदुओं के प्रति कितना जहर घुला हुआ है, उनकी समस्या ये है कि अगर कश्मीर के कट्टरपंथी मुस्लिम अगर ऐसी सोच रखे भी हुए हैं तो इसका पता दुनिया को नहीं चलना चाहिए ताकि यास्मीन जैसे लोग पत्थरबाजों को मासूम कहने वाला अपना जमकर नैरेटिव चला सकें।

इन लोगों की यसी मानसिकता वजह है कि ये आज भी बातें कश्मीर और कश्मीरियत की करते हैं लेकिन कश्मीर की भलाई के लिए हटाए गए आर्टिकल 370 के फैसले को नहीं पचा पाए हैं। उनकी इसी मंशा को परखते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने मेनिफेस्टो में घोषणा भी की है कि अगर उनकी सरकार आती है तो वो अनुच्छेद 370 को लेकर आएँगे। शायद यास्मीन जैसों को लगता है कि अनुच्छेद 370 आने के बाद दोबारा से उनका दौर आ जाएगा।

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