अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है!
बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!
"उपेक्षा का एकमात्र कारण ऐसे कुलपतियों का यहाँ आना भी रहा जो वामपंथी विचारधारा से प्रेरित थे। जिनकी हिन्दू धर्म और सनातन परम्पराओं में कोई रूचि नहीं रही। कॉन्ग्रेस के शासन के दौरान जब वामपंथ का बोलबाला रहा तभी BHU के संविधान से काफी छेड़छाड़ हुआ।"
"संविधान भी धर्म विशेष संस्थानों के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है और वह अधिकार सभी को मिलना चाहिए। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय को भी विशेष अधिकार प्राप्त हैं किन्तु जानकारी के अभाव में प्रशासन द्वारा भूल हुई है इसलिए अपनी गलती स्वीकार करते हुए उसे सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।"
अब दूसरे संकाय के छात्र भी संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के छात्रों के समर्थन में आ गए हैं। प्रतीकात्मक रूप से कला संकाय के बिरला छात्रावास के छात्रों ने BHU प्रशासन की शव यात्रा निकाल कर अपना मुखर विरोध दर्ज कराया। कला संकाय के छात्र अभिषेक सिंह ने ऑपइंडिया को बताया कि...
"फिरोज खान की SVDV छोड़कर कहीं भी नियुक्ति हो हम उनका स्वागत करेंगे। हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है हमारा विरोध सिर्फ उनके संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में पढ़ाने से है। हम उन्हें अपना आचार्य नहीं मान सकते, यहाँ उनकी नियुक्ति पूरी तरह से मालवीय मूल्यों, BHU संविधान और धर्म के संरक्षण के खिलाफ है।"
"अगर प्रशासन ने छात्रों की बात नहीं मानी और अपना वादा पूरा नहीं किया तो धर्म की रक्षा के लिए काशी विद्वत परिषद, शंकराचार्यों, पूर्व प्रोफेसरों, आचार्यों सहित देश के कोने-कोने में रह रहे संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के पूर्व छात्र भी विशाल आंदोलन में शामिल होने को तैयार हैं।"
"संस्कृत पढ़ना कोई कौतूहल की बात नहीं है पर संस्कृत प्रेमी कहना पूर्ण सत्य नहीं है यदि फिरोज संस्कृत प्रेमी होते तो दूसरे के धर्म पर आघात नहीं करते मुझे लगता है ये केवल व्यवसायिक तौर पर ही संस्कृत को पढ़ें है यदि ये तीन पीढ़ी से संस्कृत ही पढ़ रहे हैं, भजन-श्लोक गाने में ही रूचि है तथा वैचारिक रूप से सनातनी ही है तो फिर इन्होंने अबतक सनातन धर्म क्यों नहीं अपना लिया?"
"जब कोई ऐसा कुलपति (VC) हो जिसे न उस संस्थान और उसके संस्थापक के मूल्य पता हों, न हिन्दू धर्म में आस्था तो ऐसा अनर्थ होना स्वाभाविक हो जाता है। सरकार को सोचना चाहिए जब वो कुलपति का चुनाव करती है कि कहाँ के लिए कैसा कुलपति उपयुक्त है।"
"आप जज क्यों बन जाते हो, 'संस्कृत विभाग और मुस्लिम विरोध लिखकर' पूरे देश को गुमराह कर दिया। आप बताओ तो सही कि मामला क्या है? नियुक्ति संस्कृत विभाग में नहीं बल्कि 'संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय' में हुई है और ये मुस्लिम विरोध नहीं बल्कि सनातन धर्म की रक्षा का प्रश्न है। बाकी निर्णय क्या होगा ये आप छोड़ दीजिए, पहले सही मुद्दा तो सामने आए।"