Tuesday, May 7, 2024
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एक ही हिन्दू परिवार के 5 भाइयों को गाड़ी चढ़ा कर मार डाला, ‘गुनाह’ – मंदिर बनाना चाहते थे: इस्लामी भीड़ ने किया था हमला, पिता की भी मौत

इस हमले में जिनकी मौत हुई वो पाँच भाई डॉक्टर अनुपम सुशील (47), निरुपम सुशील (45), दीपक सुशील (40), चंपक सुशील (30) और स्वर्ण सुशील (24) हैं। 10 दिन पहले ही उनके पिता सुरेश सुशील की मौत हो गई थी।

बांग्लादेश (Bangladesh) के चटगाँव से एक हिंदू परिवार के पाँच लोगों की मंगलवार (8 फरवरी, 2022) को एक तेज रफ्तार गाड़ी से टक्कर के कारण मौत (Death) हो गई। जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। माना जा रहा है कि इस एक्सीडेंट को पूरी प्लानिंग के तहत किया गया है। यह घटना बांग्लादेश के चटगाँव डिवीजन के कॉक्स बाजार जिले के चकरिया उपजिला में घटी।

हादसा इतना भयानक था कि एक ही परिवार के पाँच लोगों की मौके पर मौत हो गई। जबकि इसमें घायल हुए तीन अन्य लोगों में से एक चटगाँव के अस्पताल में जिंदगी औऱ मौत के बीच झूल रहा है। पीड़ित परिवार की सदस्य मुन्नी सुशील ने इस घटना को हत्या करार दिया है। उसने बताया कि इस टार्गेटेड अटैक में उसने अपने पाँच भाई खोए हैं, जबकि दो भाई और एक बहन घायल हुए हैं।

इस हमले में जिनकी मौत हुई वो पाँच भाई डॉक्टर अनुपम सुशील (47), निरुपम सुशील (45), दीपक सुशील (40), चंपक सुशील (30) और स्वर्ण सुशील (24) हैं। 10 दिन पहले ही उनके पिता सुरेश सुशील की मौत हो गई थी। उन्हीं के अंतिम संस्कार के तौर पर घटना वाले दिन परिवार के सभी सात बेटे और दो बेटियाँ मंदिर में पूजा करने के लिए जा रहे थे। लौटते वक्त सुबह करीब पाँच तेज रफ्तार पिकअप गाड़ी ने उन्हें ठोंक दिया। उनके ऊपर गाड़ी चढ़ाने के बाद वो कॉक्स बाजार की तरफ चली गई। इस हमले में सातों घायल हुए थे, जिनमें से पाँच की छत्ताग्राम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मौत हो गई।

वहीं रक्तिम सुशील की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि दूसरे भाई प्लाबन सुशील की हालत स्थिर है। बहन हीरा सुशील के पैर का ऑपरेशन करना पड़ा है।

इस घटना को याद कर वो कहती हैं, “दुर्घटना वाले दिन मेरे 6 भाई और एक बहन सड़क से करीब दो फीट की दूरी पर थे। जबकि मैं और मेरा भाई सड़क पर थे। पिकअप वाले ने हम दोनों को ठोकर मारने की जगह मेरे भाइयों को कुचल दिया। इसके बाद वो फिर से लौटा औऱ मेरे भाइयों और मेरी बहन को कुचल दिया।”

मुन्नी ने बताया, “पिछले चार दिनों से हमने कुछ भी नहीं खाया। मैं अपने भाइयों के छोटे बच्चों को देखकर सह नहीं पा रही हूँ। पूरी परिवार अमानवीय स्थिति में जी रहा है।” मुन्नी ने इस घटना को सोची-समझी हत्या करार दिया और कहा कि अगर ये साजिश नहीं थी तो सड़क पर खड़े हम दोनों को मारने के की जगह सड़कें से दूर मेरे भाइयों को कुचल दिया?

मृतकों का अंतिम संस्कार (साभार: डेली स्टार)

इसके पीछे का कारण बताते हुए मुन्नी कहती हैं कि 29 जनवरी 2022 को 40-50 लोगों की भीड़ ने उसके परिवार पर हमला किया था। उस घटना के एक दिन बाद ही उसके पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मुन्नी कहती हैं कि उनके पिता इस इलाके में दुर्गा पूजा आयोजित करते थे, जिससे इस्लामी कट्टरपंथी पहले से ही चिढ़े हुए थे। पिछले महीने जनवरी में विदेश में रहने वाला उसका भाई दीपक सुशील हसीनापारा इलाके में छोटा सा मंदिर बनाने के लिए 4000 ईंट और बजरी लेकर आया था, जिससे मुस्लिम नाराज हो गए थे।

इस गाँव में करीब 30-35 हिंदू परिवार रहते हैं, लेकिन जब से मंदिर का निर्माण शुरू किया गया था तभी से मुन्नी के पिता को धमकाया जाने लगा था। अपने बच्चों को खोने वाली माँ मृणालिनी सुशील ने रोते हुए कहा, “मैं अपने पाँचों बेटों में पोते-पोतियों के साथ किसके पास जाऊँगी? अगले सोमवार को चंपक की बेटी एक महीने की हो जाएगी। मेरे बच्चों ने कभी किसी का कोई अहित नहीं किया। मेरे पाँच बच्चों को इस तरह क्यों मारा गया?”

