Monday, May 6, 2024
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अनुपमा-अजीत के बच्चे का हुआ DNA टेस्ट, रिजल्ट से खुलेंगे राज़: दलित से शादी करने पर वामपंथी नेता ने छीन लिया था बेटी का बच्चा

अनुपमा ने कहा, "मुझे कैसे पता चलेगा कि लिया गया सैंपल मेरे बच्चे का है। सैंपल लेने के प्रोसेस को रिकॉर्ड नहीं किया गया है, केवल कुछ तस्वीरें ली गईं हैं।" बताया जा रहा है कि अगले एक तीन दिनों में डीएनए टेस्ट का रिजल्ट आ जाएगा।

केरल के कपल अनुपमा एस चंद्रन और अजीत के 1 साल के बच्चे के पालक माता-पिता ने शनिवार (20 नवंबर 2021) को शिशु को केरल के 3 पुलिसकर्मियों और केरल बाल कल्याण परिषद (KCWC) के 3 अधिकारियों की एक टीम को सौंप दिया। बच्चे को रविवार (21 नवंबर, 2021) की शाम केरल की राजधानी लाया गया। केसीडब्ल्यूसी ने अधिकारियों को 5 दिनों के भीतर ‘गोद लिए गए बच्चे’ का पता लगाने और डीएनए टेस्ट के जरिए शिशु के बायलॉजिकल माता-पिता का निर्धारण करने का निर्देश दिया था।

जानकारी के मुताबिक सोमवार (22 नवंबर, 2021) को राजीव गाँधी जैव प्रौद्योगिकी संस्थान में अनुपमा और उनके पति अजीत के डीएनए सैंपल में लिए गए। सैंपल देने के बाद अनुपमा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। हालाँकि उन्होंने बच्चे के डीएनए सैंपल लेने में गड़बड़ी का संदेह जताया। उन्होंने कहा, “मुझे कैसे पता चलेगा कि लिया गया सैंपल मेरे बच्चे का है। सैंपल लेने के प्रोसेस को रिकॉर्ड नहीं किया गया है, केवल कुछ तस्वीरें ली गईं हैं।” बताया जा रहा है कि अगले एक तीन दिनों में डीएनए टेस्ट का रिजल्ट आ जाएगा। इससे पहले अनुपमा ने TNM से बात करते हुए कहा था कि वह और उनके पति चाहते हैं कि उनकी उपस्थिति में बच्चे का DNA टेस्ट हो।

बता दें कि बायलॉजिकल पैरेंट्स का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्ट किया जाता है। केरल बाल कल्याण समिति KCWC) ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को अंतिम निर्णय होने तक शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। अनुपमा ने मामले के बारे में बात करते हुए कहा, “मैं वाकई में राहत महसूस कर रही हूँ। हमारे छह महीने के संघर्ष के कुछ नतीजे निकले। लेकिन मुझे इस बात पर आपत्ति है कि जिन विभाग के अधिकारियों ने सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए मेरे बच्चे को गोद लेने के लिए दिया था, उन्हें उसे वापस लाने का प्रभार दिया गया।”

उल्लेखनीय है कि केरल में गोद लेने का एक मामला राजनीतिक घमासान में बदल गया है और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को सुर्खियों में ला दिया है। 23 वर्षीय अनुपमा ने आरोप लगाया था कि उसके माता-पिता ने उसकी सहमति के बिना उसके 1 साल के बच्चे को गोद लेने के लिए दे दिया।

रिपोर्टों के अनुसार, बच्चे के पिता का नाम अजीत है और वह ‘दलित-ईसाई’ हैं। अनुपमा ने दावा किया था कि दलितों के प्रति पूर्वाग्रह के कारण उनके माता-पिता अजीत से उनकी शादी के खिलाफ थे। अपने बचाव में, महिला के परिवार ने बताया कि अजीत पहले से ही शादीशुदा था और उसका अपनी अलग पत्नी से तलाक होना बाकी था। इसके बावजूद बच्चे का जन्म विवाह से हुआ, जो अनुपमा और उसके माता-पिता के बीच विवाद का कारण बन गया।

महिला ने आरोप लगाया कि उसके पिता एस जयचंद्रन ने अक्टूबर 2020 में पैदा हुए बच्चे को तिरुवनंतपुरम में केरल स्टेट काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर द्वारा संचालित एक अनाथालय को सौंप दिया। अनुपमा ने दावा किया कि अनाथालय ने गोद लेने के नियमों को दरकिनार कर दिया और इस साल अगस्त में आंध्र प्रदेश में उनकी सहमति के बिना उनके बच्चे को पालक माता-पिता को दे दिया। मामला 20 अक्टूबर, 2021 को सामने आया, जब अनुपमा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और मामले में FIR दर्ज की गई।

अनुपमा ने ‘दबाव’ में किया गोद लेने के कागजात पर दस्तखत

पुलिस ने लड़की के माता-पिता सहित कुल 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जयचंद्रन ने दावा किया था कि शिशु को उनकी बेटी की सहमति से अनाथालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि अनुपमा ने इसकी पुष्टि करते हुए स्टांप पेपर पर साइन किया था। हालाँकि, महिला ने दावों का खंडन किया था और कहा था कि उसे दबाव में दस्तखत करने के लिए मजबूर किया गया था। परिस्थितियों से मजबूर, अनुपमा ने केरल बाल कल्याण समिति (KCWC) के समक्ष एक याचिका दायर की थी। जिसके बाद बच्चे को सौंपने का निर्देश दिया गया।

इस मामले ने सीपीआई (एम) के भीतर राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी

केरल में गोद लेने का मुद्दा राजनीतिक बन गया है क्योंकि जयचंद्रन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की ट्रेड यूनियन विंग सीटू के वरिष्ठ नेता हैं। अनुपमा भारतीय छात्र संघ, कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र शाखा की पूर्व नेता भी रह चुकी हैं। अनुपमा के बच्चे के पिता अजीत भी CPIM से जुड़े हुए हैं। बताया जा रहा है कि जयचंद्रन ने अनाथालय के अधिकारियों के साथ मिलकर गोद लेने के मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का फायदा उठाया है।

हालाँकि माकपा का कहना है कि यह एक पारिवारिक मुद्दा था, मगर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की चुप्पी पर सवाल उठाया गया था। अनुपमा ने उनकी घोर चुप्पी पर निराशा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि सीएम को गलत सूचना दी गई है। उनकी निरंतर चुप्पी से मुझे बहुुत दु:ख हुआ। महिला ने पहले अपने बच्चे की कस्टडी हासिल करने की उम्मीद में माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्यों से संपर्क किया था। हालाँकि, उसके सभी प्रयास व्यर्थ ही साबित हुए।

उसी समय अनुपमा ने सड़कों पर उतरने का फैसला किया। वह केरल राज्य बाल कल्याण परिषद कार्यालय के बाहर अनशन पर बैठ गईं। इससे पहले 14 नवंबर को उन्होंने कहा था, “मेरे पास सड़क पर उतरने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। पार्टी और सरकार का कहना है कि वे मेरे साथ हैं लेकिन फिर भी कोई मदद नहीं मिल रही है। वहीं बाल कल्याण परिषद के अधिकारी मामले को और उलझाने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे अपना बच्चा वापस चाहिए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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