Tuesday, November 19, 2024
Home Blog Page 16

पूरे शरीर में सूजन, देखने-सुनने-बोलने में दिक्कत… साध्वी प्रज्ञा ने फोटो शेयर कर याद किया ‘कॉन्ग्रेस का टॉर्चर’, पोर्न दिखा बेल्ट से होती थी पिटाई: कहा- जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाऊँगी

मध्य प्रदेश के भोपाल से भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ने कॉन्ग्रेस पर उनका जीवन बर्बाद करने का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि ATS के जरिए कॉन्ग्रेस के टॉर्चर के कारण उनके ब्रेन में सूजन आ गई है, आँखों से देखने और कानों से सुनने में कठिनाई जैसी समस्याएँ हो गईं। तस्वीर में वह बेहद बीमार दिख रही हैं। उनका चेहरा सूजा हुआ है।

साध्वी प्रज्ञा ने सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में लिखा, “कॉन्ग्रेस का टॉर्चर सिर्फ ATS कस्टडी तक ही नहीं, मेरे जीवन भर के लिए मृत्युदायी कष्ट का कारण हो गए हैं। ब्रेन में सूजन, आँखों से कम दिखना, कानों से कम सुनाई देना, बोलने में असंतुलन, स्टेरॉयड और न्यूरो की दवाओं से पूरे शरीर में सूजन। एक हॉस्पिटल में उपचार चल रहा है। जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाऊँगी।”

दरअसल, साध्वी प्रज्ञा साल 2008 में हुए मालेगाँव ब्लास्ट मामले में आरोपित हैं। वे पिछले कुछ महीनों से मेडिकल के आधार पर अदालत में पेश नहीं हुई हैं। इसके बाद मामले की जाँच कर रही राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट का कहना है कि मामले की फाइनल बहस चल रही है और आरोपित का कोर्ट में जरूरी है। 

साध्वी प्रज्ञा ने साल 2020 में अपने साथ हुए अमानवीय व्यवहार को लेकर रिपब्लिक टीवी को एक साक्षात्कार दिया था। साध्वी प्रज्ञा ने बताया था कि मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की उपस्थिति में 3-4 पुलिसकर्मियों ने उन्हें बहुत अधिक प्रताड़ित किया था। उन्हें हिरासत में लेकर बेल्ट से इस तरह पीटा गया कि उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और उन्हें वेंटिलेटर पर जाना पड़ा था।

उन्होंने कहा था कि बेल की बात होने पर न्यायाधीशों तक को धमकी दी गई। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बताया कि हिरासत के दौरान उन्हें पॉर्न वीडियो दिखाया गया और उनसे भद्दे सवाल किए गए। उन्होंने बताया था कि पहले उनको भगवा आतंकी कहा गया, फिर भारत को आतंकवादी देश घोषित करवाने का प्रयास हुआ। उनका आरोप है कि ये सारा षड्यंत्र कॉन्ग्रेस का था।

साध्वी प्रज्ञा ने बताया था कि उन्हें चमड़े की बेल्ट से पीटा जाता था। उन्हें 24 दिनों तक भूखा रखा गया था, उनको बिजली के झटके दिए जाते थे। गाली-गलौज आम बात थी। उनको पुरुष कैदियों के साथ रखकर पोर्न वीडियो देखने पर मजबूर किया जाता था। उनको लगातार पीटने के लिए 5-6 पुलिस वाले लगाए जाते थे और जब वह थक जाते थे तो दूसरे पुलिसकर्मी उनको पीटने लग जाते थे।

इन सबके बाद जब उन्हें कोर्ट के आदेश पर डॉक्टर के पास ले जाया जाता था तो उन पर दबाव रहता था कि वह यह रिपोर्ट दे कि साध्वी एकदम ठीक हैं। 25 सितम्बर 2023 को NIA कोर्ट के सामने पेश हुईं साध्वी प्रज्ञा ने बताया था उनकी बीमारी की हालत के लिए कॉन्ग्रेस जिम्मेदार है। साध्वी ने बताया कि जब उनको मालेगाँव धमाके के बाद पूछताछ के लिए बुलाया गया था तब वह पूरी तरह स्वस्थ थीं,।

उन्होंने बताया था कि पुलिस की हिरासत में उनकी हालत बिगड़ी। उनको कैंसर और न्यूरो की बीमारी हो गई। शरीर में पस तक पड़ गया। दरअसल, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर वर्ष 2008 में हुए मालेगाँव धमाकों के सम्बन्ध में NIA के विशेष कोर्ट के समक्ष अपना बयान दर्ज करवा रही थीं। उनके साथ मालेगाँव धमाके में आरोपित बनाए गए अन्य 7 व्यक्तियों का भी बयान दर्ज किया जा रहा था।

साध्वी प्रज्ञा के साथ जिन अन्य लोगों के बयान दर्ज किए गए उनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, सुधाकर द्विवेदी, समीर कुलकर्णी और अजय राहिरकर शामिल हैं। इस दौरान साध्वी से लगभग 60 प्रश्न पूछे गए। मालेगाँव में 29 सितम्बर को हुए इन धमाकों में 9 लोगों की मृत्यु हुई थी और 100 से अधिक घायल हुए थे।

बताया गया था कि यह धमाके एक मोटरसाईकिल में बम लगाकर किए गए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित समेत अन्य लोगों को आरोपित बनाया गया था। NIA द्वारा वर्ष 2016 में दाखिल अंतिम चार्जशीट में उनका नाम नहीं था और उन्हें जमानत मिल गई थी। उनको इस मामले में दोषी नहीं माना गया था। साध्वी प्रज्ञा बताया था कि कॉन्ग्रेस की ध्रुवीकरण की राजनीति के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया था जिसका नेतृत्व तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम कर रहे थे।

जो आतंकवादी कश्मीरी पंडितों का हत्यारा, उसकी बीवी ने राहुल गाँधी से यूँ ही नहीं माँगी मदद: मनमोहन सरकार में मिला था खूब ‘लाड़’, रवीश कुमार का रहा है ‘साहब’

आतंकी गतिविधियों को जम्मू-कश्मीर में अंजाम तक पहुँचाने के लिए कु्ख्यात ‘जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ का आतंकी यासीन मलिक जेल में बेचैन है। उसने जेल के भीतर अमानवीय व्यवहार का इल्जाम लगाकर भूख हड़ताल शुरू की है और बाहर उसकी पाकिस्तानी बीवी मुशाल दर दर भटकर उसके लिए रहम माँग रही है। इसी क्रम में हाल में यासीन की पत्नी ने हाल में कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी को चिट्ठी लिखी और बताया कि यासीन एक अहिंसक आदमी है और इस भूख हड़ताल से उसकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

पत्र में माँगी राहुल गाँधी से मदद

अपने पत्र में मुशाल ने राहुल गाँधी को सम्मान देते हुए अपना दर्द सुनाया। इसमें कहा गया एनआईए ने यासीन के खिलाफ मौत की माँग की है और 2019 से केंद्र सरकार यासीन को अकल्पनीय तरीकों से प्रताड़ित कर रही है।

मुशाल ने शिकायत की मलिक पर 35 साल पुराने मामले में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मुकदमा चलाया जा रहा है और अब एनआईए उसके खिलाफ दर्ज मनगढ़ंत मामलों में उसके लिए मौत की सजा की माँग कर रहा है।

मुशाल ने राहुल गाँधी से आग्रह किया कि वो संसद में अपने उच्च नैतिक और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करें और यासीन मलिक के मामले पर एक चर्चा शुरू करें। वो जम्मू कश्मीर में ‘दिखावटी’ नहीं, बल्कि वास्तविक शांति कायम करने का जरिया बन सकता है।

अब आगे बढ़ने से पहले बता देते हैं कि जिस यासीन मलिक को मुशाल शांति का दूत बता रही हैं उस पर असल में इल्जाम क्या-क्या हैं।

यासीन मलिक पर लगे इल्जाम

यासीन मलिक पर केस कोई एक मामले पर नहीं चल रहा है। उसके आतंक से जुड़े होने का इतिहास काफी पुराना है। 1989-1990 के बीच जब इस्लामी कट्टरपंथियों ने घाटी से कश्मीरी पंडितों का नरसंहार शुरू किया तब यासीन मलिक का नाम उन हत्यारों में शामिल था जिन्होंने चुन-चुन कर कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया।

