सर्वोच्च न्यायालय ने नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, अमेज़ॅन प्राइम जैसे अन्य ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और सही प्रबंधन की माँग वाली याचिका को स्वीकार करने पर सहमति व्यक्त की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की एक पीठ ने अधिवक्ता मंजू जेटली शर्मा के माध्यम से शशांक शेखर झा द्वारा दायर जनहित याचिका में नोटिस जारी किए।
याचिकाकर्ता ने याचिका में माँग की है कि कोर्ट सरकार को सेंट्रल बोर्ड फ़ॉर रेग्युलेशन एंड मॉनिटरिंग ऑफ ऑनलाइन वीडियो कंटेंट्स (CBRMOBC) नाम की एक स्वायत्त संस्था के गठन का आदेश दे। इसकी अध्यक्षता सचिव स्तर के वरिष्ठ IAS अधिकारी करें। बोर्ड में सिनेमा और वीडियो कार्यक्रम निर्माण से जुड़े लोगों, शिक्षाविद, कानूनविद और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का भी उचित प्रतिनिधित्व रखा जाए।
Supreme Court agrees to consider PIL seeking regulation of OTT platforms such as Netflix and Amazon Prime etc by an autonomous body.
— Bar & Bench (@barandbench) October 15, 2020
CJI Bobde: We will issue notice. We don’t know if it is possible but we are issuing notice.#SupremeCourt #Netflix #AmazonPrime pic.twitter.com/QHEmUZoxMv
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि अदालत को यह पता नहीं है कि इस तरह रेगुलेशन संभव है या नहीं। हालाँकि, अदालत ने उन पक्षों को नोटिस जारी करने का फैसला किया है जो मामले में शामिल हो सकते हैं।
याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से अभी देश में सिनेमाघर जल्दी खुलने की उम्मीद नहीं है और ओटीटी-स्ट्रीमिंग और विभिन्न डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म्स ने फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को किसी प्रकार की मंजूरी के बगैर ही इसे प्रदर्शित करने का रास्ता दे दिया है।
याचिका में आगे कहा गया है कि इस प्रकार, इन प्लेटफार्मों पर उपलब्ध सामग्री को ठीक से विनियमित और मॉनिटर किया जाना चाहिए। इस समय डिजिटल सामग्री की निगरानी या प्रबंधन के लिए कोई कानून या स्वायत्त संस्था नहीं है और कई ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म द्वारा इसे बगैर किसी जाँच परख के ही जनता को परोसी जा रही है। क्योंकि इसे विनियमित करने के लिए कोई स्वायत्त निकाय नहीं है।
इनको नियंत्रित करने के लिए कोई कानून नहीं होने के कारण ही रोज कोई न कोई मामला दायर हो रहा है। कानून में इस तरह की खामियों की वजह से सरकार को रोजाना जनता की नाराजगी झेलनी पड़ रही है, इसके बावजूद संबंधित प्राधिकारियों ने कोई उपाय नहीं किए।
गाइडलाइंस की कमी
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अक्टूबर 2019 में, घोषणा की थी कि वे निषिद्ध सामग्री की एक सूची प्रकाशित करेंगे। जनवरी 2020 में, आठ वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस Netflix, Hotstar, Voot, ZEE5, Arre, SonyLIV, ALT Balaji और Eros ने एक स्व-नियामक कोड पर हस्ताक्षर किया था ताकि यह तय किया जा सके कि कौन से कंटेंट ओटीटी प्लेटफार्मों से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। हालाँकि, MIB ने अब तक कोई भी दिशानिर्देश जारी नहीं किया है।