Friday, April 26, 2024
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BHU में फिरोज का विरोध जारी: रुद्राभिषेक के बाद काशी विद्वत परिषद ने किया समर्थन, आज अस्सी पर सभा

"देखिए जो हमारे संस्कार है जिसके लिए हम लड़ रहे हैं वो हमने प्रदर्शित किया और जो उनके (राहुल कँवल) संस्कार है वो उन्होंने, देश ने उस व्यवहार को देखा। उनका JNU और SVDV के छात्रों से व्यवहार का अंतर भी मीडिया में आया जिससे बाद काफी लोगों ने उन्हें लताड़ा और हमें उसका भी फायदा मिला।"

काशी हिन्दू विश्विद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के छात्रों द्वारा डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति का विरोध सतत जारी है। छात्रों ने बेशक प्रशासन के 10 दिन की मोहलत माँगने के बाद अपना धरना समाप्त कर दिया हो लेकिन उनका आंदोलन थमा नहीं है बल्कि छात्र हर दिन दोगुनी ऊर्जा के साथ अपने विरोध को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

पिछले तीन दिनों का व्यौरा आपको संक्षेप में देते हुए आपको ऑपइंडिया इस बात से अवगत करा रही है कि किस तरह से छात्रों के आंदोलन को न सिर्फ BHU के पूर्व और वर्तमान प्रोफेसरों का, बल्कि काशी के अन्य आचार्यों-धर्माचार्यों, काशी विद्वत परिषद, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के कुलपति सहित, बनारस के सभी सुधी जनों का भारी सहयोग मिल रहा है। BHU के 50 से अधिक प्रोफेसरों ने छात्रों के समर्थन में, और फिरोज खान की नियुक्ति को रद्द करने के लिए विश्वविद्यालय के विजिटर महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सम्बोधित करते हुए पत्र लिखकर उनसे आवश्यक कार्यवाही का अनुरोध किया। जिसका संज्ञान BHU की कार्यकारिणी ने भी लिया है और 7 दिसम्बर को कार्यकारिणी की मीटिंग बुलाई गई है।

बता दें कि ऑपइंडिया की रिपोर्टिंग के बाद मीडिया के एक बड़े धड़े द्वारा फैलाए भ्रम पर काशी और BHU के तमाम लोगों ने आभार व्यक्त किया। महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के कुलपति (VC) ने एक सभा में मीडिया के झूठ पर तंज कसते हुए यहाँ तक कहा, “आप जज क्यों बन जाते हो, ‘संस्कृत विभाग और मुस्लिम विरोध लिखकर’ पूरे देश को गुमराह कर दिया। आप बताओ तो सही कि मामला क्या है? नियुक्ति संस्कृत विभाग में नहीं बल्कि ‘संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय’ में हुई है और ये मुस्लिम विरोध नहीं बल्कि सनातन धर्म की रक्षा का प्रश्न है। बाकी निर्णय क्या होगा ये आप छोड़ दीजिए, पहले सही मुद्दा तो सामने आए।”

गौरतलब है कि छात्रों ने रुइया छात्रावास में 24 नवम्बर की शाम को एक आम सभा की जिसमें आंदोलन के रुपरेखा, इसकी कमियों और आगे की रणनीति पर चर्चा हुई। 25 नवंबर की शुरुआत परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर में SVDV के छात्रों द्वारा रुद्राभिषेक से हुआ।

रुद्राभिषेक के बाद मीडिया के इस सवाल पर कि एक तरफ JNU का आंदोलन है जहाँ विरोध की हर सीमा लाँघी जा रही है और दूसरी तरफ आपका आंदोलन जिसमें आप मन्त्रों, श्लोक, भजन, हनुमान चालीसा का पाठ, यज्ञ-हवन और रुद्राभिषेक के जरिए आंदोलन कर रहे हैं। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे? चक्रपाणि ओझा ने इस प्रश्न के जवाब में कहा, “देखिए हमारी एक परंपरा है, एक तौर-तरीका है हम कुछ भी करेंगे यहाँ तक कि बोलेंगे भी तो हमारे गुरुजनों द्वारा दिए संस्कार झलक ही जाएँगे। जो हमें परम्परा से मिला हम वही प्रदर्शित कर रहे हैं। और यही वो मूल्य है जिसकी रक्षार्थ हम लड़ रहे हैं।”

