Tuesday, November 26, 2024
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आशीष नौटियाल

पहाड़ी By Birth, PUN-डित By choice

दिल्ली की सड़कों पर भाग रहे थे चिदंबरम, केजरी वाले 15 लाख CCTV कैमरे में आए नजर

CBI के जाँच दल को एक अनजान नंबर से कॉल आया और उधर से एक बेहद करुण आवाज ये कहते हुए सुनाई दी- "हेलो, मैं अरविन्द केजरीवाल बोल रहा हूँ। फ़ोन मत काटना जी।"

मैं अनुराग ‘समय’ कश्यप हूँ, मुझे हक़ीक़त से क्या, मेरी जिंदगी का एक्के मकसद है – प्रपंच और प्रलाप चलता रहे

प्रगतिशील लिबरल वर्ग का वास्तविक डर संवाद के साधनों का दोतरफा हो जाना है। अब यह संभव नहीं है कि आप टीवी स्क्रीन के पीछे बैठकर इकतरफा अपने कुतर्कों का ज्ञान बाँचें और श्रोता, दर्शक, पाठक आपसे सहमत होने के लिए मजबूर हो। यह समय त्वरित संचार और प्रतिक्रिया का है। जो प्लेटफॉर्म जितना ज्यादा प्रतिक्रिया करता है ये प्रगतिशील वहाँ से अवश्य पलायन करेंगे।

नेहरू-शेख की दोस्ती के कसीदों में ही छिपा है कश्मीर का शोकगीत, खुसरो की कविता से नहीं बदलेगा इतिहास

खुसरो की कविताओं से पहले कल्हण की राजतरंगिणी को याद करना जरूरी है, जिसमें कश्मीर को 'कश्यपमेरू' बताया गया है। कहा जाता है कि महर्षि कश्यप श्रीनगर से तीन मील दूर हरि-पर्वत पर रहते थे। जहाँ आजकल कश्मीर की घाटी है, वहाँ अति प्राचीन प्रागैतिहासिक काल में एक बहुत बड़ी झील थी, जिसके पानी को निकाल कर महर्षि कश्यप ने इस स्थान को मनुष्यों के बसने योग्य बनाया था।

Article 370: BBC के लिए कश्मीर पर अब सिर्फ यूगांडा-लोसोटो से ही बयान लेना बाकी

मीडिया के इस ख़ास वर्ग का दर्द यह है कि इतना बड़ा ऐतिहासिक फैसला बिना किसी हिंसा और संघर्ष के इतने शानदार होम वर्क के साथ आखिर कैसे सम्भव हो गया? बुद्धिपीड़ितों को तो अभी भी यह उम्मीद है कि काश कहीं तो कुछ खूनखराबा हो, ताकि सरकार के निर्णय पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा सके।

राम मंदिर के लिए ईंट-बजरी तोड़ने भेजे गए हैं कश्मीर से 72 से 2 कम खूँखार आतंकी: विशेष सूत्र

ऑपइंडिया तीखी-मिर्ची सेल की ख़ुफ़िया रिपोर्ट्स की मानें तो इन आतंकियों को उत्तर प्रदेश पुलिस की निगरानी में मात्र 'ठाँय-ठाँय' के ही स्वर से जन्नत-ए-फ़िरदौस की पहली यात्रा ट्रायल के तौर पर करवाई जाएगी।

पहले नान-टिमाटर के भाव ठीक कर लो, जिहाद तो हमें पता है कयामत तक करोगे

पाकिस्तान आर्मी प्रवक्ता ने कल शाम एक ट्वीट किया है, जिसमें वो कश्मीर को किसी भी तरीके से वापस लेने की बात करते हुए नजर आ रहे हैं। हालाँकि, गफूर द्वारा अभी यह स्पष्टीकरण देना बाकी है कि उन्होंने ये ट्वीट भाँग के नशे में किया था या घोड़े की लीद फूँक कर....

वो दिग्विजय सिंह है, वो कुछ भी कह सकता है

कॉन्ग्रेस को भय है कि समर्थन करने में मुस्लिम वोट बैंक से हाथ धोना पड़ सकता है और विरोध करने में हाल ही में अपनाया गया ताजातरीन हिंदुत्व खतरे में पड़ सकता है इसलिए बेहतर है कि इस सब चर्चा से ऊपर उठकर नेहरू जी के नाम का कलमा पढ़ा जाए।

आज ही के दिन की थी आइंस्टीन ने एक पत्र लिखकर ऐसी गलती, जिसका उन्हें मौत तक अफ़सोस रहा

रूजवेल्ट को लिखे गए इस पत्र के 6 साल बाद 6 और 9 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था। इतिहास और आइंस्टीन दोनों को यह अफ़सोस हमेशा रहा कि इस महान त्रासदी की नींव पर कुछ Best Brains के भी हस्ताक्षर थे।