Saturday, November 23, 2024
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माँ जानकी की जन्मभूमि पर बनेगी उनकी सबसे ऊँची प्रतिमा, भव्य होगा बिहार का ‘भगवती सीता तीर्थ क्षेत्र’: महंत ने दान में दी 14 एकड़ जमीन, PM मोदी भी आ सकते हैं

51 शक्तिपीठों के आलावा इंडोनेशिया, बाली और अशोक वाटिका से मिट्टी व जल एवं एमपी के नलखेड़ा स्थित माता बगलामुखी की ज्योति लाकर स्थापित किया जाएगा।

बिहार के सीतामढ़ी में माँ सीता की 251 फ़ीट की प्रतिमा का निर्माण करने का निर्णय लिया है। ये विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा होगी। सीतामढ़ी के स्थानीय परिसदन में शनिवार (19 नवंबर, 2022) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति’ के अध्यक्ष और सीतामढ़ी से जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। राघोपुर बखरी के महंत रामलाल दास ने माता सीता की प्रतिमा के निर्माण के लिए 14 एकड़ जमीन दान में दी है।

अब तक 24.40 एकड़ जमीन के लिए करार हो चुका है। 5 एकड़ और जमीन के लिए किसानों से बातचीत चल रही है। अनुमान लगाया गया है कि प्रतिमा के लिए 50 एकड़ जमीन की आवश्यकता होने वाली है, जिसमें 30 लाख रुपए का निबंधन खर्च आ सकता है। हालाँकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस निबंधन शुल्क को माफ़ करने का निर्णय लिया है, जिससे बड़ी राहत मिली है। 31 दिसंबर, 2022 तक रजिस्ट्री पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रोजेक्ट लिए तीन आर्किटेक्ट से नक्शा बनवाया जा रहा है और समीक्षा के बाद सबसे बेहतर नक़्शे पर ही निर्माण कार्य होगा। माँ सीता की ये प्रतिमा विश्व में सबसे ऊँची होगी। सांसद ने बताया कि इस संबंध में प्रधानमंत्री से भी बात हो चुकी है और पीएम मोदी ने शुरुआती प्रक्रिया पूरी करने के बाद भूमिपूजन को लेकर जानकारी देने को कहा था। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री भूमिपूजन में शिरकत करते हैं तो सीतामढ़ी का नाम पूरे विश्व पटल पर चमकेगा।

BPSC की परीक्षा में इस पर सवाल भी आया था कि माता सीता की सबसे ऊँची प्रतिमा कहाँ बन रही है। दिल्ली मेट्रो में भी सीतामढ़ी के संबंध में प्रचार-प्रसार किया जाता है। ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ के मुख्य मार्गदर्शक परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र महाराज की इस प्रोजेक्ट में मुख्य रुचि है। 51 शक्तिपीठों के आलावा इंडोनेशिया, बाली और अशोक वाटिका से मिट्टी व जल एवं एमपी के नलखेड़ा स्थित माता बगलामुखी की ज्योति लाकर स्थापित किया जाएगा।

सीतामढ़ी से 14 जनवरी, 2023 को सीता रथ (सीता ज्योति) निकलेगी, जो एक महीने तक पूरे देश भर में भ्रमण करेगी। माँ सीता की प्रतिमा निर्माण में होने वाले खर्च के लिए देश में स्थापित एक किन्नर अखाड़ा समेत 14 अखाड़ा को निर्देशित किया जा चुका है। ‘भगवती सीता तीर्थ क्षेत्र’ में प्रतिमाओं के दर्शन के लिए ‘नौका विहार’ भी विकसित किया जाएगा। नारी शिक्षा के लिए देश-विदेश में विद्यालय भी खोले जाने की योजना है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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