Saturday, May 18, 2024
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अपना ही मुस्लिम मुल्क बनाना चाहते थे सैफ अली खान के पुरखे, पाकिस्तान भेज दिया था खजाना: जानिए कैसे भारत का हुआ भोपाल

"आठ-दस साल से मैं पाकिस्तान का प्रबल समर्थक और मुस्लिम लीग का समर्पित अनुयायी हूँ। मेरी पाकिस्तान में विलय की प्रबल इच्छा है।"

तारीख थी 1 जून। साल था 1949। आज के मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पहली बार औपचारिक तौर पर तिरंगा लहराया गया था। देश के स्वतंत्र होने के बावजूद भोपाल को यह दिन देखने के लिए करीब दो साल का इंतजार करना पड़ा। इसकी वजह थे, नवाब हमीदुल्ला। नवाब हमीदुल्ला आज के बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान के पुरखे थे। इस रिश्ते पर जाने से पहले जानते हैं कि नवाब के मोहम्मद अली जिन्ना, पाकिस्तान, मुस्लिम लीग और इस्लाम प्रेम ने कैसे हिंदू बहुल भोपाल के भारत में विलय के इंतजार को लंबा किया था।

स्वतंत्र होने के बाद अनेक रियासतों का भारत में विलय हुआ। लेकिन भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान इसके लिए तैयार नहीं थे। वे भारत की बजाय पाकिस्तान को तरजीह दे रहे थे। ऐसा नहीं होने पर उनका इरादा मुस्लिम रियासतों को मिलाकर एक अलग देश ‘प्रिंसिस्तान’ बनाने का था। पाकिस्तान में भोपाल का विलय भौगोलिक रूप से असंभव था। वहीं ‘प्रिंसिस्तान’ के लिए उन्हें अन्य रियासतों का सहयोग नहीं मिला। इसी बीच पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना भोपाल के नवाब हमीदुल्ला का पाक के प्रति प्रेम भाँप चुके थे। जिन्ना ने नवाब को प्रलोभन दिया कि अगर वे भोपाल समेत अन्य मुस्लिम रियासतों को पाकिस्तान में मिलाते हैं, तो उन्हें पाकिस्तान का गवर्नर जनरल बना दिया जाएगा, लेकिन देसी रियासत हमीदुल्ला के साथ आने को तैयार नहीं हुए।

भोपाल को लेकर जिन्ना और नबाव के बीच हुए संवाद का गोपनीय पत्र आज भी भोपाल स्वतंत्र्य आंदोलन स्मारक समिति के सचिव डॉ.आलोक गुप्ता ने अपने पास संभालकर रखा हुआ है। इतिहासकार डॉ. गुप्ता के अनुसार, 14 अगस्त 1947 भोपाल रियासत के भारत में विलय की अंतिम तिथि थी। इससे कुछ दिन पहले ही हमीदुल्ला ने पाकिस्तान में जाने के लिए हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया था। उन्होंने दो अगस्त 1947 को जिन्ना को पत्र लिखा था।

हमीदुल्ला ने जिन्ना को माय डियर, कायदे आजम संबोधित करते हुए लिखा था, “आठ-दस साल से मैं पाकिस्तान का प्रबल समर्थक और मुस्लिम लीग का समर्पित अनुयायी हूँ। मेरी पाकिस्तान में विलय की प्रबल इच्छा है। भोपाल में 80 प्रतिशत हिंदू हैं और हम चारों ओर से हिंदू स्टेट से घिरे हुए हैं। मैं चाहता हूँ कि नवाब की गद्दी छोड़ दूँ और आपकी, इस्लाम और पाकिस्तान की सेवा करूँ। इसीलिए संविधान सभा में भी मैंने अपना प्रतिनिधि नहीं भेजा है। आपकी इजाजत से ही मैंने चेंबर ऑफ प्रिसेंस स्टेट (नरेश मंडल) की चांसलरशिप छोड़ी है। मैंने भोपाल सहित सभी मुस्लिम रियासतों को स्वतंत्र रखें जाने की पूरी कोशिश की, लेकिन इस काम में हिंदू रियासतों का सपोर्ट नहीं मिला और इसकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी।”

पत्र में हमीदुल्ला ने जिन्ना से यह भी पूछा था कि अगर पाकिस्तान में मेरा कोई काम नहीं है तो भी मुझे बताया जाए। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा था, “मैं आपसे मिलना चाहता हूँ। मेरा भविष्य अगले दिनों में तय होना है, इसलिए आपकी तरफ से पक्का आश्वासन चाहता हूँ। आपके प्रति मेरा गहरा विश्वास है। मैं कभी भी आपका साथ नहीं छोड़ूँगा। यदि पाक में मेरी जरूरत नहीं है तो मैं कहीं और चला जाऊँगा, लेकिन भारत में नहीं रहूँगा।”

नवाब हमीदुल्ला की भारत से नफरत और पाकिस्तान से प्रेम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक झटके में भोपाल की करीब आधी आबादी को कंगाल कर दिया था। बताया जाता है कि भारत को लेकर नवाब के इरादे इतने खतरनाक थे कि उन्होंने भोपाल बैंक का पैसा पाकिस्तान भेज दिया था। साल 1948 में नवाब ने बैंक ऑफ भोपाल की एक ब्रांच पाकिस्तान के कराची शहर में खोल दी और यहाँ का सारा पैसा वहाँ भेज दिया। इसके बाद इस बैंक को दिवालिया घोषित कर दिया गया था। उस समय शहर के अधिकांश लोग इसी बैंक में अपने पैसे रखते थे। नवाब ने उन हजारों लोगों की खून-पसीने की कमाई को डुबो दिया था।

दरअसल, भोपाल रियासत को भारत में मिलाने के लिए 4 जनवरी 1949 से प्रयास शुरू हो गए थे। सरदार पटेल की काफी कोशिशों के बाद भी हमीदुल्ला खान ने मर्जर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर टालने का प्रयास किया। 30 अप्रैल 1949 को जब भोपाल रियासत के मर्जर एग्रीमेंट पर साइन हुए तो भी नवाब ने बीमारी का बहाना बनाया, लेकिन उनसे बिस्तर में ही साइन कराकर भोपाल को भारत का हिस्सा बना लिया गया। इसके बाद भोपाल 1 जून 1949 को भारत का पूरी तरह से हिस्सा बना।

कहा जाता है कि भारत में भोपाल के विलय के बाद नवाब इंग्लैंड चले गए। वहीं उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान ने पाकिस्तान में रहने का फैसला किया। उनकी शादी कुरवाई के नवाब से हुई थी। पाकिस्तान जाने के बाद वहाँ की सरकार ने उन्हें ब्राजील में अपना राजदूत नियुक्त कर दिया। इसके बाद भी वे पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रहीं। नवाब की छोटी बेटी साजिदा सुल्तान का निकाह हरियाणा के पटौदी रियासत के नवाब से हुआ। नवाब के जाने के बाद साजिदा सुल्तान ने गद्दी सँभाली। क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी साजिदा सुल्तान के बेटे थे। बाद में उन्हें ही भोपाल के नवाब के तौर पर मान्यता मिली थी। टाइगर पटौदी ने बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से निकाह किया था। सैफ अली खान उन्हीं के बेटे हैं। इस तरह भोपाल के नवाब हमीदुल्ला रिश्ते में सैफ अली खान के परनाना लगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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