Friday, April 19, 2024
Homeविविध विषयअन्यऑपइंडिया टॉप 10: साल भर की वो खबरें जो सबसे ज्यादा पढ़ी गईं, जिसे...

ऑपइंडिया टॉप 10: साल भर की वो खबरें जो सबसे ज्यादा पढ़ी गईं, जिसे वामपंथियों ने छुपाया

रवीश के ऑपइंडिया और एडिटर अजीत भारती पर निजी हमले से ले कर मंदिरों की मूर्तियाँ तोड़ने, कश्मीर के मस्जिदों से हिन्दू औरतों की माँग, सिख नरसंहार की फाइलों के दोबारा खुलने और मेरठ से 125 हिन्दू परिवारों के पलायन की खबरें, इस साल सबसे ज्यादा पढ़ी गईं।

वर्ष 2019 जाने वाला है और इसी के साथ ऑपइंडिया हिन्दी के भी एक साल पूरे हो रहे हैं। इस साल राजनीति और समाज से ले कर न्यायपालिका और मीडिया से जुड़ी कई ऐसी खबरें थीं जिन्हें पाठकों ने खूब पढ़ा और पसंद किया। रवीश के ऑपइंडिया और एडिटर अजीत भारती पर निजी हमले से ले कर मंदिरों की मूर्तियाँ तोड़ने, कश्मीर के मस्जिदों से हिन्दू औरतों की माँग, सिख नरसंहार की फाइलों के दोबारा खुलने और मेरठ से 125 हिन्दू परिवारों के पलायन की वो खबरें जो इस साल सबसे ज्यादा पढ़ी गईं। 

हम आपके लिए उन खबरों को संक्षिप्त तरीके से दोबारा रख रहे हैं: 

फिर से खुलेंगी 1984 सिख नरसंहार से जुड़ी फाइल्स, कई नेताओं की परेशानी बढ़ी: गृह मंत्रालय का अहम फैसला

इस खबर में प्रमुख बात ये थी कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के प्रतिनिधियों की बातें सुनने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जाँच का दायरा बढ़ा दिया। गृह मंत्रालय ने कहा कि 1984 सिख विरोधी दंगे के वीभत्स रूप को देखते हुए इससे जुड़े सभी ऐसे गंभीर मामलों में जाँच फिर से शुरू की जाएगी, जिसे बंद कर दिया गया था या फिर जाँच पूरी कर ली गई थी। बता दें कि एसआईटी ने क़ानूनी सलाह लेने के बाद सिख नरसंहार से जुड़े उन मामलों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है, जिनमें आरोपितों को बरी कर दिया गया या फिर दोषमुक्त कर दिया गया।

शिवसेना विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ खोला मोर्चा, पूछा- सीएम पद के लिए क्यों लगाया दाँव पर

खबर केंद्रित है उस घटनाक्रम पर जब शिवसेना ने अपने विधायकों को मुंबई के मलाड स्थित रिट्रीट होटल में कैद कर रखा था। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक होटल में कैद विधायक बगावत पर उतर आए थे। उनके तेवर ने उद्धव ठाकरे को भी होटल आने पर मजबूर कर दिया था। बागी विधायक खुद अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाना चाहते थे। इन विधायकों का कहना था कि ठाकरे परिवार निजी फायदे के लिए सीएम पद की मॉंग पर अड़ी रही। कुछ विधायकों ने एनसीपी से हाथ मिलाने के फैसले का भी ये विरोध करते हुए कहा था- सारी मलाई खुद हड़प जाएँगे शरद पवार।

प्रिय रवीश जी, छोटे रिपोर्टर को अपमानित करने से आपका कब्ज नहीं जाएगा, चाहे कितना भी कुथिए

अयोध्या में दिवाली मनाया जा रहा था जिसकी भव्यता देखकर रिपोर्टर ने लिखा था कि यह दृश्य ऐसा था जिसे महसूस किया जा सकता है, बयाँ करना मुश्किल है। इसी लाइन से रवीश जी की सबसे ज़्यादा सुलग गई थी क्योंकि अयोध्या में लाखों दीपक जल रहे थे और उसके ताप को रवीश ने ऐसा महसूस किया कि बयाँ करने से रह नहीं पाए! इस खबर में रवीश कुमार ने एक रिपोर्टर के रिपोर्ट का मजाक सिर्फ इसलिए उड़ाया क्योंकि वो रिपोर्टर उनके जितना बड़ा पत्रकार नहीं है और दूसरी बात उसने रिपोर्ट अयोध्या के दीपोत्सव पर लिखी। और गलती से सरकार के आयोजन की तारीफ कर दी।

मुस्लिमों ने हिन्दू परिवार को दिवाली मनाने से रोका: प्रताड़ित किया, घर की लाइट्स तोड़ीं, FIR दर्ज

रिपोर्ट एक व्यथा की कथा है, जिसमे पीड़ित अपना दर्द खुद बयान करता है, “हर साल की तरह, मेरी पत्नी प्रियंका शर्मा को मोमबत्ती जलाने और दिवाली पर अपनी रंगोली बनाने से रोका गया है। असामाजिक तत्व जो सोसायटी में रहते हैं, रेहान पेटीवाला, सलीम और मुस्तफा ने लाइट्स तोड़ दीं। हर साल वे ऐसा करते हैं और यहाँ तक कि हमारे भगवान और देवी-देवताओं का भी मजाक उड़ाते हैं। बकरा ईद पर, वे हमें अपना दरवाज़ा खुला रखने के लिए मजबूर करते हैं और वे हमारे घर के सामने बकरियों का वध करते हैं। लेकिन, मैंने कभी कुछ नहीं कहा क्योंकि यह उनका त्योहार है। क्योंकि हम हिन्दू हैं, हमारा मज़ाक उड़ाया जाता है, दबाव डाला जाता है और ऐसी स्थिति बनाई जाती है कि हम जल्द ही इस क्षेत्र को छोड़ दें।”

ख़ुद में ‘ढुका लाग के’ देखिए रवीश जी, दूसरों को ‘लबरा’ बता कर नेतागिरी करना बंद कर देंगे

स्टोरी में रवीश कुमार केंद्र में हैं और जगह हैं पूर्वी चम्पारण में स्थित सोमेश्वरनाथ महादेव की धरती- अरेराज। रवीश ने अपने गृहक्षेत्र में भोजपुरी में झूठ बोल कर दूसरों को ‘लबरा’ बताया था। हमेशा की तरह प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए थे। रवीश कुमार ने पत्रकारिता के साथ नेतागिरी की शुरुआत करते हुए एक नमूना पेश किया था, “जे हमरा दिमाग में आई से कहेब लेकिन लबरई ना कहेब। काहे कि हमरा सरकार बनावे के त नइखे। त ना हम लबरई ढिलेम आ ना रउआ लोगन लबरई लपेटेम।”

‘मंदिर में प्रतिमाएँ तोड़ीं, लगाए ‘अल्लाहु-अकबर’ के नारे’: स्थानीय लोगों में गुस्सा, तनाव के बीच वीडियो वायरल

मामला दिल्ली के चाँदनी चौक इलाक़े में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा मंदिर में तोड़फोड़ करने का था, प्रमुखता से जोर इस बात पर था कि “ये पाकिस्तान नहीं बल्कि दिल्ली के चावड़ी बाजार का हिन्दू मंदिर है। जहाँ धर्म विशेष की भीड़ ने मंदिर में घुसकर वहाँ की मूर्तियों को तोड़ा है।” रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के अनुसार लिखा गया था कि पहले साज़िश के तहत यह अफवाह फैलाई गई कि एक मुस्लिम व्यक्ति की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई है और उससे जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया है। इस अफवाह के बाद मुस्लिम मॉब मंदिर में घुस आई और मूर्तियों को तोड़-फोड़ दिया।

‘हमें सिर्फ़ हिंदू औरतें चाहिए, हिंदू मर्द नहीं’– कश्मीर की हर मस्जिद से 19/1/1990 की रात आ रही थी यही आवाज

“उस रात इस्लामी आतंकियों ने 3 विकल्प दिए थे- कश्मीर छोड़ दो, धर्मांतरण कर लो या मारे जाओ। इसके बाद गिरिजा टिक्कू का सामूहिक बलात्कार कर टुकड़ों में काट दिया गया। बीके गंजू को गोली मारी गई और उनकी पत्नी को खून से सने चावल (वो भी पति के ही खून से सने) खाने को मजबूर किया गया।” इतना ही नहीं पीड़िता ने यह भी बताया, “मेरे दादाजी रसोई की चाकू और जंग लगी कुल्हाड़ी लेकर हमें मारने के लिए खड़े थे, ताकि वो हमें उस बर्बरता से बचा सकें, जो जिंदा रहने पर हमारा आगे इंतजार कर रही थी।”

10 गलियाँ हुईं सुनसान, 125 हिन्दू परिवारों के पलायन के बाद मेरठ बन रहा दूसरा कैराना

खबर उत्तर प्रदेश के मेरठ से है जो नया कैराना बन रहा था। यहाँ से हिन्दू पलायन करने को मज़बूर थे वजह वही समुदाय विशेष। वहाँ के स्थानीय हिन्दुओं का कहना था, “समुदाय विशेष के लोग स्टंटबाजी, छेड़खानी, लूटपाट, अवैध पार्किंग, हूटिंग और हुड़दंग करते हैं। आपत्ति जताने पर कहते हैं यब सब उनका अधिकार है। अब तक पलायन से 10 गालियाँ सुनसान हो चुकी हैं।” लोगों ने तो यह भी बताया था कि थोड़ी-थोड़ी सी बात पर शरारती तत्व भीड़ लगा देते हैं और हुड़दंग चालू कर देते हैं। समुदाय विशेष के लोग बहुसंख्यकों के मकान के सामने अपनी गाड़ी खड़ी कर देते हैं और मना करने पर गाली-गलौज करते हैं। एक स्थानीय महिला ने कहा कि विरोध करने पर वो कहते हैं कि यह सब उनका अधिकार है।

मेरी अंतिम इच्छा है कि मरने से पहले इस मामले को अंजाम तक पहुँचा दूँ: रामलला के 92 वर्षीय वकील

कहानी है, 2012 से 2018 तक राज्यसभा सांसद रह चुके पराशरण के बारें में जो 70 के दशक से ही अधिकतर सरकारों के फेवरिट वकील रहे हैं। धार्मिक पुस्तकों का उन्हें इतना ज्ञान है कि वह अदालत में बहस के दौरान भी उनका जिक्र करते रहते हैं। उन्हें हिंदुत्व का विद्वान माना जाता है। धार्मिक पुस्तकों का उन्हें इतना ज्ञान है कि वह अदालत में बहस के दौरान भी उनका जिक्र करते रहते हैं। तभी तो मद्रास HC के पूर्व मुख्य न्यायाधीश उन्हें ‘भारतीय वकालत के पितामह’ कहते हैं। अयोध्या के फैसले में उनकी भूमिका भगवान राम के प्रति समर्पण और उनकी आस्था का प्रमाण भी है। उन्होंने अदालत में कहा, “मैं अपने श्रीराम के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ।

खिसियाया रवीश ऑपइंडिया नोचे: न्यूज़लॉन्ड्री का लेख रवीश ने ही लिखवाया, एडिट किया, नहीं चला तो खुद शेयर किया
बात यहाँ हो रही है उस प्रपंची पत्रकार की जो हर उस आदमी को गोदी मीडिया, आईटी सेल, व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी बोल देते हैं, जो उनके पाखंड की पोल खोलने की जुर्रत करता है। लेखक ने इस बात पर जोर देते हुए कहा है, “मुझे भरोसा है कि रवीश जी सबका नाम किसी कॉपी में लिखकर रख रहे होंगे कि जब राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बनेंगे तो उनसे बोलकर सबको जेल भिजवाएँगे।” इसी रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा है कि ऑपइंडिया के खिलाफ एक लेख रवीश जी ने ही पोस्ट करवाया है। उसका ड्राफ़्ट भी उनसे चेक कराया गया था। वेबसाइट पर जब अपलोड किया गया तो तीन दिन तक जब कोई रिस्पॉन्स नहीं आया। तब रवीश जी ने परेशान होकर ख़ुद ही फ़ेसबुक पर शेयर किया ताकि ऑपइंडिया की पोल खुल जाए। लेकिन हो गया उल्टा।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Editorial Desk
Editorial Deskhttp://www.opindia.com
Editorial team of OpIndia.com

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बंगाल में मतदान से पहले CRPF जवान की मौत, सिर पर चोट के बाद बेहोश मिले: PM मोदी ने की वोटिंग का रिकॉर्ड बनाने...

बाथरूम में CRPF जवान लोगों को अचेत स्थिति में मिला, जिसके बाद अस्पताल ले जाया गया। वहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जाँच-पड़ताल जारी।

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 21 राज्य-केंद्रशासित प्रदेशों के 102 सीटों पर मतदान: 8 केंद्रीय मंत्री, 2 Ex CM और एक पूर्व...

लोकसभा चुनाव 2024 में शुक्रवार (19 अप्रैल 2024) को पहले चरण के लिए 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 संसदीय सीटों पर मतदान होगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe