पहले तो आप यह तय कीजिए कि आपको मतलब किस बात से है? पत्रकार/पीड़ित के फोन रिकॉर्ड होने से, या इस बात से कि वहाँ दंगा न फैले, पीड़ित परिवार को न्याय मिले?
भयावहता को दर्शाने के लिए जीभ काटने, रीढ़ की हड्डी तोड़ने, आँख फोड़ने की बात कही गई। ये भी कहा गया कि आरोपित सवर्ण है, इसलिए पुलिस छेड़छाड़ का मामला बताकर रफा-दफा करने की कोशिश कर रही है।
रवीश के लिए लॉकडाउन करो तो समस्या है, नहीं करो तो समस्या है। रवीश ने नवंबर 2019 से लेकर सितंबर के तीसरे सप्ताह तक बिहार के बारे के बारे में कुछ नहीं बोला।
इस बीच मौकापरस्त पत्रकार और नेता मामले को स्पिन देते हुए आरोपित की ‘जाति’ निकाल कर सामने ला रहे हैं कि वो उच्च जाति का होने की वजह से पुलिस ने रेप से इनकार किया।