Friday, May 3, 2024
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मनसुख हिरेन की हत्या के समय गाड़ी में मौजूद था सचिन वाजे, क्लोरोफॉर्म देकर नदी में फेंका गया शव

मनसुख हिरेन को ‘मारा’ ही गया था। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि शव पर चोट के निशान थे। टाइम्स नाऊ का ये भी दावा है कि हिरेन की मौत के बाद सचिन वाजे ने डोंगरी के एक बार में छापा मारा था। बार के मालिक ने स्वयं इसकी पुष्टि की है।

मुंबई में ठाणे व्यवसायी मनसुख हिरेन की मौत के मामले में महाराष्ट्र ATS ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। एटीएस के सूत्रों से मीडिया को पता चला है कि हिरेन को नदी में फेंकने से पहले क्लोरोफॉर्म दिया गया था। वहीं मोबाइल टावर और आईपी मूल्यांकन के बाद ये बात सामने आई है कि जब हिरेन को मारा गया तब सचिन वाजे उसी कार में मौजूद थे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, मनसुख हिरेन को ‘मारा’ ही गया था। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि शव पर चोट के निशान थे। टाइम्स नाऊ का ये भी दावा है कि हिरेन की मौत के बाद सचिन वाजे ने डोंगरी के एक बार में छापा मारा था। बार के मालिक ने स्वयं इसकी पुष्टि की है। 

बार मालिक ने कहा कि वाजे, डोंगरी पुलिस के साथ वहाँ गया था। पुलिस की टीम 11:30 बजे आई और 2 बजे चली गई। जाँच बेवजह की थी। कोई अनियमतता नहीं मिली। बार उस समय चालू नहीं था।

मीडिया के हाथ लगी एक अन्य सीसीटीवी फुटेज में मनसुख हिरेन को 17 फरवरी को सीएसटी रेलवे स्टेशन के बाहर चलती रोड पर रात 8: 45 पर देखा जा सकता है। इसमें वह अपनी लक्जरी कार में घुसते नजर आ रहे हैं।

NIA ने जाँच में इस गाड़ी को जब्त कर लिया है। जाँच एजेंसियों को लग रहा है कि हिरेन ने अपनी स्कॉर्पियों उसी दिन वाजे को दे दी थी और तभी उन्होंने विखरोली थाने में कार चोरी की शिकायत लिखवाई थी।

पूरे केस में सचिन वाजे को लेकर एक फुटेज भी मीडिया के पास आई है। इसमें उनकी गाड़ी 5 सितारा होटल में घुसती दिख रही है। यहाँ वाजे के हाथ में एक बैग और उस बैग के स्कैन से ये पता लग रहा है जैसे उसमें कैश और जिलेटिन की छड़े हों।

मालूम हो कि मुकेश अंबानी के घर से कुछ दूरी पर जिलेटिन से भरी कार मिलने के मामले में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की पुलिस हिरासत 3 अप्रैल तक बढ़ा दी गई। कोर्ट में वाजे ने कहा कि उसका इस अपराध मामले में कोई लेना-देना नहीं है और उसे केवल बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

अदालत में वाजे ने कहा कि वो केवल डेढ़ दिनों के लिए जाँच अधिकारी था। इस दौरान उसने मामले की जाँच वैसे ही की, जैसी की जानी चाहिए थी। फिर प्लॉन में कुछ बदलाव हुए। वह खुद NIA दफ्तर गया, जहाँ उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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