Monday, December 23, 2024
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उइगर पर नहीं जगा जमीर, टीवी सीरियल पर ‘चीन के बहिष्कार’ की आवाज लगा रहा अर्सलन हिदायत

चीनी शो में पैगंबर के चित्रण ने अब इस्लामी दुनिया पर सवाल उठाते हुए एक बहस शुरू कर दी है कि क्या वे फ्रांस के शिक्षक की निंदा के बाद पैगंबर मुहम्मद के कैरिकेचर के चित्रण के लिए चीन की निंदा करेंगे?

फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कैरिकेचर के चित्रण पर व्यापक विवाद के बीच, चीन द्वारा संचालित टीवी चैनल चाइना सेंट्रल टेलीविज़न (सीसीटीवी) पर प्रसारित टीवी सीरीज का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है।

उइगर मानवाधिकार कार्यकर्ता अर्सलन हिदायत ने ट्विटर पर एक चीनी टीवी सीरीज का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें तांग राजवंश के शासन के दौरान अरब राजदूत के चीन जाने के सीन को दिखाया गया है। वीडियो में अरब राजदूत को पैगंबर मोहम्मद के चित्र को चीनी सम्राट को भेंट करते हुए देखा जा सकता है।

इंटरनेट पर वायरल हुए वीडियो में चीनी टीवी सीरीज ‘कैरोल ऑफ झेंगुआन’ में प्रदर्शित पैगंबर मोहम्मद की छवि को देखा जा सकता है। अर्सलन हिदायत के अनुसार, शो में चित्रित राजदूत कहते हैं, “यह हमारे देश के भगवान मोहम्मद का चित्र है।”

चीनी शो में पैगंबर के चित्रण ने अब मजहबी दुनिया पर सवाल उठाते हुए एक बहस शुरू कर दी है कि क्या वे फ्रांस के शिक्षक की निंदा के बाद पैगंबर मुहम्मद के कैरिकेचर के चित्रण के लिए चीन की निंदा करेंगे? इस रिपोर्ट को लेकर न तो चीनी अधिकारियों और न ही चीन सेंट्रल टेलीविज़न (सीसीटीवी) सीरीज के निर्माताओं ने अपनी टीवी सीरीज में पैगंबर मोहम्मद के चित्रण के दावों का खंडन किया है। इससे पता चलता है कि चीनी अधिकारियों को अपने टीवी शो में पैगंबर मोहम्मद को चित्रित करने में कोई समस्या नहीं है। हालाँकि, इन दिनों उनकी छवि को चित्रित करना उनके लिए निंदनीय हो गया।

क्या इस्लाम में मोहम्मद का चित्रण हमेशा मना किया गया है?

हिदायत द्वारा शेयर किए गए वीडियो के बाद ये बहस तेज हो गई है कि क्या अतीत में पैगंबर मोहम्मद का चित्रण वास्तव में ईश निंदा था। इस चीनी टीवी सीन के इंटरनेट पर वायरल होने के साथ, विभिन्न सोशल मीडिया यूजर्स अब बता रहे हैं कि पैगंबर मोहम्मद के चित्रों का चित्रण अतीत में मना नहीं था।

एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोना सिद्दीकी के अनुसार , कुरान में ऐसा कुछ भी जिक्र नहीं है, जो स्पष्ट रूप से पैगंबर के चित्रण को मना करता है। यह विचार हदीसों से उत्पन्न हुआ।

सिद्दीकी यह भी बताते हैं कि मजहबी कलाकारों द्वारा मंगोल और ओटोमन साम्राज्यों में मोहम्मद के चित्रण हैं। इनमें से कुछ चित्रों में, मोहम्मद के चेहरे की विशेषताएँ छिपी हुई हैं, हालाँकि, यह स्पष्ट है कि यह वही हैं। उन्होंने कहा कि चित्र भक्ति से प्रेरित थे। उन्होंने कहा, “अधिकांश लोगों ने इन चित्रों को प्रेम और मन्नत से बाहर निकाला, न कि मूर्तिपूजा के इरादे से।” विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पैगंबर मोहम्मद की छवियाँ विलासिता का प्रतीक बन गईं, जिनका उद्देश्य केवल मूर्तिपूजा से बचने के लिए निजी तौर पर देखा जाना था।

मजहबी देश ने पैगंबर के चित्रण के लिए फ्रांस का बहिष्कार किया

पिछले हफ्ते पेरिस में फ्रांसीसी शिक्षक पर हुए भयानक हमले और शार्ली एब्दो में छपी कार्टून पर ‘ईश निंदा’ का आरोप लगाए जाने एवं फ्रांसीसी निवासियों के सार्वजनिक प्रदर्शन के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इस्लामिक आतंकी हमले के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। इस्लामवादियों द्वारा पूरे विश्व में उत्पन्न संकट को चिह्नित करते हुए इमैनुएल मैक्राँ ने खुल कर बोला था कि इस्लाम एक ऐसा मजहब है जो पूरे विश्व में संकट में है। इसके साथ ही दिसंबर में एक बिल पेश करने की कसम खाई जिससे कि फ्रांस में आधिकारिक तौर पर चर्च और राज्य को अलग करने वाले कानून को मजबूत किया जा सके।

छात्रों को पैगंबर मुहम्मद के कार्टून दिखाने के लिए एक आतंकवादी द्वारा पेरिस की सड़कों पर सैमुअल पैटी की बर्बरतापूर्ण हत्या के कुछ दिनों बाद, फ्रांसीसी समुदायों में मृत शिक्षक का समर्थन करने वालों का समर्थन किया था, जो सैमुअल पैटी की हत्या की निंदा करने के लिए सड़कों पर उतरे थे।

बता दें कि पेरिस में पिछले शुक्रवार (अक्टूबर 16, 2020) को सैम्युल पैटी नामक शिक्षक की हत्या की गई थी। उनकी गलती बस ये थी कि उन्होंने क्लास के दौरान ‘शार्ली एब्दो’ अख़बार में प्रकाशित पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून दिखाया, जिसके बाद एक लड़के ने दिन दहाड़े उनका सिर कलम कर के उनकी हत्या कर दी। बाद में पुलिस ने भी हत्यारे छात्र को मार गिराया।

47 वर्षीय इतिहास के शिक्षक सैमुअल पैटी (Samuel Paty) को फ्रांस ने अपना सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देने का फैसला किया। इसके साथ ही फ्रांस 231 विदेशी कट्टरपंथी नागरिकों को बाहर निकालने की तैयारी कर रहा है। फ्रांस सरकार की तरफ से होने वाली यह कार्रवाई कट्टरपंथ और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में एक अहम कदम माना जा रहा है। 

फ्रांस के राष्ट्रपति के इस्लामी आतंकवाद संबंधी बयान को लेकर मजहबी देशों ने फ्रांस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फ्रांस की उत्पादों के बहिष्कार की माँग जोर पकड़ती जा रही है। सऊदी अरब, कुवैत, जॉर्डन और कतर में कई दुकानों से फ्रांस निर्मित सामान को हटा दिया गया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान, तुर्की और बांग्लादेश में भी फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

क्या टीवी सीरीज पर पैगंबर के चित्रण के लिए चीन का बहिष्कार किया जाएगा?

चीनी टीवी सीरीज में खुले तौर पर पैगंबर मोहम्मद का चित्रण करने पर क्या चीन का बहिष्कार किया जाएगा? सोशल मीडिया यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि जिस तरह से फ्रांस के राष्ट्रपति की निंदा की गई और वहाँ के उत्पादों का बहिष्कार किया गया, क्या उसी तरह से मजहबी दुनिया चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की निंदा करेगी और वहाँ के उत्पादों का बहिष्कार करेगी? वह भी ऐसे में जब चीनी सरकार ने उइगरों के साथ अत्याचार किया है, जिस पर आमतौर पर पाकिस्तान जैसे कुछ इस्लामी देशों ने चुप्पी साध रखी है।

चूँकि पाकिस्तान ने पहले ही फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया है, इसलिए यह देखना होगा कि पाकिस्तान क्या विकल्प चुनता है – ‘इस्लाम’ को बचाने के लिए चीन के खिलाफ लड़ाई या चीनी ‘ईश निंदा’ कार्यों को अनदेखा करना।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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