इसके अलावा उसके ऊपर 1990 में वायुसेना के चार जवानों की हत्या का भी आरोप है जिसे उसने मीडिया में खुद स्वीकार किया हुआ है। यासीन पर कश्मीरी पंडित न्यायाधीश न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या सहित कई अन्य गंभीर अपराधों में संलिप्तता का भी आरोप लगा हुआ है।

इतना ही नहीं आज उसपर जो मुकदमे चल रहे हैं वो उसके कुकर्मों का परिणाम हैं। उसपर घाटी में आतंक गतिविधियों को अंजाम देने के साथ, आतंकियों के लिए धन जुटाने और देश के खिलाफ य़ुद्ध छेड़ने के भी आरोप हैं।

कॉन्ग्रेस काल में यासीन मलिक को मिला हर जगह लाड़

अब सवाल है कि यदि यासीन इतना कुख्यात रहा है तो फिर उसकी बीवी किस आधार पर जाकर राहुल गाँधी से यासीन का मुद्दा उठाने की बात कर रही है। तो बता दें कि इस बिंदु को समझने के लिए उस दौर में जाना पड़ेगा जब सत्ता कॉन्ग्रेस की थी और प्रधानमंत्री खुद यासीन का स्वागत करते थे।

1990 में घाटी में खून-खराबा करने का दोषी 2006 में अचानक कॉन्ग्रेस का प्यारा बन गया था। खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यासीन मलिक को नई दिल्ली में पीएम आवास पर बुलाया था और कई मुद्दों पर उससे चर्चा की थी। आज भी यासीन मलिक के साथ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की मुस्कुराती फोटो, वीडियो आपको वायरल होती मिल जाएगी।

इस मुलाकात का असर ये हुआ था कि यासीन मलिक को प्रमुख मीडिया संस्थानों के बड़े-बड़े कार्यक्रमों में बुद्धिजीवी बनाकर लाया जाने लगा। 2008 के इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में यासीन को यूथ आईकन बनाकर पेश किया गया था। वहीं साल 2013 में एनडीटीवी ने यासीन मलिक को उसका पक्ष तक रखने का मंच दिया था और इस दौरान रवीर कुमार यासीन मलिक को ‘साहब’ और ‘यस सर’, ‘जी सर’ कहते नजर सुनाई पड़े थे।

नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद हुआ इंसाफ

यासीन को आतंकी मानने का सिलसिला तो शुरू ही मोदी सरकार के आने के बाद हुआ और उसकी गिरफ्तारी 2017 में जाकर हुई थी। उस समय राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के मामले में उसे पकड़ा था और फिर उसे टेरर फंडिंग से संबंधित मामलों में आरोपित बनाया गया। इसके बाद, 19 मई 2022 को एक विशेष अदालत ने उसे विभिन्न आरोपों के तहत दोषी ठहराया।

2017 की गिरफ्तारी के बाद यासीन अब तक जेल में है। वरना एक समय 1990 का भी था जब वो खुलेआम वायु सेना के जवानों की बात कबूलता था और जेल से रिहा होता रहता था। केंद्र में बैठी केंद्र सरकार को उस समय ये तक नहीं लगा कि वो किस व्यक्ति को सम्मान दे रहे हैं और मीडिया को ये नहीं समझ आया कि किसे यूथ आइकन बनाया जा रहा है। उस समय यासीन अपने कुकर्मों को खुलेआम स्वीकारता था, पाकिस्तान जाने के किस्से बताता था, खुलेआम हाफिज सईद से मिलता था, भारत से कश्मीर को अलग करने की बात करता था और फिर तत्कालीन भारत सरकार ही उसे लाड़ देती थी।

यही वजह है कि आज यासीन की बीवी मुशाल अपनी गुहार लेकर राहुल गाँधी के पास पहुँची है क्योंकि उन्हें लगता है कि जिन लोगों ने सत्ता में रहते उनके शौहर को मेहमानों की तरह सम्मान दिया वो आज विपक्ष में रहते हुए उनके शौहर के लिए आवाज तो उठा ही सकते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने PM मोदी को बताया ‘शानदार इंसान’, कहा- सारी दुनिया आपसे करती है प्यार, भारत सच्चा दोस्त: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर प्रधानमंत्री ने फोन कर दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (6 नवंबर 2024) को अमेरिका में भारी बहुमत से वापसी करने वाले डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए बधाई दी। पीएम मोदी ने ट्रंप से बातचीत भी की। कहा जा रहा है कि बातचीत के दौरान ट्रंप ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें एक शानदार इंसान बताया और कहा कि पूरी दुनिया उनसे प्यार करती है।

सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप ने कहा कि भारत एक शानदार देश है और वह प्रधानमंत्री मोदी और भारत को अपना एवं अमेरिका का सच्चा मित्र मानते हैं। इस दौरान दोनों नेताओं ने विश्व शांति के लिए मिलकर काम करने की बात कही। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि पीएम मोदी विश्व उन पहले नेताओं में शामिल हैं, जिनसे अपनी जीत के बाद उन्होंने बात की।

इस बातचीत की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया साइट X पर भी दी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “मेरे मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शानदार बातचीत हुई और उन्हें उनकी शानदार जीत पर बधाई दी। प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और कई अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूँ।”

बुधवार को शानदार जीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में कहा कि वे सबसे पहले युद्धों को रोकने का काम करेंगे। बता दें कि भारत भी विश्व को युद्ध के बजाय कूटनीतिक मार्ग से रास्ता निकालने की वकालत करते रहा है। भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए भी कई बार बातचीत की अपील कर चुका है। वहीं, ट्रंप भी कह चुके हैं कि वे इस युद्ध को रोकने में सहयोग करेंगे।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच बेहद मधुर संबंध हैं। वे एक-दूसरे को मित्र मानते हैं। इसका प्रमाण साल 2019 में अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित ‘हाउडी मोदी!’ और साल 2020 में भारत में आयोजित ‘नमस्ते ट्रंप’ में भी दिखा था। इन दोनों आयोजनों में जनता के बीच बेहद जोश देखने को मिला था। इन दोनों नेताओं के बीच बेहतरीन केमेस्ट्री भी देखने को मिलती है।

रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड जे ट्रम्प चुनाव में 295 इलेक्टोरल वोट से शानदार जीत के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने डेमोक्रेट कमला हैरिस को बुरी तरह हराया। कमला हैरिस आवश्यक 270 में से 226 वोट जीतने में सफल रहीं। ट्रम्प ने लगभग 50.9% वोट (72,560,841) मिले। वहीं, कमला को 47.6% (67,878,826) वोट मिले।

डेमोक्रेट्स के लिए एक बड़ी उथल-पुथल में डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 कॉन्ग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट के साथ 28+ राज्यों में जीत हासिल की। वहीं, कमला हैरिस ने 18 राज्यों के अलावा डीसी और नेब्रास्का में 1 डिस्ट्रिक्ट जीता। अमेरिकी सीनेट में अब 52 सीटों के साथ रिपब्लिकन बहुमत में है। प्रतिनिधि सभा के अंतिम परिणाम अभी आने बाकी हैं, जिसमें कई दिन लग सकते हैं। वर्तमान में यह एक करीबी मुकाबला है।

ट्रंप ने इतिहास रच दिया। वे राष्ट्रपति बनने के बाद एक चुनाव हारे और फिर अगला चुनाव जीता। इस तरह वे अमेरिका के 132 वर्षों के इतिहास में इस तरह राष्ट्रपति बनने वाले पहले राष्ट्रपति बन गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2016 में पूर्व विदेश मंत्री एवं पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन को हराया था। साल 2020 में ट्रंप जो बाइडेन से हार गए थे। इसके बाद उन्होंने फिर शानदार वापसी की है।

परिवार संग घूमने पुडुचेरी आई नाबालिग लड़की, पहले ऑटो ड्राइवर ख्वाजा मोईनुद्दीन ने रेप किया, फिर 4 लोगों का ग्रुप उठाकर ले गया चेन्नई और बनाया हवस का शिकार

पुडुचेरी में एक नाबालिग लड़की से गैंगरेप का मामला सामने आया है। 16 वर्षीया पीड़िता अपने परिवार के साथ मुंबई से घूमने आई थी। इस मामले में पुलिस ने ऑटो ड्राइवर ख्वाजा मोईनुद्दीन सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। एक आरोपित की तलाश जारी है।

