Friday, April 19, 2024
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BHU प्रशासन को दी गई मुहलत समाप्त: उच्च स्तरीय जाँच की माँग के साथ छात्रों ने लगाए ये आरोप

BHU स्थित विश्वनाथ मंदिर से पहले धर्म विज्ञान संकाय ही मंदिर था, उसकी संरचना भी मंदिर की तरह है और वहीं से पूरे विश्व में हिन्दू मत के हर विवादों का अंतिम समाधान भी निकलता है। वहाँ से निकलने वाला विश्व पञ्चाङ्ग तो धरोहर ही है। इसके अद्वितीय होने का एक प्रमाण ये भी है कि......

काशी हिन्दू विश्विद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति की उच्च स्तरीय जाँच ने परिसर में जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। धरना समाप्त होने के बाद भी छात्रों का आंदोलन अनवरत जारी है। इस बीच आज विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों से माँगी गई 10 दिन की समय सीमा भी समाप्त हो गई है। आज छात्र संकाय प्रमुख के पास अपनी माँगों के लिखित जवाब के लिए 12 बजे से संकाय का घेराव कर रहे हैं। प्रशासन क्या जवाब देता है ये अभी देखना बाकी है। एकतरफ समुचित जवाब न मिलने पर छात्र एक बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं तो वहीं प्रशासन भी इस पूरे मुद्दे को सुलझाने की तरफ लगा है लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट जवाब प्रशासन की तरफ से नहीं आया है।

लगातार धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए जागरूक शंकराचार्यों, पूर्व प्रोफेसरों, काशी विद्वत परिषद से लेकर तमाम विद्वानों, संतो-महंतों द्वारा इस नियुक्ति के खिलाफ और मालवीय मूल्यों के संरक्षण के लिए मुखर विरोध दर्ज कराते हुए सभी छात्रों के समर्थन और नियुक्ति रद्द करने से लेकर इस पूरे मामले के समाधान के लिए विश्विद्यालय के विजिटर महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कई पत्र लिखे गए हैं। हाल ही में संकाय के छात्रों ने भी अपनी तरफ से प्रधानमंत्री मोदी और मानव संसाधन मंत्रालय को पत्र लिखा

ऐसे में बीएचयू में 7 दिसंबर को होने वाली कार्यकारिणी परिषद की बैठक को अहम माना जा रहा है। हालाँकि, अभी यह तय नहीं हो पाया है कि बैठक दिल्ली में होगी या बीएचयू परिसर में, लेकिन ऑपइंडिया सूत्रों के अनुसार बैठक में आगामी 23 दिसंबर को होने वाले विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पदक, उपाधि, मुख्य अतिथि के नाम सहित संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति पर चर्चा अहम एजेंडा है।

फिरोज खान नियुक्ति रद्द करने और इसकी उच्च स्तरीय जाँच लिए छात्रों ने चलाया हस्ताक्षर अभियान

BHU एक्ट व मालवीय मूल्यों के विपरीत संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में हुई ग़ैर हिन्दू की नियुक्ति को रद्द व उच्चस्तरीय जाँच कराने के लिए जारी आंदोलन के तहत कल (1 दिसंबर,2019) को दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक सिंह द्वार पर व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया।

जिसकी शुरुआत दंडी स्वामी परमहंस देव जी के द्वारा की गई। धर्म विज्ञान संकाय के छात्रों के समर्थन में आंदोलन को गति देते हुए हस्ताक्षर अभियान का शुभारम्भ किया। दंडी स्वामी ने ऑपइंडिया से हुई बातचीत में कहा, “संविधान भी धर्म विशेष संस्थानों के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है और वह अधिकार सभी को मिलना चाहिए। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय को भी विशेष अधिकार प्राप्त हैं किन्तु जानकारी के अभाव में प्रशासन द्वारा भूल हुई है इसलिए अपनी गलती स्वीकार करते हुए उसे सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।”

