छत्तीसगढ़ के एक दूसरे मजहब के युवक इब्राहिम ने अपना नाम और धर्म बदलकर एक हिन्दू लड़की से शादी की। दोनों युवक और युवती छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले 33 वर्षीय इब्राहिम सिद्दकी ने 23 साल की अंजलि जैन से शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन करके (जैसा उसने कोर्ट को बताया) अपना नाम आर्यन रख लिया। इसके बाद इब्राहिम ने रायपुर के एक आर्य समाज मंदिर में जाकर अंजलि से विवाह किया।
दूसरे मजहब के लड़के से शादी की बात सुनते ही लड़की के घरवालों के तो जैसे होश उड़ गए! लड़की के घर वालों ने अपनी बेटी को तुरंत अपने पास बुला लिया और फिर कभी वापस इब्राहिम के पास जाने नहीं दिया। इसके बाद दो अलग-अलग मजहबों की शादी को लेकर विवाद हुआ और लड़की के घर वालों ने इस घटना को लव जिहाद करार दिया। अंजलि के परिवार वालों के मुताबिक इब्राहिम ने बहला-फुसलाकर उनकी बेटी से शादी की। यह शादी फरवरी 2018 में हुई थी। तब अंजलि की उम्र 22 साल जबकि इब्राहिम की उम्र 26 साल थी।
इसके बाद इब्राहिम अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए बिलासपुर हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। इस पर हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि अंजलि को सरकारी हॉस्टल या अपने माता-पिता के पास रहना होगा। और इब्राहिम की याचिका खारिज कर दी। अंजलि ने हॉस्टल में रहने का फैसला लिया। इस मामले में पेंच यह था कि इब्राहिम पहले शादीशुदा था और अंजलि से प्रेम के कारण उसने अपनी पत्नी को तलाक दिया था।
हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए इब्राहिम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। लेकिन यहाँ भी पेंच! अंजलि ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसके माता-पिता और परिवार वालों ने उसकी आजादी पर कोई रोक नहीं लगाई है और न ही उसे जोर-जबरदस्ती कर अपने कब्जे में रखा है। अंजलि के इस बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इब्राहिम की याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद अप्रत्याशित ढंग से अंजलि ने बिलासपुर हाई कोर्ट को एक चिट्ठी लिखी। चिट्ठी में उसने अपने परिवार वालों पर जोर-जबरदस्ती का आरोप लगाया और कहा कि वो अपने पति इब्राहिम यानी आर्यन के साथ रहना चाहती है। अंजलि का ने यह बताया कि उसने यह शादी किसी के दबाव में नहीं की बल्कि दोनों के बीच आपसी प्यार के चलते यह रिश्ता आगे बढ़ा।
इसी चिट्ठी के आधार पर बिलासपुर हाई कोर्ट ने दोनों के रिश्ते को जायज़ ठहराते हुए फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अंजलि को अपनी मर्ज़ी के व्यक्ति के साथ प्रेम व शादी करने तथा अपनी मर्ज़ी की जगह रहने का फैसला सुनाया है।