रिपोर्टों के अनुसार लड़की से पहले ऑटो ड्राइवर ख्वाजा मोईनुद्दीन ने रेप किया। फिर उसे बेसुध हालत में छोड़कर भाग गया। यहाँ से चार पर्यटकों का एक समूह उसे उठाकर चेन्नई ले गया और हवस का शिकार बनाया। उसके बाद ये लोग उसे दोबारा पुडुचेरी में छोड़ गए। पीड़िता 1 नवंबर 2024 को समुद्र तट पर अचेत हालत में पुलिस को मिली थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना पुडुचेरी के ग्रैंड बाजार थाना क्षेत्र की है। 16 वर्षीया पीड़िता परिवार के साथ घूमने आई थी। 30 अक्टूबर की किसी बात पर उसका परिजनों से झगड़ा हो गया। गुस्से में वह रात के करीब 9 बजे कमरे से निकल गई। रास्ते में उसे एक ऑटो मिला जिसे 34 साल का ख्वाजा मोईनुद्दीन चला रहा था।

ख्वाजा मोईनुद्दीन ने उसे पुडुचेरी घुमाने का झाँसा दिया। रास्ते में पीड़िता के पीने के सामान में नशीला पदार्थ मिला दिया। उसके बाद उसे कोट्टाकुप्पम स्थित अपने घर ले गया। यहाँ बलात्कार करने के बाद वह पीड़िता को एक सड़क पर छोड़ कर भाग निकला।

सड़क किनारे बेसुध पड़ी पीड़िता को 4 पर्यटकों के एक ग्रुप ने देखा। ये सभी चेन्नई के निवासी थी जो नशे में धुत थे।ये लोग पीड़िता को अपने साथ करीब 160 किलोमीटर दूर चेन्नई ले गए। यहाँ इन सभी ने पीड़िता से रेप किया। बाद में ये लड़की को फिर से पुडुचेरी लेकर आए समुद्र तट पर छोड़कर भाग निकले। इधर परिजन लगातार लड़की की तलाश में जुटे थे। उन्होंने 31 अक्टूबर को पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी।

1 नवंबर को पुलिस की गश्त कर रही एक टीम की नजर समुद्र तट के किनारे बेसुध पड़ी पीड़िता पर गई। फ़ौरन ही पुलिस बल ने पीड़िता को अस्पताल पहुँचाया। इलाज के दौरान पीड़िता से रेप की पुष्टि हुई। चाइल्ड वेलफेयर बोर्ड की एक टीम ने अस्पताल पहुँच कर पीड़िता की काउंसिलिंग की। लड़की के बयानों के आधार पर पॉक्सो एक्ट सहित भारतीय न्याय संहिता (BNS) की अन्य धाराओं में FIR दर्ज हुई।

पुलिस टीम ने केस दर्ज कर जाँच शुरू की। अब तक ऑटो ड्राइवर ख्वाजा मोईनुद्दीन सहित 4 आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं। इसमें चेन्नई ले जाकर रेप करने वाले 3 पर्यटक भी शामिल हैं। एक अन्य पर्यटक फ़िलहाल फरार चल रहा है, जिसकी तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है।

अमेरिका का नागरिक है ऑरी: राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को दिया वोट, बाँहों में बाँहें डाली रहती हैं बॉलीवुड की बड़ी-बड़ी हिरोइनें

ऑरी अक्सर सोशल मीडिया में चर्चा में रहता है। वह बॉलीवुड हिरोइनों के साथ पार्टी करते दिखता है। लोग जानना चाहते हैं कि वह कौन है। अब उसके एक इंस्टाग्राम पोस्ट से पता चला है कि वह अमेरिका का नागरिक है। इस बार उसने राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को वोट भी दिया है।

उसने इन्स्टाग्राम पर कुछ फोटो डाल कर ट्रंप को जीत की बधाई भी दी है। इन्स्टाग्राम पर अमेरिकी चुनाव के पोस्टल बैलट को दिखाया है। इन फोटो में उसने पोस्टल बैलट के लिफ़ाफ़े और जिस बैलट पर उसने ट्रम्प को वोट दिया है, वह भी दिखाया है। उसने एक और फोटो डाली है, जिसमें वह कमला हैरिस के समर्थन से इनकार कर रहा है। उसने ट्रंप को संबोधित बधाई सन्देश में लिखा, “हमने कर दिखाया डोनाल्ड, हमने कर दिखाया। 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में वोट डालने पर मुझे गर्व है।”

यह वोट ऑरी ने भारत में स्थित अमेरिकी राजदूतावास के माध्यम से डाला है। अमेरिकी नागरिक विदेशों से भी पोस्टल बैलट के माध्यम से वोट डाल सकते हैं।

कौन है ऑरी?