चक्रपाणि ओझा से जब ऑपइंडिया ने प्रश्न किया कि आपकी इसी शैली में बोलने के कारण इंडियाटुडे के डिबेट में एंकर राहुल कँवल ने आपके साथ बदतमीजी की थी। इस पर आपका क्या कहना है? चक्रपाणि ने इस सवाल के जवाब में बस इतना ही कहा, “देखिए जो हमारे संस्कार है जिसके लिए हम लड़ रहे हैं वो हमने प्रदर्शित किया और जो उनके (राहुल कँवल) संस्कार है वो उन्होंने, देश ने उस व्यवहार को देखा। उनका JNU और SVDV के छात्रों से व्यवहार का अंतर भी मीडिया में आया जिससे बाद काफी लोगों ने उन्हें लताड़ा और हमें उसका भी फायदा मिला।”

बता दें कि कल 25 नवम्बर को ही BHU के सिंहद्वार पर काशी विद्वत परिषद के तत्वाधान में छात्रों ने एक सभा भी की। जिसमे SVDV के ही पूर्व संकायध्यक्ष एवं व्याकरणविभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर रामयत्न शुक्ल सहित कई विद्वानों ने धर्म की रक्षार्थ छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया और अपने विचार रखे।

आज के कार्यक्रम के बारे में पूछे जाने पर शशिकांत मिश्र ने बताया, “महामना मूल्यों व धर्म के रक्षार्थ जारी आंदोलन के क्रम में में आज 26 नवंबर को दिन में 3 बजे से अस्सी घाट के सुबह ए बनारस के मंच पर एक विचार सभा का आयोजन किया गया है। जिसमें 3 बहुत ही प्रमुख व्यक्तित्व को अतिथि व वक्ता के रूप में हमने आमंत्रित किया है। जिसमे प्रमुख हैं, महामना की गोद में खेले, खाये, उनके आँगन में रहे, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के पूर्व छात्र व पूर्व वेद विभागाध्यक्ष वरिष्ठ प्रोफेसर हृदय रंजन शर्मा जी मुख्य वक्ता के रूप में। दूसरे हैं, देश के मूर्धन्य न्याय शास्त्र के विद्वान, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान के पूर्व छात्र व प्राध्यापक तथा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति (रेक्टर) प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी जी एवं SVDV के साहित्य विभाग के पूर्व छात्र व अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कवि डॉ. अनिल चौबे जी की महनीय उपस्थित रहेगी।

सम्पूर्ण कार्यक्रम और आंदोलन में शशिकांत मिश्र, कृष्ण कुमार, शुभम, आनंद मोहन, अमन, विनायक सहित बड़ी संख्या में छात्रों और गणमान्य अथितियों की उपस्थिति छात्रों की आवाज को बल प्रदान कर रहा है। ऑपइंडिया से बात करते हुए शशिकांत मिश्र ने कहा, “यदि आप धर्म और सच्चाई के रास्ते पर हों तो ईश्वर स्वतः मदद करता है। आज जिस तरह आप सभी का खासतौर से ऑपइंडिया ने हमारे सच को सभी के सामने रखा उसके लिए हम आभारी हैं और उन सभी देशवासियों का भी आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे झूठ के बावजूद सच को समझा और साथ दिया, आप सभी इस आंदोलन के अंजाम तक पहुँचने तक अपना साथ और सहयोग बनाए रखें। आपसे हमारी इतनी अपील है।”

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रवि अग्रहरि
रवि अग्रहरि
अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है! बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!

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