मंगलवार (18 अगस्त 2020) को प्रदीप गुप्ता नाम के व्यक्ति ने आगरा दक्षिणी बाईपास से 34 यात्रियों को ले जा रही बस का अपहरण कर लिया था। गुरूवार की सुबह एसओजी, क्राइम ब्रांच और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में आरोपित प्रदीप के पैर में गोली लगी और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इस अभियान में यूपी पुलिस का एक सिपाही सुदर्शन घायल भी हुआ था। आरोपित प्रदीप ने पूछताछ में बताया कि उसे बस मालिक से 65 लाख रुपए लेने थे लेकिन कुछ समय पहले उसकी मौत हो गई थी। यह रुपए वसूलने के लिए उसने बस कब्ज़े में लेने की कोशिश की थी।
पूरे मामले में सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि पुलिस ने घटना के एक दिन के भीतर ही आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित को गिरफ्तार करने के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस के सामने एनकाउंटर जैसे हालात बन गए। लेकिन पुलिस तैयार थी और अंत में आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया।
मंगलवार को मुख्य आरोपित प्रदीप और उसके साथियों ने यात्रियों से भरी बस का अपहरण किया था। बुधवार (19 अगस्त 2020) की सुबह बस के चालाक और परिचालक ने मालपुरा थाने में इस घटना की जानकारी दी।
परिचालक रामविलास की शिकायत के आधार पर पुलिस ने अज्ञात आरोपित पर डकैती और अपहरण की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद आगरा और लखनऊ की पुलिस सक्रिय हुई। जाँच पड़ताल के दौरान खाली बस इटावा में मिली और वहाँ यह भी पता चला कि सवारियों को दूसरी बस में बैठा दिया गया है। वह बस छतरपुर (मध्य प्रदेश) पहुँच गई थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की गई शुरूआती खोजबीन में जैतपुर के रहने वाले प्रदीप गुप्ता का नाम सामने आया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर फिरोजाबाद, आगरा और इटावा में उसकी तलाश की।
उसी दिन शाम के वक्त प्रदीप गुप्ता की एक गाड़ी कचौरा घाट चित्राहट में मिली। यह बात भी सामने आई कि साल 2018 के दौरान प्रदीप पर समानांतर आरटीओ कार्यालय चलाने का आरोप था और वह इस मामले में जेल भी जा चुका था।
गुरूवार (20 अगस्त 2020) की सुबह लगभग 5 बजे आरोपित प्रदीप गुप्ता अपने साथी यतेन्द्र यादव फतेहाबाद के भलोखरा चौराहा के नज़दीक बाइक से जा रहा था। वह पुलिस से बच कर भाग रहा था, इसलिए वह आगरा से बाहर जाना चाहता था।
तभी मौके पर उसे क्राइम ब्रांच, एसओजी और कई थानों की पुलिस ने घेर लिया। खुद को पुलिस से घिरा हुआ देख कर उसने पुलिस पर गोली चला दी। इसके बाद पुलिस ने भी जवाब में गोली चलाई, जिसके बाद प्रदीप गुप्ता के पैर में गोली लगी और वह बाइक से गिर पड़ा। इस दौरान उसका साथी घटनास्थल से फ़रार हो गया और पुलिस ने मौके से तमंचा और चोरी की बाइक बरामद की। घटना की जानकारी मिलते ही एसएसपी बबलू कुमार भी वहाँ पहुँचे।
फ़िलहाल आरोपित को नज़दीक के एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। पूछताछ में प्रदीप ने पुलिस को कई बातें बताई। उसने कहा वह बस मालिक अशोक अरोड़ा को कई सालों से जानता था। वह अशोक अरोड़ा की लगभग साड़ी बसों का टैक्स जमा करता था। प्रदीप ने कई बार कहा था कि उसे उसके 65 लाख रुपए चाहिए। लेकिन हाल ही में बस मालिक की मृत्यु हो गई और उसके रुपए डूब गए।
फिर उसने बस को कब्ज़े में लेने की योजना बनाई। उसने बस को पहले सैंया टोल पर पकड़ने के प्रयास किया था लेकिन बस गुरुग्राम चली गई थी। वह अपने साथियों के साथ वहाँ भी पहुँच गया लेकिन वहाँ उसे सफलता नहीं मिली। फिर उसने तय किया कि आगरा में बस का अपहरण करेगा। अंत में फाइनेंसकर्मी बन कर उसने बस का अपहरण किया। इसके बाद उसने यात्रियों को दूसरी बस में बैठा दिया और अपहरण की गई बस को इटावा में खड़ा कर दिया।
जब उसे जानकारी हुई कि इस मामले में पुलिस उसके पीछे पड़ चुकी है तब उसने भागना शुरू किया। लेकिन पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की और एक दिन होते ही आरोपित को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया।