Friday, November 15, 2024
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औरंगाबाद बना छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद हुआ धाराशिव: महाराष्ट्र की शिंदे सरकार की कैबिनेट ने दी मंजूरी, अब केंद्र के पास जाएगा प्रस्ताव

उद्धव ठाकरे के इस फैसले का AIMIM नेता और सांसद इम्तियाज जलील ने विरोध किया था। उन्होंने इसके खिलाफ लड़ने के लिए सड़कों पर उतरने की चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा था कि किसी के दादाजी की इच्छा के लिए नाम नहीं बदला जाना चाहिए। औरंगाबाद का नाम 'मेरे मृत्यु प्रमाण पत्र' पर होना चाहिए।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) ने शनिवार (16 जुलाई 2022) को कहा कि औरंगाबाद (Aurangabad) का नाम छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhaji Nagar) और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव (Dhara Shiv) करने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।

सीएम शिंदे ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी (MVA) की सरकार द्वारा इन दोनों शहरों का नाम बदलने का निर्णय अवैध था, क्योंकि सरकार अल्पमत में थी।

बता दें कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले 29 जून 2022 को औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी के नाम पर ‘संभाजीनगर’ और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने को मंजूरी दी थी। इसके साथ ही नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम बदलकर डीबी पाटिल करने की मंजूरी दी थी।

जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी गुट और भाजपा के गठबंधन वाली सरकार बनी तो मुख्यमंत्री शिंदे ने इस फैसले को अवैध बताया था और कहा था कि इस फैसले को वे फिर से मंजूर करेंगे। अब महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को नए सिरे से लागू किया है।

प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हम नाम परिवर्तन से संबंधित महाराष्ट्र विधानसभा में एक प्रस्ताव लाएँगे, जिसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।”

बता देें कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने की माँग शिवसेना लंबे समय से करती आ रही थी। शिवसेना और उद्धव ठाकरे अक्सर औरंगाबाद को संभाजीनगर कहकर ही संबोधित किया करते थे।

उद्धव ठाकरे के इस फैसले का AIMIM नेता और सांसद इम्तियाज जलील ने विरोध किया था। उन्होंने इसके खिलाफ लड़ने के लिए सड़कों पर उतरने की चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा था कि किसी के दादाजी की इच्छा के लिए नाम नहीं बदला जाना चाहिए। औरंगाबाद का नाम ‘मेरे मृत्यु प्रमाण पत्र’ पर होना चाहिए।

उन्होंने कहा था, “औरंगाबाद शहर की पूरी दुनिया में एक ऐतिहासिक पहचान है। लेकिन उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व के मुद्दे को दिखाने और बालासाहेब ठाकरे द्वारा किए गए वादे को पूरा करने के लिए ही निर्णय लिया था।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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