ऑरी की भूमि पेडनेकर, करीना कपूर, जाह्नवी कपूर, न्यासा देवगन, नीता अम्बानी और दीपिका पादुकोण जैसी हस्तियों के साथ तस्वीरें हैं। ऑरी ने लिंक्डइन पर लिख रखा है कि वो रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के अध्यक्ष के दफ्तर में स्पेशल प्रोजेक्ट मैनेजर है।

उसने फाइन आर्ट्स एन्ड कम्युनिकेशन डिजाइन में स्नातक कर रखा है। उसने ये कोर्स न्यूयॉर्क स्थित पार्सन्स स्कूल ऑफ डिजाइन से पूरा किया था। एक इंटरव्यू के दौरान उसने बताया था कि वो खुद पर काम करता है, जिम जाता है, सेल-रिफ्लेक्शन करता है, योग करता है, मसाज के लिए जाता है और वो काम कर रहा है, खुद पर काम कर रहा है।

वो खुद को गायक, गीतकार और फैशन डिजाइनर भी बताता है। साथ ही ऑरी ने खुद को क्रिएटिव डायरेक्टर, स्टाइलिस्ट, एग्जीक्यूटिव अस्सिस्टेंट, शॉपिंग करने वाला, फुटबॉल का खिलाड़ी बताते-बताते कहा कि उसे खुद नहीं पता कि वो क्या-क्या है।

उसने कहा था कि उसे महसूस होता है कि जीवन का अर्थ है आपके पास सपने होना, अपने सपनों को बड़ा करना, उन्हें पंख देना, और मौके का फायदा उठाना। उसने कहा था कि वो ऐसा व्यक्ति है जिसे अगर आप अपने घर की दीवार पर कुछ पेंट करने कहेंगे तो वो पूरा घर पेंट कर देगा।

हाल ही में करण जौहर के शो ‘कॉफी विथ करण’ अभिनेत्रियाँ सारा अली खान और अनन्या पांडेय पहुँची थीं। इस एपिसोड का एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ था, जिसमें ऑरी का जिक्र हुआ था। इस शो में एक सवाल के जब के दौरान सारा अली खान ने ऑरी का जिक्र कर दिया, जिसके बाद करण जौहर ने भी पूछ दिया कि ऑरी कौन है?

इस पर सारा अली खान ने कहा कि भला कौन नहीं जानता है कि ऑरी कौन है? अनन्या ने भी हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उन्हें एक व्यक्ति को समझाना पड़ा था कि ऑरी कौन है, क्योंकि वो उसे नहीं जानता था। बकौल अनन्या, समझाने के बाद उक्त व्यक्ति ने कहा कि ऑरी को प्यार तो सब करते हैं, लेकिन उसे समझ नहीं पाते।

इस पर करण जौहर ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को सनसनी कहते हैं। अनन्या पांडेय ने हामी भरते हुए कहा कि उन्हें भी सबसे यही बताने को कहा गया है। लेकिन, फिर करण जौहर ने कहा कि ये कोई प्रोफेशन नहीं हुआ, लोगों के पास कोई न कोई काम होता है। आखिर वो करता क्या है? सारा अली खान ने इसका जवाब दिया कि वो एक मजाकिया इंसान है, उसके भीतर काफी ऊर्जा है। अनन्या पांडेय ने भी हामी भरते हुए कहा कि ऑरी मजाकिया इंसान है, कैप्शन के मामले में वो अच्छा है।

सारा अली खान ने बताया था कि ऑरी से वह अपनी तस्वीरों या वीडियो के लिए उससे कैप्शन माँगती रहती हैं। साथ ही उन्होंने बताया था कहा कि वो अच्छे कपड़े भी पहनता है। हालाँकि, इसके बावजूद करण जौहर को इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिला था कि ऑरी करता क्या है। उन्होंने फिर पूछा कि वो क्या करता है। अनन्य पांडेय ने जवाब दिया, “वो बहुत कुछ करता है। वो खुद पर काम करता है।” सारा अली खान फिर प्रतिक्रिया देती हैं, “वो खुद पर भी काम करता है।”

ऑरी का असली नाम ओरहान अवात्रामणि है। स्टार किड्स के साथ उसे बाँहों में बाँहें डाले कई बार देखा गया है। सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा और अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस भी उसके पोस्ट्स पर कमेंट करती हैं। उसे एक बड़े कारोबारी का बेटा भी बताया जाता है। वो अमीरी, टॉम फोर्ड, विजन ऑफ सुपर और प्रादा जैसे ब्रांड्स के साथ भी जुड़ा हुआ है। हॉलीवुड में किम कार्दशियन और काइली जेनर तक के साथ वो दिख चुका है।

आज ट्रंप ही नहीं जीते, अमेरिका ने उस मानसिकता को भी हराया जो हिंदू-भारतीय पहचान होने पर करता है टारगेट: कमला आउट, उषा इन के क्या हैं मायने

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका के पावरसेंटर से एक भारतवंशी बाहर हो गई हैं। इस भारतवंशी का नाम कमला हैरिस है। ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनावों में उन्हें 270 इलेक्टोरल वोट पाकर करारी हार दी। मतलब साफ है कि इस बार अमेरिकी जनता ट्रंप के साथ थी। हालाँकि, कमला के सत्ता से बाहर होने का मतलब ये नहीं है कि उनके जाने से भारतीयों की दखल अमेरिकी राजनीति में खत्म हो गई हो।

ट्रंप ने अपनी जीत से पहले ही ये सुनिश्चित कर दिया था कि भारतीयों की भागीदारी उनके कार्यकाल में भी बनी रहे। दरअसल, उन्होंने अपनी सरकार में जिन्हें उपराष्ट्रपति चुना है वो जेडी वेंस है और वेंस की पत्नी उषा चिलुकुरी एक भारतीय हैं।

वामपंथियों के निशाने पर उषा चिलुकुरी

जेडी के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उषा चिलुकुरी अमेरिका की द्वितीय महिला होंगी। इन चुनावों से पहले जब जेडी वेंस के नाम का ऐलान हुआ था तब वामपंथियों ने सोशल मीडिया पर उषा को बहुत ट्रोल किया था। उन्हें उनके हिंदू होने के कारण सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया था। उन्हें गालियाँ दी गई थीं। उनकी और जेडी की शादी पर सवाल उठाए गए थे। कहा गया था कि ये सब सिर्फ हिंदू वोट पाने के लिए किया गया है। हालाँकि अब इन सबपर विराम है। चारों ओर अगर किस्से हैं तो सिर्फ इसके कैसे उषा के आने से जेडी वेंस की जिंदगी बदली।

भारत से कैसे जुड़े जेडी वेंस

आपको जानकर हैरानी होगी कि वेंस की सफलता में उषा का बड़ा हाथ रहा है और आज JD वेंस भी अपने स्पष्ट विचारों के लिए जाने जाते हैं। उषा से उनकी मुलाकात येल यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान हुई थी। इसके बाद दोनों में प्रेम सबंध हो गए 2014 में दोनों ने शादी कर ली। दिलचस्प बात ये है कि जेडी वेंस और उषा की शादी हिंदू पंडित द्वारा तमिल रीति-रिवाज ही कराई गई थी। इसके बाद जेडी वेंस भारत और भारतीयों से, उनकी संस्कृति से स्वत: जुड़ते गए। आज उनकी छवि भारत के समर्थक के तौर पर जानी चाती है। उन्होंने 2022 में रिपब्लिकन पार्टी से चुनाव लड़के सांसद पद हासिल किया था और 2024 में वह उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने गए।

भारतीय लोगों का उनसे लगाव उनके भारतीय कनेक्शन यानी उषा के कारण अधिक है। पेशे से सफल वकील उषा भले अमेरिका में जन्मीं लेकिन उनकी जड़े भारत की है। उनके माता-पिता का नाता भारत के आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले से है। 1980 के दशक में अमेरिका जाने के बाद भी उषा के परिवार ने अपने धर्म को नहीं छोड़ा और बेटी को संस्कृति से जोड़े रखा।

