Saturday, November 23, 2024
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हाईकोर्ट को बताया- मंदिर हमेशा मंदिर होता है, भले वो खंडहर हो जाए… फिर भी ठुकरा दी शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि घोषित करने की माँग

एडवोकेट महक ने कहा था कि शाही ईदगाह मस्जिद को एक मस्जिद नहीं माना जा सकता, क्योंकि इस्लामी न्यायशास्त्र में दावा है कि जबरन हासिल की गई भूमि पर कभी भी मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। वहीं, हिंदू न्यायशास्त्र में कहा गया है कि एक मंदिर हमेशा एक मंदिर ही होता है, भले ही वह खंडहर हो गया हो।

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले से संंबंधित एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है। दरअसल, इस याचिका में मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने की माँग की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश प्रीतिन्कर दिवाकर और न्यायाधीश आशुतोष श्रीवास्तव वाली हाईकोर्ट की पीठ ने पिछले महीने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब बेंच ने बुधवार (11 अक्टूबर 2023) को यह आदेश पारित किया है।

साल 2020 में वकील महक माहेश्वरी ने इस जनहित याचिका को दायर की थी। इसके साथ ही उन्होंने मथुरा स्थित इस शाही ईदगाह मस्जिद को हिंदुओं को सौंपने की भी माँग की थी। उन्होंने इसके पीछे तमाम हिंदू शास्त्रों का भी संदर्भ दिया था।

याचिकाकर्ता ने यह दलील दी थी कि विभिन्न ऐतिहासिक ग्रंथों में इस स्थान को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के रूप में दर्ज किया गया है। माहेश्वरी ने यह भी तर्क दिया था कि मथुरा का इतिहास रामायण काल का है, जबकि इस्लाम का उदय सिर्फ 1500 साल पहले हुआ था।

PIL में कहा गया कि भगवान कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था और वह जन्म स्थान शाही ईदगाह की वर्तमान संरचना के नीचे है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने ईदगाह मस्जिद प्रबंध समिति के साथ एक समझौता किया, जिसमें देवता की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा बाद में दे दिया गया, जोकि अवैध है।

एडवोकेट महक ने कहा था कि शाही ईदगाह मस्जिद को एक मस्जिद नहीं माना जा सकता, क्योंकि इस्लामी न्यायशास्त्र में दावा है कि जबरन हासिल की गई भूमि पर कभी भी मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। वहीं, हिंदू न्यायशास्त्र में कहा गया है कि एक मंदिर हमेशा एक मंदिर ही होता है, भले ही वह खंडहर हो गया हो।

इसलिए जनहित याचिका में अनुरोध किया गया था कि मंदिर की जमीन हिंदुओं को सौंप दी जानी चाहिए और उस स्थान पर मंदिर बनाने के लिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि का एक उचित ट्रस्ट बनाया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने विवादित संरचना की अदालत की निगरानी में ASI से GPS आधारित खुदाई के लिए अलग से प्रार्थना भी की थी।

बता दें कि इस साल मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा अदालत में लंबित श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित सभी मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था। हाईकोर्ट ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और सात अन्य की ओर से दायर एक आवेदन पर यह आदेश दिया था।

वहीं, पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर फैसला इलाहाबाद उच्च न्यायालय पर छोड़ दिया था। इस याचिका में मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की माँग की गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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