Sunday, December 22, 2024
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सेना प्रमुख बनने वाले पहले इंजीनियर हैं मनोज पांडे, चीन सीमा पर काम का तगड़ा अनुभव: ‘ऑपरेशन पराक्रम’ का रहे हैं हिस्सा

महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले मनोज पांडे शुरुआती स्कूलिंग के बाद 1982 में एनडीए में सेलेक्ट हुए। ट्रेनिंग के बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी ज्वाइन की और ऑफिसर के तौर पर कमीशन लिया।

देश के सैन्य नेतृत्व में बड़ा बदलाव होने वाला है। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे (Manoj Pande) देश के नए सेनाध्यक्ष होंगे। सोमवार (18 अप्रैल, 2022) रक्षा मंत्रालय ने उनकी नियुक्ति का ऐलान किया। पांडे 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे की जगह लेगें। भारतीय सेना के 29वें प्रमुख बने लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ऐसे पहले इंजीनियर हैं, जो सेना अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। उन्हें इसी साल 1 फरवरी, 2022 को सेना का वॉइस चीफ बनाया गया था।

लेफ्टिंनेंट जनरल मनोज पांडे भारतीय सेना की इंजीनियरिंग कोर के ऐसे पहले अधिकारी हैं, जो इस पद तक पहुँचे हैं। उन्हें चीन सीमा पर काम करने का अच्छा खासा अनुभव है। वो इंडियन आर्मी की ईस्टर्न कमांड में कमांडर और ब्रिगेडियर के तौर पर काम कर चुके हैं। वो लद्दाख एरिया के माउंटेन डिवीजन में इंजीनियर ब्रिगेड के ब्रिगेडियर थे। उन्होंने उत्तर-पूर्व में कई सारे ऑपरेशन को अंजाम दिया था। परम विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित मनोज पांडे अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भी इंडियन आर्मी के कमांडर रह चुके हैं।

कौन हैं भारत के नए आर्मी चीफ बनने वाले मनोज पांडे

महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले मनोज पांडे शुरुआती स्कूलिंग के बाद 1982 में एनडीए में सेलेक्ट हुए। ट्रेनिंग के बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी ज्वाइन की और ऑफिसर के तौर पर कमीशन लिया। इसके बाद दिसंबर 1982 में सेना की इंजीनियरिंग कॉर्प्स बॉम्बे सैपर्स में उन्हें कमीशन मिला। वो ब्रिटेन के कैमबर्ले कॉलेज का भी हिस्सा रहे। वहाँ से लोटने के बाद नॉर्थईस्ट में उन्हें ब्रिगेडियर बनाया गया। मनोज पांडे इथियोपिया और इरीट्रिया में यूएन के मिशन चीफ भी रहे। 3 मई 1987 को पांडे ने सरकारी डेंटल कॉलेज की गोल्ड मेडलिस्ट अर्चना सल्पेकर के साथ सात फेरे लिए।

इसके अलावा लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ पल्लनवाला सेक्टर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान एक इंजीनियर रेजिमेंट की कमान संभाली। 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद सेना ने ऑपरेशन पराक्रम चलाया था। इसके तहत पाकिस्तान से आतंकियों को होने वाले हथियारों की सप्लाई के नेक्सस को ध्वस्त कर दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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