Monday, May 13, 2024
Homeदेश-समाजरो रही है अटरली बटरली डिलीशियस 'अमूल गर्ल', नहीं रहे 'जनक': ट्विटर पर झर-झर...

रो रही है अटरली बटरली डिलीशियस ‘अमूल गर्ल’, नहीं रहे ‘जनक’: ट्विटर पर झर-झर बहते आँसुओं वाली तस्वीर वायरल

जयेन मेहता ने कहा मुंबई में दाकुन्हा कम्युनिकेशंस के अध्यक्ष सिल्वेस्टर के निधन से वह बहुत दुखी है। सिल्वेस्टर दाकुन्हा ने 1966 में जीसीएमएमएफ के स्वामित्व वाले ब्रांड अमूल के लिए 'अटरली बटरली' अभियान की कल्पना की, जिसने 'अमूल गर्ल' को दुनिया के सामने पेश किया जो आज भी जारी है।

विज्ञापन की दुनिया में अमूल गर्ल को दुनिया के सामने पेश करने वाले सिलवेस्टर दा कुन्हा (80) का निधन हो गया है। इंडियन डेरी एसोसिएशन के आर एस सोढी ने अमूल गर्ल की उदास बैठी फोटो शेयर की जिसमें उसके आँसू भी निकल रहे हैं। वहीं गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी।

जयेन मेहता ने कहा मुंबई में दाकुन्हा कम्युनिकेशंस के अध्यक्ष सिल्वेस्टर के निधन से वह बहुत दुखी है। सिल्वेस्टर दाकुन्हा ने 1966 में जीसीएमएमएफ के स्वामित्व वाले ब्रांड अमूल के लिए ‘अटरली बटरली’ अभियान की कल्पना की, जिसने ‘अमूल गर्ल’ को दुनिया के सामने पेश किया जो आज भी जारी है।

हर्षा भोगले ने सिल्वेस्टर के निधन पर कहा कि भारतीय विज्ञापनों की विशाल संख्या में सिल्वेस्टर दाकुन्हा जैसे लोगों की पीढ़ी ने विज्ञापन का बीज मेरे दिमाग में बोया। उन्होंने इंडस्ट्री को और समृद्ध बनाया। मुझे ये देखकर खुशी है कि उनका प्रतिभाशाली बेटा राहुल दा कुन्हा परंपरा जारी रख रहा है।

बता दें कि वर्तमान में सिल्वेस्टर दाकुन्हा के बेटे राहुल दाकुन्हा अब अपने पिता द्वारा शुरू की गई विज्ञापन कंपनी को संभाल रहे हैं। उनके पिता ने 1966 में अमूल गर्ल का विज्ञापन देकर अमूल ब्रांड को देश-विदेशों में पहचान दिलाई थी। ये विज्ञापन दुनिया में सबसे लंबे समय तक लगातार चलने वाले विज्ञापन में से एक हैं।

इसी एड की बदौलत गुजरात की कंपनी ने विदेशों तक अपनी पहुँच बनाई। उनके अमूल गर्ल कैंपेन के साथ एक वन लाइनर भी खूब मशहूर हुआ- जो कि ‘अटर्ली-बटर्ली अमूल’ था। लोगों के दिमाग में अमूल कंपनी की छाप ही अमूल गर्ल से साथ बस गई। आप आमूल के कुछ पुराने विज्ञापन नीचे वीडियो में देख सकते हैं:

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

हिन्दू नेताओं की हत्या के लिए PFI ने बनाया ‘मौत का दस्ता’, मस्जिद-मदरसों में ट्रेनिंग: RSS नेता रुद्रेश-BJYM के प्रवीण नेट्टारू की हत्या ‘मिशन...

NIA ने खुलासा किया कि PFI ने 'सर्विस टीम' और 'किलर स्क्वाड' बना रखा है, ताकि वो अपने 'दुश्मनों' की हत्या कर सके और भारत को 2047 तक इस्लामी मुल्क बनाने का उसका सपना पूरा हो।

डमरू की डमडम, मंत्रों की गूँज, शंखनाद, कलाकारों की प्रस्तुतियाँ, साथ में ‘शिवगण’… वाराणसी की गलियों में PM के रोडशो में उमड़ा जनसैलाब, लोग...

वाराणसी से नरेंद्र मोदी ने 2014 में 3.71 लाख और 2019 में 4.79 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। 2014 में कुल मतों का 56.37% तो 2019 में 63.62% प्राप्त हुआ था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -