Saturday, November 23, 2024
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कर्नाटक की बुर्के वाली लड़कियों को तालिबान का समर्थन: ‘अल्लाह हू अकबर’ वाली का तस्वीर किया शेयर, ‘इस्लाम’ को बताया ‘मुल्क’ से ऊपर

खास बात ये है कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में हथियारों के दम पर कब्जा करने के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों का दमन शुरू कर दिया था। तालिबान ने वहाँ बुर्का या हिजाब को महिलाओं के लिए अनिवार्य कर दिया था।

कर्नाटक (Karanataka) के स्कूलों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब (Hijab) पहनने को लेकर जारी विवाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँच चुका है। इस मुद्दे पर शांति नोबेल पुरस्कार पाने वाली मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) के बाद अब तालिबान (Taliban) की भी एंट्री हो गई है। गुरुवार (10 फरवरी 2022) को कट्टरपंथी संगठन तालिबान ने कर्नाटक में हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों का समर्थन करते हुए ‘इस्लामी मूल्यों’ की रक्षा के लिए डटकर खड़े रहने के लिए उनकी तारीफ की।

अफगानिस्तान के तालिबानी नेता और उप-प्रवक्ता इनामुल्लाह समांगानी ने ट्वीट किया, “भारतीय मुस्लिम लड़कियों का हिजाब के लिए संघर्ष यह दिखाता है कि हिजाब अरब, ईरानी, ​​मिस्र या पाकिस्तानी संस्कृति नहीं है, बल्कि ‘इस्लामिक मूल्य’ है। इसके लिए विश्व भर में, खासकर ‘सेक्युलर दुनिया’ में मुस्लिम लड़कियाँ कई तरह से अपना बलिदान देती हैं और अपने धार्मिक मूल्य की रक्षा करती हैं।”

इसके साथ ही समांगनी ने कर्नाटक के स्कूल में ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाने वाली मुस्लिम लड़की ‘मुस्कान’ की तस्वीर को भी ट्विटर पर शेयर किया। बता दें कि तालिबान का यह ट्वीट मुस्लिम लड़कियों के उस बयान के ठीक एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके लिए ‘हिजाब पहली प्राथमिकता है और एजुकेशन सेकेंडरी।’

इमानुल्ला समांगनी का ट्वीट

उधर सलीम जावेद नाम के एक यूजर ने कहा कि विरोध करने वाली मुस्लिम लड़कियाँ दरअसल ‘सेक्युलरिज्म’ के खिलाफ नहीं, बल्कि संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के तहत धर्मनिरपेक्षता का समर्थन कर रही हैं। इस पर तालिबानी नेता समांगनी जावेद पर भड़क उठे। उन्होंने सलीम को ‘फेक सेक्युलरिस्ट’ और इस्लाम से दुश्मनी दिखाने वाला करार दिया। समांगानी ने इस बात पर जोर दिया कि कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियाँ ‘धर्मनिरपेक्षता’ का विरोध कर रही हैं।

इमानुल्ला समांगनी के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

बुर्का विवाद पर मुस्लिम लड़की की तारीफ करने के मामले में इनामुल्ला समांगानी का कतर स्थित इस्लामिक अमीरात के आधिकारिक प्रवक्ता और तालिबान के अधिकारी सुहैल शाहीन समेत कई लोगों ने समर्थन किया।

इमानुल्ला समांगनी के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

तालिबान में महिलाओं को नहीं है आजादी

खास बात ये है कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में हथियारों के दम पर कब्जा करने के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों का दमन शुरू कर दिया था। तालिबान ने वहाँ बुर्का या हिजाब को महिलाओं के लिए अनिवार्य कर दिया था। इसके अलावा इस्लामिक संगठन ने टीवी पर महिला कलाकारों को भी एक्टिंग से रोक दिया था।

तालिबान के खिलाफ जब कई अफगान महिलाओं ने रंगीन कपड़ों में शरिया लॉ के खिलाफ प्रदर्शन किया तो तालिबान के लड़ाकों ने महिलाओं के घरों पर छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दिलचस्प बात ये है कि तालिबान की तरह ही कथित ‘वाम-उदारवादी’ भी महिलाओं को ढँका हुआ देखना चाहते हैं।

कर्नाटक हिजाब विवाद

कर्नाटक के उडुपी जिले के पीयू कॉलेज में हिजाब का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। बाद में इसके विरोध में मुस्लिम महिलाओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हिजाब को अपना मौलिक अधिकार बताते हुए कक्षाओं में इस पहनने की छूट माँगी। बहरहाल मामला अभी अदालत में है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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