Sunday, November 24, 2024
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रस्सी.. सल्फास की डिब्बी.. ब्लैकमेल वाली सीडी… सपा नेता भी घेरे में: पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे नरेंद्र गिरी, फिर 8 पन्नों का सुसाइड नोट कैसे?

उन्हें जानने वालों का कहना है कि वो कामचलाऊ रूप से ही लिखते-पढ़ते थे और सामान्यतः हस्ताक्षर से काम चलाते थे। अपने शिष्यों से ही चीजें पढ़वाते थे और पत्र वगैरह लिखवाते थे।

‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP)’ के अध्यक्ष और प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मृत्यु का रहस्य उलझता ही जा रहा है। मठ में रहने वाले सेवादारों व शिष्यों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एक शिष्य बबलू ने बताया कि रविवार (19 सितंबर, 2021) को महंत ने गेहूँ में रखने के लिए सल्फास की गोलियाँ मँगाई थीं। कमरे में सल्फास की डिब्बी मिली, जो बंद थी। एक सपा राज्य मंत्री का नाम भी सामने आ रहा है।

वहीं एक अन्य शिष्य ने जानकारी दी कि महंत ने दो दिन पहले ये कहकर नायलॉन की नई रस्सी मँगाई थी कि कपड़े टाँगने में दिक्कतें आ रही है। इसी रस्सी से महंत नरेंद्र गिरी ने फाँसी लगाई थी। ‘दैनिक भास्कर’ की खबर के अनुसार, प्रत्यक्षदर्शी सर्वेश ने बताया, “मैंने और एक अन्य शिष्य सुमित ने महंत जी को फँदे से उतारा था। प्रतिदिन महंत नरेंद्र गिरि शाम 5 बजे के आसपास चाय पीने के लिए कमरे से बाहर आते थे। सवा 5 बजे तक जब दरवाजा नहीं खुला तो दरवाजा को खटखटाया गया।”

उक्त शिष्य ने बताया कि दरवाजा न खुलने पर फोन किया गया, लेकिन फोन नहीं उठा। फिर दरवाजे को धक्का देकर अंदर जाने पर लोगों ने देखा कि उनका शव फँदे पर लटक रहा था। रस्सी को काट कर शव को फँदे से उतारा गया। तत्पश्चात पुलिस को घटना के सम्बन्ध में सूचित किया गया। बाघंबरी मठ में 12 से अधिक CCTV कैमरे लगे हुए हैं। उसे खँगाला जा रहा है। वहाँ से कोई सुराग हाथ लगने की संभावना है।

शिष्यों का ये भी कहना है कि लेटे हनुमान जी मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी से दो दिन पहले किसी बात को लेकर उनकी नोकझोक भी हुई थी। फ़िलहाल वो हिरासत में हैं। महंत नरेंद्र गिरी के साथ सुरक्षा का तगड़ा इंतजाम रहता था, जिसमें उनके शिष्यों के अलावा सरकार द्वारा तैनात गार्ड्स भी रहते थे। मठ में तीन बुलेटप्रूफ गाड़ियाँ हैं, जिनसे वो निकला करते थे। मौत के एक दिन पहले उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उनसे मिले थे, तब वो काफी प्रसन्न थे।

करीब एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के DGP मुकुल गोयल से भी उनकी मुलाकात हुई थी। कई अलग-अलग लोगों से वो मिले, लेकिन चेहरे पर तनाव नहीं दिखा। लोगों का कहना है कि वो ज्यादा पढ़ते-लिखते नहीं थे, ऐसे में 8 पन्नों के सुसाइड नोट पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ‘अखिल भारतीय संत समिति’ और ‘गंगा महासभा’ के महासचिव जीतेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि वह इतना बड़ा सुसाइड नोट लिख ही नहीं सकते। 

उन्हें जानने वालों का कहना है कि वो कामचलाऊ रूप से ही लिखते-पढ़ते थे और सामान्यतः हस्ताक्षर से काम चलाते थे। गंगा सफाई आंदोलन में उनके साथ काम कर चुके कानपुर के श्रमिक नेता रामजी त्रिपाठी का कहना है कि महंत नरेंद्र गिरी अपने शिष्यों से ही चीजें पढ़वाते थे और पत्र वगैरह लिखवाते थे। शिष्य सतीश शुक्ल का कहना है कि वो एक लाइन भी ठीक से नहीं लिख पाते थे। उनके मोबाइल फोन की पुलिस पड़ताल कर रही है।

इस मामले में हिरासत में लिए गए उनके शिष्य आनंद गिरि ने इसे हत्या करार देते हुए इसके पीछे सिपाही अजय सिंह (गनर) के साथ ही मनीष शुक्ल, विवेक और अभिषेक मिश्र पर आरोप लगाया है। पुलिस जल्द ही इन लोगों से पूछताछ करेगी। ये सभी प्रॉपर्टी डीलर्स हैं और महंत नरेंद्र गिरी के करीबी भी थे। मठ की जमीन को लेकर कई विवाद सामने आए थे, जिसमें एक सपा नेता महेश नारायण सिंह से हुआ विवाद भी शामिल था। 2004 में भी मठ की जमीन का विवाद सामने आया था।

ये भी सामने आया है कि उन्हें किसी वीडियो के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था। ‘आज तक’ की खबर के अनुसार, उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए किसी सीडी का इस्तेमाल किया जा रहा था और इसमें सपा सरकार में राज्य मंत्री रहा एक नेता भी जाँच के दायरे में है। उक्त राज्य मंत्री नरेंद्र गिरी के शिष्य आनंद का भी करीबी है। कहा जा रहा है कि उस दिन नरेंद्र गिरी किसी का इंतजार कर रहे थे। उनका रिकॉर्ड किया एक वीडियो भी पुलिस ने बरामद किया है। सीएम योगी ने खुद प्रयागराज पहुँच कर श्रद्धांजलि दी।

उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस मामले में निष्पक्ष जाँच का आश्वासन दिया है। ‘अखाड़ा परिषद’ के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कुछ ही दिनों पहले इलाहाबाद उच्च-न्यायालय के उस आदेश का समर्थन किया था, जिसमें गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया गया था। उन्होंने केंद्र की राजग सरकार से इस सम्बन्ध में कानून बनाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि गौसेवा हमारी जिम्मेमदारी है, लेकिन गायों की आज जो अवस्था है उसके लिए हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि वो जब तक दूध देती है, तभी तक हम उसकी सेवा करते हैं।

सपा के जिन पूर्व राज्य मंत्री का नाम इसमें सामने आ रहा है, उनका नाम इंदु प्रकाश मिश्रा है। अपने ऊपर लगे आरोपों पर उन्होंने पूछा कि क्या समझौता कराना अपराध है? उन्होंने कहा कि वो वर्षों से इस मंदिर व सनातन हिन्दू धर्म से जुड़े हैं। बकौल इंदु प्रकाश मिश्रा, जब वो मंदिर में जाते थे तो महंत कहते थे कि छोटे महंत मीडिया में जो ख़बरें दे रहे हैं वो गलत हैं। फिर उन दोनों के बीच मई 2021 में समझौता कराया गया।

उन्होंने कहा, “मध्यस्थता कराने वालों में मैं भी शामिल था। सोशल मीडिया में जो ख़बरें जाती थीं, उन्हें छोटे महाराज ने रोक दी। यही समझौता हुआ। सब कुछ लिखित था। इसके बाद क्या हुआ, उसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। मुझे क्यों पुलिस पूछताछ के लिए बुलाएगी? पुलिस बुलाएगी तो जो हुआ, सब बता दूँगा। कौन सा मैंने अपराध किया है? कमरे में बना वीडियो सामने आया, जिसमं आनंद गिरी गुरुदेव से कान पकड़ कर माफ़ी माँग रहे हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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