29 जनवरी 2022 को हुए हमले के बारे में मृणालिनी बताती हैं कि उन्होंने हम पर हमला किया, क्योंकि हम एक मंदिर बनाना चाहते थे। लेकिन हम हमलावरों नहीं पहचान पाए। मृणालिनी ने ये भी बताया कि 29 जनवरी को जब हमला हुआ था तो उन्होंने अपने दो बच्चों को तो बिस्तर के नीचे छिपा दिया था। शुक्रवार को सभी मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें पाँचों की पत्नियाँ शामिल हुईं।

हमले में जीवित बचे भाई प्लाबन चंद्र सुशील ने चकरिया थाने में केस दर्ज कराया है। पुलिस ने घटना वाले दिन ही गाड़ी को बरामद कर लिया, जबकि उसका ड्रायवर सहिदुल इस्लाम उर्फ ​​सैफुल फरार हो गया था। लेकिन शुक्रवार को उसे भी ढाका के मोहम्मदपुर इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया। उसने ये कबूल कर लिया है कि हादसे वाले दिन वो ही गाड़ी चला रहा था। लेकिन हत्या की बात से वो इनकार कर रहा है। उसका कहना है कि कोहरे के कारण उसे कुछ दिखा नहीं था और गाड़ी तेज होने से वो उसे कंट्रोल नहीं कर पाया। उसने ये भी बताया कि वो उन्हें देखने के लिए वापस लौटा था, लेकिन गाड़ी के मालिक ने उसे रुकने के बजाय गाड़ी तेजी से भगाने के लिए कहा था। इस घटना के बाद से गाड़ी का मालिक महमूदुल करीम फरार है।

हालाँकि, गाड़ी के ड्रायवर की कहानी के मानने से इनकार करते हुए हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के कॉक्स बाजार के अध्यक्ष दीपांकर बरुआ और सचिव प्रियतोष शर्मा ने इस घटना को पूर्व नियोजित हत्या (Murder) करार दिया है।

इससे पहले भी कट्टरपंथियों ने हिंदुओं का नरसंहार किया है

इससे पहले पिछले साल 13 अक्टूबर 2021 के दिन सुबह कट्टरपंथी इस्लामियों ने हिंसा फैलाने के मकसद से कमिला जिले के नानुआर दिघिर में एक दुर्गा पूजा पंडाल में जाकर वहाँ पर कुरान की एक कॉपी रख दी औऱ उसकी फोटो खींचकर वहाँ से चला गया। कुछ घंटों बाद कुरान के कथित अपमान किए जाने की बात को सोशल मीडिया पर फैला दिया गया।

हालाँकि, कमिला महानगर पूजा उद्जापोन कमेटी के महासचिव शिबू प्रसाद दत्ता ने कुरान का अपमान किए जाने की बात से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि जब गार्ड सो रहा था तो किसी ने नानुआ दिघीर पार में एक दुर्गा पूजा मंडप में सुबह-सुबह कुरान की कॉपी रख दी थी।

विश्व हिंदू महासंघ (बांग्लादेश चैप्टर) के महासचिव दीपन मित्रा ने कहा, “उन्होंने 13 से 16 अक्टूबर 2021 के दौरान 315 से अधिक मंदिरों की मूर्तियों में तोड़फोड़ की और बांग्लादेश के 30 से अधिक जिलों में सभी मूल्यवान चीजें लूट लीं। कुमिला, चाँदपुर, नोआखली, चटगाँव कॉक्स बाजार, फेनी, चपाई नवाबगंज और अन्य जिलों में करीब 1500 हिंदू घरों पर हमला किया और तोड़फोड़ की गई।

मित्रा ने उन 10 हिंदुओं के नाम भी गिनाए, जिन्हें ईशनिंदा की आड़ में कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने मार डाला था। इनमें माणिक साहा, जतन साहा, प्रशांत दास, पुजारी निमाई कृष्ण, 4 अज्ञात हिंदू पुजारी और 1 और अज्ञात पीड़ित शामिल थे। इसके अलावा 23 हिंदू महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और 17 हिंदू लापता हुए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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