Monday, December 23, 2024
486 कुल लेख

अजीत भारती

पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी
00:11:57

नक्सलियों का रोस्ट: पलामू में पकड़ाया डिल्डो! अजीत भारती का वीडियो | Naxals caught with dildo in Palamu

"डिल्डो मिलने का मतलब वामपंथी न तो क्रांति कर पा रहे न वामपंथनों को संतुष्ट। कामपंथियों के बजाय रबर-यंत्र चुनने पर वामपंथनों को सलाम!"

जब नक्सलियों की ‘क्रांति के मार्ग’ में डिल्डो अपनी जगह बनाने लगता है तब हथियारों के साथ वाइब्रेटर भी पकड़ा जाता है

एक संघी ने कहा, "डिल्डो मिलने का मतलब वामपंथी न तो क्रांति कर पा रहे न वामपंथनों को संतुष्ट। कामपंथियों के बजाय रबर-यंत्र चुनने पर वामपंथनों को सलाम!"
00:37:06

प्रयोगधर्मी, वैज्ञानिक कृषि करने वाले राज नारायण जी से अजीत भारती की बातचीत | Keshabe micro training centre

राज नारायण, बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहते, चाहे जरूरत संसाधनों को लेकर ही क्यों न हो। उन्होंने आत्मनिर्भर होने के लिए अपना मिशन तैयार किया है।
00:30:45

कैसा दिखता है वैज्ञानिक कृषि वाला खेत: अजीत भारती का वीडियो | Raj Narayan’s farm and training centre, Keshabe

इस दौरान हमने जानने की कोशिश की कि ये किस तरह से कृषि, गौपालन आदि करते हैं और इसे समाज में भी ले जाने की कोशिश करते हैं।
00:27:53

किसान आंदोलन में ‘रावण’ और ‘बिलकिस बानो’, पर क्यों? अजीत भारती का वीडियो । Ajeet Bharti on Farmers Protest

फिलहाल जो नयापन है, उसमें 4-5 कैरेक्टर की एंट्री है। जिसमें से एक भीम आर्मी का चंद्रशेखर ‘रावण’ है, दूसरी बिलकिस बानो है, जो तथाकथित शाहीन बाग की ‘दादी’ के रूप में चर्चा में आई थी।
00:14:07

कावर झील पक्षी विहार या किसानों के लिए दुर्भाग्य? Kavar lake, Manjhaul, Begusarai

15000 एकड़ में फैली यह झील गोखुर झील है, जिसकी आकृति बरसात के दिनों में बढ़ जाती है जबकि गर्मियों में यह 3000-5000 एकड़ में सिमट कर...
00:33:45

किसान आंदोलन या दूसरा शाहीन बाग? अजीत भारती का विश्लेषण | Ajeet Bharti Analysing Farmer Protests

इस आंदोलन में एक ऐसा समूह है जो हर किसी को बरगलाना चाहता है। सीएए के दौरान ऐसा ही शाहीन बाग में देखने को मिला था।
00:30:50

बिहार के किसान क्यों नहीं करते प्रदर्शन? | Why are Bihar farmers absent in Delhi protests?

शंभू शरण शर्मा बेगूसराय इलाके की भौगोलिक स्थिति की जानकारी विस्तार से देते हुए बताते हैं कि छोटे जोत में भिन्न-भिन्न तरह की फसल पैदा करना उन लोगों की मजबूरी है।