प्रयागराज में होने वाला इस वर्ष का कुंभ मेला न सिर्फ़ अपनी भव्य तैयारियों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसलिए भी केंद्र बिंदु बना हुआ है क्योंकि इस विशेष कुंभ मेले की धार्मिक मंडली की तैयारियों की समीक्षा ख़ुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। जहाँ एक तरफ इस कुंभ मेले के सफल आयोजन पर प्रधानमंत्री मोदी के कार्य की प्रशंसा हो रही है, वहीं दूसरी तरफ उनके आलोचक उन्हें घेरने से बाज नहीं आ रहे हैं।
हाल ही में, विनोद कापड़ी (फ़िल्म पिहू के निर्देशक, ज़ी न्यूज़ और इंडिया टीवी के पूर्व संपादक) ने जवाहरलाल नेहरू की एक फोटो को ट्विटर पर पोस्ट किया। इसमें उन्होंने दावा किया कि नेहरू ने 1954 के कुंभ मेले के दौरान डुबकी लगाई थी।
ताकि सनद रहे : पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी कुंभ में स्नान कर चुके हैं और जनेऊ भी धारण किए हुए हैं।#KumbhMela2019 pic.twitter.com/06DUeCHBwr
— Vinod Kapri (@vinodkapri) January 18, 2019
उनके ट्वीट का जवाब देते हुए एक यूज़र ने कॉन्ग्रेस नेता ए.गोपन्ना (A. Gopanna) की नेहरू की जीवनी – जवाहरलाल नेहरू: एन इलस्ट्रेटेड बायोग्राफी (Jawaharlal Nehru: An Illustrated Biography) – से वही फोटो पोस्ट की, जिसमें फोटो का जो कैप्शन दिया गया था, ‘1931 में इलाहाबाद में अपने पिताजी के अस्थि विसर्जन के दौरान जवाहरलाल नेहरू।’
ताकि सनद रहे : पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी कुंभ में स्नान कर चुके हैं और जनेऊ भी धारण किए हुए हैं।#KumbhMela2019 pic.twitter.com/06DUeCHBwr
— Vinod Kapri (@vinodkapri) January 18, 2019
Dont lie @vinodkapri This is Nehru immersing his father’s ashes in the Ganga at Allahabad. (A Gopanna’s biography of Nehru released today, p. 73). pic.twitter.com/1jAsxbZMo7
— Girish S ⛳⛳⛳?? (@girishs2) January 18, 2019
इस प्रकरण के चलते कापड़ी और उस ट्विटर यूज़र के बीच शब्द-जंग छिड़ गई। कापड़ी ने दावा किया कि यह फोटो नेहरू के पिता के अस्थि विसर्जन की नहीं हो सकती क्योंकि उस समय नेहरू की उम्र 42 वर्ष की थी। कापड़ी ने तर्क दिया कि जो फोटो उन्होंने पोस्ट की, उसमें नेहरू बड़े दिख रहे हैं। इसलिए वह फोटो 1954 के कुंभ की ही है, जब नेहरू की उम्र 65 वर्ष थी।
Dont lie @vinodkapri This is Nehru immersing his father’s ashes in the Ganga at Allahabad. (A Gopanna’s biography of Nehru released today, p. 73). pic.twitter.com/1jAsxbZMo7
— Girish S ⛳⛳⛳?? (@girishs2) January 18, 2019
बता दें कि ए गोपन्ना एक कॉन्ग्रेसी नेता हैं और फ़िलहाल वो एक प्रवक्ता होने के अलावा तमिलनाडु कॉन्ग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष भी हैं। कॉन्ग्रेस नेता ए गोपन्ना ने नेहरू की जीवनी में नेहरू की इस फोटो को शामिल करते हुए कहा था कि यह 1931 में नेहरू द्वारा अपने पिता के अस्थि को विसर्जित करने से संबंधित है। पिछले साल मई में उनके द्वारा रचित ‘भारत के पहले प्रधानमंत्री की उनकी सचित्र जीवनी’ का अनावरण भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा किया गया था। इसलिए, बहुत कम संभावना है कि गोपन्ना अपनी पुस्तक में नेहरू की छवि को ग़लत बताएंगे।
इसके अलावा, ट्विटर यूज़र द्वारा ट्वीट की गई फोटो को पत्रकार विकास पाठक ने भी पिछले साल मई में पोस्ट किया था।
#nehru wearing a janeu immerses his father’s ashes in the Ganga at Allahabad. (A Gopanna’s biography of Nehru released today, p. 73). pic.twitter.com/jmbYR4Diwi
— Vikas Pathak (@vikaspathak76) May 27, 2018
बता दें कि इस फोटो का उपयोग इंडिया टुडे के एक लेख में भी किया गया है। इसमें यह दावा किया गया कि यह फोटो नेहरू की माँ के अस्थि विसर्जन (1938) की है। नेहरू की माँ के अस्थि विसर्जन वाला तथ्य ओपन मैगज़ीन में प्रकाशित एक लेख में 1938 में भी दिया गया।
ए गोपन्ना लिखित जीवनी, इंडिया टुडे और ओपन मैगज़ीन के लेख से तो यही स्पष्ट होता है कि नेहरू की यह फोटो उनके माता या पिताजी के अस्थि विसर्जित करने से संबंधित है। दोनों ही मीडिया तंत्रों में से किसी ने भी इस फोटो को 1954 के कुंभ से नहीं जोड़ा है।
यदि हम केंद्रीय कारागार नैनी से नेहरू की एक और फोटो को देखें, जो 19 अक्टूबर 1930 से 26 जनवरी 1931 के बीच उनके पाँचवें कारावास के दौरान ली गई थी, तो नेहरू अपनी उस फोटो में विवादित फोटो से मिलते-जुलते दिखते हैं।
जब कॉन्ग्रेस पार्टी के एक नेता ने अपनी पुस्तक में इस विवादित फोटो को जवाहरलाल नेहरू के पिताजी के अस्थि विसर्जन से संबंधित दिखाया है और कुछ मीडिया हाउसों ने उसी फोटो को उनकी माँ के अस्थि विसर्जन से संबंधित कर प्रकाशित किया है तो फिर इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि यह फोटो 1954 के कुम्भ के आस-पास की तो बिल्कुल नहीं है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब विनोद कापड़ी को झूठ फैलाते हुए पकड़ा गया हो। इससे पहले, कापड़ी को हिंसा के बारे में झूठ फैलाते पकड़ा गया था, जिसका संबंध उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की हिंसा से था। जब झूठ पकड़ा गया, तो उन्होंने पुलिस पर ही उलटे-सीधे सवाल खड़े कर दिए थे।