भारत-चीन तनाव के बीच सोनिया गाँधी अपने रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए विदेश निकल गई हैं और उनके बेटे राहुल गाँधी भी साथ गए हैं। जहाँ सोनिया गाँधी रायबरेली से पाँचवीं बार सांसद बनी हैं, वहीं राहुल गाँधी 3 बार अमेठी का प्रतिनिधित्व करने के बाद अब केरल के वायनाड से सांसद हैं। सोनिया भी अमेठी का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। ऐसे में संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले दोनों का विदेश जाना एक संयोग नहीं है, ऐसा कई लोगों को लग रहा।
भारत और चीन के बीच जब से तनाव शुरू हुआ है, तब से राहुल गाँधी की भाषा पर गौर किया जाए तो हमें पता चलता है कि उन्होंने आज तक चीन की आलोचना में एक शब्द भी नहीं कहे लेकिन प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए उनके लिए ‘सरेंडर मोदी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। राहुल गाँधी लगातार कहते रहे कि चीन ने हमारी जमीन हड़प ली है और मोदी सरकार इस मामले में डर कर हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
एक और बात गौर करने लायक ये भी है कि राहुल गाँधी ने कभी उन मीडिया रिपोर्ट्स तक पर भी प्रतिक्रिया नहीं दी, जिनमें भारतीय सेना के पराक्रम की बात की गई। गलवान संघर्ष में 40 चीनी फौजियों के मारे जाने की बात सामने आई लेकिन राहुल गाँधी ने सेना की पीठ नहीं थपथपाई। हाल ही में एक अमेरिकी रिपोर्ट में इससे भी ज्यादा का आँकड़ा दिया गया है लेकिन राहुल गाँधी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुप रहे।
इसके अलावा सेना और सरकार द्वारा जारी किए गए किसी भी बयान का राहुल गाँधी ने समर्थन नहीं किया और ‘चीन ने हमारी जमीन हड़प ली’ वाला राग अलापते रहे। कॉन्ग्रेस पार्टी ने कभी भी इस बात की भी चर्चा नहीं की कि आज भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवान उन चोटियों पर डेरा डाले हुए हैं, जहाँ 1962 के बाद से ही वो नहीं गए थे। आज चीन की गतिविधियों ऊपर भारतीय सशस्त्र बलों की सीधी नज़र है।
ऐसे में ये सवाल तो उठेगा ही कि क्या सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी चीन के डर से संसद सत्र के पहले हिस्से में भाग नहीं ले रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें चीन की आलोचना या निंदा करनी पड़ेगी? क्या सोनिया-राहुल चीन के खिलाफ एक भी शब्द बोलने से डर रहे हैं? भारत-चीन तनाव के बीच ही राहुल ने अपने वीडियो सीरीज शुरू किया और इस तनाव के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार तो ठहराया लेकिन चीन की आलोचना नहीं की।
Congress interim president Sonia Gandhi has gone abroad for two weeks for a routine check-up, Rahul Gandhi has accompanied her. They will attend the Parliament session after returning: Congress Sources (file pic) pic.twitter.com/f3sazkXvIm
— ANI (@ANI) September 12, 2020
कभी सीमा पर भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों को अलग-अलग भोजन मिलने की बात करते हैं तो कभी चीन विवाद को मोदी की छवि से जोड़ कर देखते हैं। हाल ही में चीन के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भी एक वीडियो जारी कर दिखाया था कि जहाँ वहाँ के फौजी ठण्ड में ड्रोन से आया गर्मागर्म खाना खाएँगे, वहीं भारतीय सेना के जवाब भूखे रहेंगे। राहुल गाँधी और चीन, दोनों एक ही बातें कर रहे हैं। ऐसे में कैसे वो संसद में चीन की करतूतों की निंदा करने का साहस जुटा पाएँगे?
चीनी मुखपत्र ने तो ये भी लिखा कि कॉन्ग्रेस पार्टी मौके की ताक में है और कभी भी मोदी सरकार को हिला सकती है, जिसके लिए वो मुद्दा ढूँढ रही है। ऐसे में ये आरोप लगना स्वाभाविक है कि जब ये सारे सवाल संसद में उठेंगे, तब सत्ताधारी दल की बड़ी संख्या बल के सामने जवाब नहीं जुटे तो क्या होगा? क्या यही वो डर है, जिसने सोनिया-राहुल को विदेश जाने के लिए मजबूर कर दिया है? क्योंकि चीन की इतनी तरफदारी आजकल तो वामपंथी दल भी नहीं करते।
इसी तरह जब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी भारत-चीन मुद्दे पर बोल रहे थे, तब राहुल गाँधी सोते हुए नज़र आए थे। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी कहा था कि जिस तरह से इश्क और मुश्क छिपाने से भी नहीं छिपते, ठीक वैसे ही कॉन्ग्रेस और चीन के बीच चल रहे प्रेम के बारे में सभी को पता है। उन्होंने दावा किया था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की कॉन्ग्रेस पार्टी के बीच समझौते हुए हैं, जिसकी जानकारी अब सार्वजनिक की जानी चाहिए।
भाजपा का आरोप है कि 2008 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और कॉन्ग्रेस ने एक MOU पर हस्ताक्षर किए थे, इसीलिए दोनों के बीच का प्रेम किसी से छिपा हुआ नहीं है। आखिर उस MOU में क्या था, इसका विवरण अब तक सामने नहीं आया है? क्या कोई ऐसा करार है, जिसके तहत गाँधी परिवार ने चीन और शी जिनपिंग के खिलाफ न बोलने की शपथ ली हुई है और इसीलिए वो संसद सत्र में सवालों से बचने के लिए भाग गए?
ये भी अजीब विडम्बना है क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि जब ऐसे मौके आते हैं, तब सरकारें जवाब देने से बचती रही हैं लेकिन यहाँ तो विपक्ष के प्रथम परिवार के दो लोग ही देश से निकल लिए। कॉन्ग्रेस तो कहती है कि देश में अशांति है और माहौल खराब है, फिर उसे क्या ज़रूरत है भागने की क्योंकि अभी तो मोदी सरकार को घेरने के लिए उसके हिसाब से सबसे मुफीद समय होना चाहिए न? कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष देश से बाहर हैं और पार्टी संसद में लड़ेगी… वाह रे देश की सबसे परानी पार्टी!
23 नेताओं ने पत्र लिख कर गाँधी परिवार को घेरा है और पार्टी में लोकतंत्र की माँग की है। संगठन में हुए महत्वपूर्ण बदलावों में उन नेताओं को नज़रअंदाज़ किया गया है और वफादारों की चाँदी हो गई है। पार्टी के लिए भी आंतरिक कलह के कारण ये ठीक समय नहीं है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने के बाद अभी-अभी सचिन पायलट की बगावत रही है। ऐसे समय में दोनों के विदेश जाने पर अटकलों का बाजार गर्म होना आम है।