Sunday, May 5, 2024
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जैन साध्वी और नन के बीच का फर्क भी भूला BBC, सब कुछ त्यागने वाली 8 साल की बच्ची पर दुष्प्रचार में गार्जियन जैसे मीडिया हाउस भी शामिल

'द इंटरनेशनल' ने अपनी फोटो गैलरी में देवांशी की जैन समुदाय में संन्यास लेने वाली साध्वी जैसे कपड़े पहने हुए तस्वीर भी लगाई है।

हाल ही में गुजरात के सूरत में हीरा व्यापारी की 9 साल की बेटी देवांशी ने भौतिक सुख-सुविधाओं को त्याग कर संन्यास ग्रहण किया। पाँच भाषाओं की जानकार देवांशी ने जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा प्राप्त की है। लेकिन, कई विदेशी मीडिया संस्थानों ने उन्हें अपनी रिपोर्ट में नन लिखा है। गुजरात में भाजपा के मीडिया समन्वयक जुबिन अशरा ने उन मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट्स को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी साझा किया है। उन्होंने लिखा, “बीबीसी, द गार्जियन जैसे मीडिया पोर्टल इस तरह से झूठ फैलाते हैं। वह नन नहीं, बल्कि जैन साध्वी बन गई है। इनकी हेडलाइन्स देखिए।”

सूरत में लगभग तीन दशक पुरानी डायमंड पॉलिशिंग और ‘एक्सपोर्ट फर्म संघवी एंड संस’ के मालिक की बड़ी बेटी आने वाले कुछ सालों में करोड़ों की हीरा कंपनी की मालिक होती, लेकिन उसने यह स‍ब कुछ त्‍याग कर दीक्षा लेना स्वीकार किया। वेसु इलाके में देवांशी का दीक्षा का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें 30 हजार से अधिक लोग जुटे। लेकिन, बीबीसी ने एक बार फिर दुष्प्रचार करते हुए गलत रिपोर्ट प्रकाशित की।

बीबीसी की रिपोर्ट का ​स्क्रीनशॉट

इसी तरह द गार्जियन, इंडिपेंडेंट, द इंटरनेशनल जैसे कई मीडिया संतानों ने अपने पोर्टल पर जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा लेने वाली देवांशी को नन लिखा।

द गार्जियन का स्क्रीनशॉट

इंडिपेंडेंट ने भी अपनी रिपोर्ट में सूरत के हीरा कारोबारी की बेटी को नन लिखा है।

इंडिपेंडेंट का स्क्रीनशॉट

इसी तरह UAE के ‘द इंटरनेशनल’ न्यूज पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में मासूम बच्ची को नन लिखा है।

इंटरनेशनल का स्क्रीनशॉट

‘द इंटरनेशनल’ ने अपनी फोटो गैलरी में देवांशी की जैन समुदाय में संन्यास लेने वाली साध्वी जैसे कपड़े पहने हुए तस्वीर भी लगाई है। इसके बावजूद उसने अपनी रिपोर्ट में गलत हेडलाइन दी कि वह नन बन गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये मीडिया पोर्टल एक नन और जैन साध्वी के अंतर को नहीं जान पाए। या फिर उन्होंने ऐसा जानबूझ किया है?

दरअसल, देवांशी की दीक्षा से पहले उनके परिवार ने यूरोपीय देश बेल्जियम में भी सूरत की ही तरह जुलूस निकाला था। ऐसे में यह खबर केवल भारत तक ही सीमित नहीं थी। बच्ची के बारे में दुनिया भर के लोगों को अच्छे से पता था। फिर भी इन मीडिया संस्थानों ने एक बार फिर अपनी रिपोर्ट से यह साबित कर दिया कि वह पाठकों को गुमराह करने के लिए गलत खबरें प्रकाशित करते रहते हैं।

वहीं, देवांशी के परिवार वालों के मुताबिक, उनकी बेटी ने आज तक कभी भी टीवी नहीं देखा है। बचपन से ही उसकी रुचि धार्मिक क्रियाओं में रही है। वह इस छोटी से उम्र में ही 357 दीक्षा प्राप्त कर चुकी है। साथ ही बच्ची ने करीब 500 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर विहार और जैन समुदाय से जुड़े रीति-रिवाजों को समझा है। घरवालों का कहना है कि उन्होंने हमेशा ही जैन समुदाय से जुड़े कार्य ही किए हैं। कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया जो जैन समुदाय में प्रतिबंधित हो। यहाँ तक कि देवांशी ने कभी भी अक्षर लिखे हुए कपड़े तक नहीं पहने हैं।

इसके अलावा, देवांशी ने धार्मिक शिक्षा में आयोजित क्विज में गोल्ड मेडल हासिल किया था। वह संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भरतनाट्यम में भी एक्सपर्ट हैं। देवांशी को जैन समुदाय से जुड़े वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय जैसे महाग्रंथ कंठस्थ हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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