परिसर स्थित मंदिरों में पूजा-अर्चना से विजय श्री का लिया आशीर्वाद

इससे पहले धर्म विज्ञान संकाय में हुई गैर हिन्दू की नियुक्ति के विरोध में चले 15 दिन तक धरने के बाद कार्यवाही के लिए माँगे गए 10 दिन के समय मे दसवें दिन के आंदोलन में मालवीय मूल्यों व धर्म की रक्षा के लिए SVDV के छात्रों द्वारा BHU परिसर स्थित ग्राम देवताओं का पूजन किया गया।

बता दें कि महामना मदन मोहन मालवीय जी का हिन्दू धर्म और सनातन पद्धतियों के संरक्षण के प्रति विशेष ध्यान था जिसका सबूत परिसर में एक विशेषीकृत संस्थान SVDV के साथ ही एक मुख्य मंदिर विश्वनाथ मंदिर के अलावा कई अन्य छोटे बड़े पचासों मंदिरों की स्थापना है। जिनमें पूजा का संचालन धर्म विज्ञान संकाय ही देखता आ रहा है। यहाँ एक और और बात बताना जरुरी है कि मालवीय जी के अंतिम समय में विश्वनाथ मंदिर का काम पूरा नहीं हुआ था तो कहते हैं कि अपने मृत्यु से पहले उन्होंने दानदाताओं खासतौर से बिरला जी से यह वादा लिया था कि उनके मरने के बाद भी किसी भी हालत में मंदिर का निर्माण न रुके। आज परिसर में एक भव्य मंदिर मौजूद है। एक और बात BHU स्थित विश्वनाथ मंदिर से पहले धर्म विज्ञान संकाय ही मंदिर था, उसकी संरचना भी मंदिर की तरह है और वहीं से पूरे विश्व में हिन्दू मत के हर विवादों का अंतिम समाधान भी निकलता है। वहाँ से निकलने वाला विश्व पञ्चाङ्ग तो धरोहर ही है। इसके अद्वितीय होने का एक प्रमाण ये भी है कि ऐसा पहला संस्थान भी है जिसके बाहर दानकर्ता बिरला की प्रणाम मुद्रा में प्रतिमा स्थापित है जो सनातन धर्म की इस शिखरशाला को प्रणाम कर रहे हैं।

अपने इसी परंपरा के संरक्षण के लिए समर्पित यह छात्र सिर्फ संस्कृत साहित्य नहीं पढ़ते वे जिन पूजा पद्धतियों, मन्त्रों, कर्मकांडों, वेद, पुराण, उपनिषद आदि में पारंगत हैं इसकी बानगी उनके यज्ञ-हवन और मंत्रोच्चार प्रधान धरने के साथ ग्रामदेवता की पूजा में भी झलका। जिसे आप नीचे वीडियो में देख सकते हैं। ग्राम देवता के पूजा का आयोजन देवताओं से इस आंदोलन हेतु विजय श्री के आशीर्वाद के साथ ही परिसर की शांति और ऊर्जा पुनः बहाल करने के लिए भी थी।

पूजा का प्रारंभ रुइया छात्रावास स्थित रुइयेश्वर महादेव मंदिर से प्रारम्भ होकर आयुर्वेद संकाय के रसेश्वर महादेव, कला संकाय के अकेला बाबा, शॉपिंग सेंटर के देवी कोटमाता, त्यागराज कालोनी के बाल हनुमान, कृषि विज्ञान के बड़े करमन बाबा, छोटे करमन बाबा, राम दरबार, शिव जी व राधाकृष्ण, काशी विश्वनाथ मंदिर, सीर गेट स्थित चौरा माता, केंद्रीय कार्यालय के नवीन भवन स्थित बचाउ अखाड़ा बीर हनुमान मंदिर, 1871 में स्थपित गुल्लू बीर बाबा, नागार्जुन छात्रावास स्थित हनुमान मंदिर, मालवीय भवन में मेहमान, सर सुंदरलाल हॉस्पिटल स्थित हनुमान व राम मंदिर, हॉस्पिटल के छोटे गेट पर स्थित संकट हरण महादेव मंदिर, BHU ट्रामा सेंटर स्थित दैत्रा बीर बाबा व BHU स्थापना स्थल स्थित माता सरस्वती मंदिर में पूजन अर्चन के साथ समाप्त हुआ।

