क्या BBC इतना मासूम है कि वह कोरोना के संक्रमण के इस बड़े माध्यम (तबलीगी जमात) से अभी तक अनजान है? कि इस मरकज से निकले हुए लोग आखिर किन-किन जगहों पर नहीं गए होंगे?
जनता कर्फ्यू के दिन थाली बजाने पर पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम युवकों ने रेवंत सिंह को धमकाया। कहा कि यहाँ मोदी का नहीं हमारा कानून चलता है। फिर 4 अप्रैल को उन पर घात लगाकर हमला किया। 5 दिन कोमा में रहने के बाद उनकी मौत हो गई।
6 प्रमुख उद्देश्यों के साथ तबलीगी जमात की एक सबसे बड़ी शर्त और विशेषता इसकी गोपनीयता है। इसी गोपनीयता ने इसकी हरकतों पर हमेशा आवरण का काम किया है। तबलीगी समय के साथ कट्टर जिहादी समूहों में बढ़ते गए और यह विश्वास करने लगे कि 'अच्छे मुस्लिमों' को इसी जीवन में यातनाएँ भोगनी चाहिए।
विकिलीक्स के दस्तावेजों के अनुसार, अमेरिका द्वारा हिरासत में लिए गए 9/11 आतंकी हमले के कुछ अलकायदा संदिग्ध कई साल पहले दिल्ली स्थित निजामुद्दीन तबलीगी जमात परिसर में रुके थे। वहीं, 2003 की न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि ये लोग भारत के ग्रामीण इलाकों से शुरू होकर विश्वभर में 'धार्मिक उपदेशक' के नाम पर फैलते गए।
जब 50 करोड़ हिन्दुओं को कोरोना से खत्म करने की दुआ करता मौलवी गिरफ्तार होता है, या फिर TikTok पर युवक इसे अल्लाह का कहर बताते नजर आते हैं, तो लोगों की जिज्ञासा एक बार के लिए मुस्लिम समुदाय पर सवाल खड़े जरूर कर देती है। ऑल्ट न्यूज़ जैसे फैक्ट चेकर्स के कंधे पर बंदूक रखकर दक्षिणपंथियों के दावों को खारिज करने का दावा करने वाला ध्रुव राठी यहाँ पर एक बार फिर सस्ती लोकप्रियता जुगाड़ते व्यक्ति से ज्यादा कुछ भी नजर नहीं आते।