इन 10 चेहरों को देख लीजिए। इन्होंने 2019 में नकारात्मकता, जातिवाद, डर और तानाशाही का कारोबार किया है। ऑपइंडिया लेकर आया है उन 10 लोगों के नाम, जिन्होंने पूरे 2019 में केवल बुरे कारणों से ही सुर्खियाँ बनाईं। कइयों को जनता ने इस साल करारा सबक सिखाया।
ऑपइंडिया ले कर आया है इस वर्ष की नृशंस अपराधों की टॉप-10 ख़बरें, जिन्हें वामपंथी मीडिया ने छिपाने की भरसक कोशिश की। ये ऐसी ख़बरें हैं, जिन्हें मीडिया के एक वर्ग ने छिपाना चाहा। साल की ऐसी सभी 10 ख़बरों को आप एक साथ यहाँ पढ़ सकते हैं।
ऑपइंडिया ने एक साल पूरे किए और लगभग 10,000 लेख हमने खबरों, विचार और विश्लेषण के रूप में आप तक पहुँचाया। लेकिन इसमें सिर्फ ऑपइंडिया की सम्पादकीय टीम का ही योगदान नहीं रहा, बल्कि पाठकों में से भी कई लोगों ने अपने लेखों और विश्लेषणों से हमारे प्लेटफ़ॉर्म को बेहतर बनाया। उन सभी का शुक्रिया, बार-बार धन्यवाद!
वर्ष 2019 जाने वाला है और इसी के साथ ऑपइंडिया हिन्दी के भी एक साल पूरे हो रहे हैं। इस साल राजनीति और समाज से ले कर न्यायपालिका और मीडिया से जुड़ी कई ऐसी खबरें थीं, जिन्हें पाठकों ने खूब पढ़ा और पसंद किया। 2020 में हम और भी उत्साह से बने रहेंगे आपके साथ।
अगर आँकड़ों की बात करें तो प्रति 1000 की जनसंख्या पर उन देशों में बलात्कार की औसत घटनाएँ भारत से ज्यादा ही होती हैं। यहाँ हम इस पर विचार कर रहे हैं कि क्या वेश्यावृत्ति और पोर्नोग्राफी को लीगल करने से रेप में कमी आएगी? इसका जवाब है- नहीं। इसके पीछे कई कारण हैं, जिन्हें आपको समझना होगा।
दुर्भाग्य यह है कि बिहार में शायद कुछ भी सही नहीं है। इसलिए हमें बुद्ध और चाणक्य की शरण में जाना पड़ता है। लेकिन अशोक स्तम्भ और गरुड़ध्वज की छाया क्षीण हो चुकी है। नितीश और लालू जैसे नेता यह बताते हैं कि हम चुनने में भी गलती करते हैं, और उसके बाद काम करवाने के लिए प्रयास भी नहीं करते।
बाढ़ सरकारी महकमे के अफसरों और नेताओं के लिए उत्सव है। ये वो समय है जब राहत पैकेज के रूप में भ्रष्टाचार का पैकेज आता है। आखिर लगभग पंद्रह साल से सत्ता में रही पार्टी इस समस्या का कोई हल ढूँढने में विफल क्यों रही है? अगर कोसी द्वारा अपने पुराने बहाव क्षेत्र में वापस आने वाले साल को छोड़ दिया जाए, तो बाकी के हर साल एक ही समस्या कैसे आ जाती है?