Friday, November 22, 2024
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उन्नाव के एक गाँव में शिव मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं कर सकते हिंदू, क्योंकि मुस्लिम बहुसंख्यक हैं-पास में ही है मस्जिद: ऑपइंडिया ने पूछा सवाल तो जवाब देने में आनाकानी करने लगा SHO

इस्लामी कट्टरपंथियों का कहना है मंदिर से सिर्फ 100 मीटर दूर मस्जिद है। मंदिर बन जाने से उनकी नमाज में दिक्कत आएगी। वहीं, स्थानीय पुलिस ने तात्कालिक रूप से 26 मुस्लिमों और 6 हिंदुओं को पाबंद किया, ताकि मामला ठंडा पड़ जाए।

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रानीपुर गाँव में स्थित मंदिर के जीर्णोद्धार को इस्लामी कट्टरपंथियों ने रोकने का प्रयास किया है। बीघापुर कोतवाली की निबई चौकी के अंतर्गत आने वाले इस गाँव में निहाल, अनीस खान, असगर खान, शोएब, सलीम, यूनुस, अच्छे, रईस जैसे स्थानीय कट्टरपंथियों का कहना है कि मंदिर के निर्माण से मस्जिद में नमाज़ के समय बाधा उत्पन्न होगी, क्योंकि मस्जिद केवल 100 मीटर की दूरी पर स्थित है।

रानीपुर गाँव मुस्लिम बहुल है, जहाँ सवा सौ से अधिक मुस्लिम परिवार और केवल 25-30 हिंदू परिवार रहते हैं। इस गाँव में एक शिव मंदिर है, जो 70 वर्ष से भी अधिक पुराना है। इस मंदिर के चबूतरे पर हिंदू परिवार अपने धार्मिक कार्य जैसे मुंडन, छेदन और शादी-विवाह संपन्न करते हैं। मंदिर के चबूतरे पर चारों ओर दीवारें और खंभे खड़े हैं, लेकिन छत डालने का कार्य अभी लंबित है, क्योंकि गाँव के निहाल, अनीस खान, असगर खान, शोएब, सलीम, यूनुस, अच्छे, रईस जैसे बहुसंख्यक इस्लामी कट्टरपंथियों को ये पसंद नहीं है। इस्लामी कट्टरपंथियों का कहना है मंदिर से सिर्फ 100 मीटर दूर मस्जिद है। मंदिर बन जाने से उनकी नमाज में दिक्कत आएगी।

यह विवाद 7-8 अक्टूबर 2024 को पुलिस की चौकी से बीघापुर कोतवाली तक पहुँचा। पुलिस ने तात्कालिक रूप से 26 मुस्लिमों और 6 हिंदुओं को पाबंद किया, ताकि मामला ठंडा पड़ जाए। हालाँकि मामला शांत होता नहीं दिखा, और 20 अक्टूबर 2024 को यह विवाद सोशल मीडिया पर छा गया।

इस पर स्थानीय दैनिक जागरण अखबार ने रिपोर्ट बनाई। जागरण की टीम ने मामले में सीओ से भी बात की और फिर सोमवार (21 अक्टूबर 2024) को एक न्यूज पब्लिश की है। इस न्यूज रिपोर्ट में बीघापुर कोतवाली क्षेत्र के सीओ ऋषिकांत शुक्ल का बयान है। जिसमें उन्होंने कहा है कि धार्मिक स्थल बनाने से पहले प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है। ग्रामीणों (हिंदुओं) को प्रशासन से अनुमति लेने के लिए कहा गया है। प्रशासन से अनुमति (अगर) मिल गई, तो मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो सकता है। इस पूरे मामले की रिपोर्ट एसडीएम को भेजी जा चुकी है।

इतना तो ठीक है। सीओ ने बयान दे दिया, आधिकारिक कार्रवाई चल रही है। चूँकि मामले में पाबंदी की गई है, ऐसे में ये मामला स्थानीय कोतवाल (कोतवाली के SHO अब कोतवाल ही हुए) को भी पता ही होगा, लेकिन जब ऑपइंडिया ने SHO राजपाल से फोन पर संपर्क काटा, तो उन्होंने साफ तौर पर मामले से ही इनकार कर दिया, लेकिन जब मामले की मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से सीओ के बयान की जानकारी दी गई, तो उन्होंने पूरे मामले में सफाई देने के अंदाज में आ गए।

जो SHO अभी तक ये कह रहे थे कि कोई विवाद ही नहीं है, वो मामले को घुमाते दिखे। बीघापुर के SHO राजपाल ने कहा, “कोई विवाद नहीं है। ये मामला 7-8 अक्टूबर का है। दोनों तरफ से लोगों को पाबंद कर दिया गया है।” ये पूछने पर, कि क्या पाबंदी बिना किसी विवाद के ही हो गई? इसका भी उन्होंने बचाव किया और कहा, “मामले को बढ़ने से रोकने के लिए पाबंदी की गई।” मतलब साफ है, विवाद है।

ये मामला मीडिया में न उठ जाए, शायद SHO साहब इस बात की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्नव पुलिस का हैंडल संभालने वाले तो उससे भी 20 कदम पीछे निकले। उन्नाव पुलिस की सोशल मीडिया टीम तो मामले की जानकारी ले रहे युवक से ही पूछ लिया, “थाना कौन सा है?”

दरअसल अविरल नाम के युवक ने उन्नाव पुलिस और यूपी पुलिस को टैग करते हुए लिखा था, “उत्तर प्रदेश से चौंकाने वाली खबर! 90% आबादी हम मुसलमानों की है, हम मंदिर बनने नहीं देंगे! मुस्लिम बाहुल्य गाँव में हिन्दुओं को मंदिर बनाने से मुस्लिम भीड़ ने रोका! उन्नाव के रानीपुर गाँव में कट्टरपंथी मुसलमानों की मनमानी! @unnaopolice @Uppolice मामले का सच क्या है?” इसके जवाब में उन्नाव पुलिस ने ही पूछ लिया, “कृपया, थाना क्षेत्र अवगत कराएँ।”

यह जवाब पुलिस की निष्क्रियता और समस्या को टालने का एक स्पष्ट संकेत था। अविरल द्वारा उठाए गए इस मामले को लेकर पुलिस का ध्यान हटाने की कोशिश साफ नजर आती है। यह मुद्दा हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों के हनन और उत्पीड़न का है, लेकिन पुलिस प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

यह स्पष्ट है कि इस्लामी कट्टरपंथियों का दबदबा गाँव में लंबे समय से बना हुआ है और पुलिस-प्रशासन ने इस पर अंकुश लगाने के बजाय घुटने टेक दिए हैं। मंदिर के जीर्णोद्धार को प्रशासनिक अनुमति के पेंच में फँसाकर लटकाया जा रहा है। यह देखना बाकी है कि यह अनुमति कब मिलती है, लेकिन उन्नाव पुलिस द्वारा इसे विवाद न मानने की कोशिशें स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। यदि यह मामला मस्जिद से जुड़ा होता, तो प्रशासन तत्काल कार्यवाही करता, परंतु इस मामले में हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों के हनन को गंभीरता से नहीं लिया गया है। ऐसे में लगता है मानों पुलिस-प्रशासन ने घुटने टेक रखे हो।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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