हालाँकि, अब वहाँ धर्म और इसकी मान्यताओं का किस कदर क्षरण हो रहा है इसकी बानगी BHU के स्थापना स्थल पर स्थित सरस्वती मंदिर बंद के होने से छात्रों को गेट पर ही पूजा करना पड़ा। छात्रों ने बताया कि मौके पर साइकिल स्टैंड के कर्मचारियों से जब पूछा गया तब उसने बताया कि सुबह पूजा होने के बाद हमेशा मंदिर बन्द ही रहता है। तो ये हाल हो चुका है वहाँ के कई मंदिरों में पूजा पाठ का, शायद ये सब इसलिए भी हो रहा है कि JNU के प्रोफ़ेसर कुलपति राकेश भटनागर का न हिन्दू धर्म से कोई लगाव है और न सनातन परम्पराओं से, धर्म विज्ञान के छात्रों सहित वहाँ के आचार्यों का भी कहना है कि कई बार बुलाने के बाद भी कुलपति अपने आवास के ठीक बगल में स्थित मालवीय भवन के किसी भी धार्मिक आयोजन में जाना उचित नहीं समझा। न कभी गीता पाठ में गए, कहीं गलती से या मजबूरी में नजर भी आए तो मन मारकर कोरम पूरा करते हुए।

SVDV के छात्रों का कहना है कि जिस समय छात्र स्थापना स्थल के मंदिर में पहुँचे उस समय शाम के 6 बज रहे थे और यह समय मंदिर में आरती का होता है। जब छात्रों ने चीफ प्रॉक्टर ओपी राय को फोन किया तो उन्होंने मीटिंग में होने की बात बोलकर टाल दिया। 1 घंटा रहने के बाद भी वहाँ कोई नहीं आया। छात्र इससे बहुत नाराज हुए लेकिन जहाँ सेक्युलर होने का भूत चढ़ा हो वहाँ ऐसी परम्पराओं और इन्हे जीने वाले छात्रों के लिए समय कहाँ है। शशिकांत मिश्र ने ऑपइंडिया से बात करते हुए, कई सवाल पूछे पर जवाब हमारे पास नहीं था जिसके पास है उसे इन मूल्यों-परम्पराओं से कोई लगाव नहीं तो उसके संरक्षण की बात ही दूर रही। जिसकी बानगी हम धर्म संकाय में डॉ. फिरोज की नियुक्ति की आड़ में देख चुके हैं। शशिकांत मिश्र ने प्रशासन से कई सवाल पूछा, “विद्या मंदिर में विद्या की देवी के साथ इस तरह से लापरवाह बना हुआ है प्रशासन। क्या इसी तरह अपने इतिहास को संरक्षित करेगा BHU? क्यों दिन भर नहीं खुलता मंदिर? कौन है इसका जिम्मेदार?? किसके ऊपर इनके रख रखाव की जिम्मेदारी है?” छात्र अभी भी जवाब के इंतजार में हैं पता नहीं उन्हें कब जवाब मिलेगा प्रशासन देगा भी या नहीं ये भी नहीं कहा जा सकता।

स्थापना स्थल स्थित मंदिर का गेट बंद होने से बाहर पूजा करते SVDV के छात्र

कार्यक्रम के समापन पर वहाँ पर उपस्थित पूर्व छात्र व छात्र परिषद के पूर्व सदस्य डॉ.मुनीश मिश्र ने पुनः अपनी बात रखते हुए इस बात को दोहराया, “अभी भी भ्रम फैलाया जा रहा है कि छात्र डॉ. फ़िरोज़ का विरोध कर रहे है। प्रशासन से नियुक्ति में धर्म विज्ञान संकाय के नियमों की जो अनदेखी की गई उसके सुधार हेतु प्रशासन का विरोध कर रहे हैं। जिसने दर-दर चंदा माँगकर इतने बड़े विश्वविद्यालय को बनवाया क्या उसके द्वारा बनाए गए नियमों का पालन प्रशासन को नहीं करना चाहिए? मालवीय जी ने कुछ सोच समझकर ही इस संकाय के लिए विशेष व्यवस्था बनाई होगी, अतः उसका हर हाल में पालन करना चाहिए। एक छोटी सी चूक की वजह से प्रशासन ने जो विश्विद्यालय की गरिमा व महामना के सम्मान को ठेस पहुँचाई है इतिहास कभी उन लोगों को माफ नहीं करेगा जो लोग इसके जिम्मेदार हैं। प्रशासन चाहता तो आसानी से इस समस्या का समाधान कर देता किन्तु झुकना नहीं चाहता था इसी वजह से इतना बड़ा विवाद खड़ा हो गया। हमें आंदोलन के लिए उतरना पड़ा। अभी भी समय है प्रशासन को जल्दी से सुधार कर लेना चाहिए। ताकि संकाय में सुचारु रूप से पठन-पाठन का आरम्भ हो।

हस्ताक्षर सहित ग्राम देवता पूजन में अभियान में प्रमुख भूमिका निभाने वाले शशिकांत मिश्र ने कहा, “सभी प्रपत्रों व हस्ताक्षरों को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के पास उच्चस्तरीय जाँच कराने के लिए प्रधानमंत्री और मानव संसाधन मंत्रालय को के साथ ही राष्ट्रपति को भी भेजा जाएगा।” उक्त अवसर पर आनंद मोहन झा, शुभम तिवारी, चक्रपाणी ओझा, अभिषेक, प्रिंस, सहित बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।

अभी डॉ. फिरोज खान के स्तर पर क्या चल रहा है BHU में

डॉ. फिरोज खान ने SVDV के छात्रों के विरोध के बीच आयुर्वेद संकाय में इंटरव्यू दिया था जिसमें ऑपइंडिया सूत्रों के अनुसार उनका चयन हो गया है लेकिन अभी आधिकारिक रूप से प्रशासन द्वारा कुछ नहीं कहा गया है। साथ ही कार्यकारिणी की बैठक से पहले डॉ. फिरोज खान का एक और इंटरव्यू कला संकाय के संस्कृत विभाग में है। जिसका इंटरव्यू 4 दिसंबर को होना है।

कला संकाय के संस्कृत विभाग में एक सीट पर 13 दावेदार

बीएचयू कला संकाय के संस्कृत विभाग में 4 दिसंबर को होने वाले साक्षात्कार में मौजूद अभ्यर्थियों की संख्या और मेरिट को देखते हुए यहाँ सफलता पाना फिरोज खान के लिए किसी बहुत बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि ओबीसी के तीन पदों के लिए मेरिट सूची में 39 अभ्यर्थियों का नाम शामिल हैं। एक ही नंबर पर 12 से लेकर पाँच अभ्यर्थी हैं। लिहाजा, साक्षात्कार का परिणाम रोचक होगा। मेरिट सूची में डॉ. फिरोज खान का नाम भी 11वें स्थान पर शामिल हैं।

कला संकाय के संस्कृत विभाग में इंटरव्यू का लिस्ट

बता दें कि कला संकाय के संस्कृत विभाग के तीन ओबीसी और एक एसटी पद के लिए 216 लोगों ने आवेदन किया था। ओबीसी के तीन पदों के सापेक्ष सर्वाधिक 180, जबकि एसटी के एक पद पर 36 आवेदन आए थे। आवेदनों की जाँच और प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद साक्षात्कार के लिए जो मेरिट सूची तैयार की गई है, उसमें ओबीसी के लिए 39 और एसटी के लए 10 अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए गए हैं।

खैर, इस पूरे आंदोलन के साथ ही BHU प्रशासन और कुलपति के निर्णय पर निगाहें सभी की टिकी हुई हैं। बेशक इस बीच डॉ. फिरोज खान की तरफ से एक बयान जारी कर प्रशासन ने अपील की कि उनके बारे में कोई झूठी बात न फैलाई जाए इससे वो हर सुबह आहत हो रहे हैं, उन्हें गहरा आघात लग रहा है। हालाँकि इस बीच जॉइंनिंग के बाद भी धर्म विज्ञान संकाय में उन्होंने प्रवेश की कोई कोशिश नहीं की है। छात्रों को आशंका थी कि शायद प्रशासन उन्हें शनिवार या आज सोमवार को SVDV ले आए लेकिन ऐसा नहीं हुआ अभी तक और ऐसे में अब सभी आगे की कदम की तरफ नजर बनाए हुए हैं।

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रवि अग्रहरि
रवि अग्रहरि
अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है! बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!

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