जेडी वेंस से शादी के कारण उषा वामपंथियों के निशाने पर रहीं और ये ट्रोलिंग तब और अधिक हुई जब वेंस को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन सोशल मीडिया पर कभी उनकी कोई गलत प्रतिक्रिया नहीं देखी गई। आज उनके उसी संयम का परिणाम है कि वो अमेरिका की द्वितीय महिला कहलाई जाएँगी।

अमेरिका में भारतीयों का रुतबा

बता दें कि अमेरिका में हुए चुनाव सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप की जीत या जेडी वेंस के उपराष्ट्रपति बनने को लेकर नहीं हैं। अमेरिका के लोगों ने ट्रंप को राष्ट्रपति बनाकर उस सोच भी हराया है जो हिंदुओं को और भारतीयों को अपना निशाना बनाते हैं। इसके अलावा ये यह भी बताता है कि अमेरिका की आबादी में भले ही भारतवंशी कम हैं लेकिन उनका प्रभाव बहुत ज्यादा है। कारण दो हैं। राजनीति और बिजनेस।

आपने देखा होगा कि अमेरिका की बड़ी-बड़ी कंपनियों में टॉप पोस्ट पर कई भारतीयों का बोलबाला रहा है। फिर चाहे माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ के तौर पर चुने गए सत्या नडेला हों, गूगल के सीईओ रहे सुंदर पिचई हों, हॉटमेल के सहसंस्थापक सबीर भाटिया हों। इन सभी नामों के कारण भारत हमेशा से अमेरिका में अपनी शीर्ष जगह पाता रहा है। रही बात वामपंथियों की तो उन्हें उस व्यक्ति से समस्या है जिसकी जड़ें हिंदुत्व से जुड़ी हों। उषा अकेली नहीं है जिन्हें निशाना बनाया गया।

तुलसी गबार्ड को भी इससे पहले उनकी हिंदू पहचान के कारण निशाना बनाया जा चुका है। 2020 में तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी कॉन्ग्रेस की सदस्य चुने जाने के बाद सोशल मीडिया पर कहा भी था कि कॉन्ग्रेस के लिए जब भी वो चुनावी तैयारी करती हैं या राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होती हैं, तब-तब उन्हें हिंदूफोबिया का अनुभव होता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में नेता और मीडिया न सिर्फ इसे बर्दास्त करते हैं, बल्कि इसे बढ़ावा भी देते हैं।

उस मजहब में नहीं रहना जिसने राम गोपाल मिश्रा को मार डाला: बहराइच हिंसा से आहत नूरी ने छोड़ा इस्लाम, मंदिर में फेरे ले बनी हिंदू

13 सितंबर 2024: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महाराजगंज में दुर्गा विसर्जन जुलूस पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने हमला किया। राम गोपाल मिश्रा की हत्या कर दी।

5 नवंबर 2024: उत्तर प्रदेश के ​ही अंबेडकर नगर जिले की नूरूनेहार उर्फ नूरी हिंदू बन गई। बहराइच हिंसा का जिक्र कर कहा कि ऐसे मजहब में नहीं रहना जो इंसान को इंसान न समझे।

नूरी ने सीतापुर जिले के एक मंदिर में शुद्धिकरण के बाद सनातन धर्म में वापसी की है। अब वह निशा नाम से जानी जाएगी। मंदिर में ही उसे अपने प्रेमी अखिलेश के साथ फेरे भी लिए। इस शादी के मौके पर बाराती और घराती दोनों की भूमिका में राष्ट्रीय हिन्दू शेर सेना के सदस्य थे।

23 साल की नूरी मूल रूप से अंबेडकर नगर जिले की रहने वाली है। उसके अब्बा का नाम मोहम्मद खलील है। वह लुधियाना की एक फैक्ट्री में नौकरी करती हैं। डेढ़ साल पहले यहीं पर उसकी मुलाकात 25 वर्षीय अखिलेश से हुई। अखिलेश मूलतः सीतापुर के निवासी हैं। फैक्ट्री में मुलाकात का सिलसिला बढ़ा तो दोनों में प्रेम हो गया।

इसके बाद उन्होंने शादी का फैसला किया। लेकिन अलग अलग धर्म के कारण परिजन रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे। अखिलेश ने अपने घर वालों को जैसे-तैसे समझा लिया। पर नूरी के परिजन काफी कोशिशों के बाद भी तैयार नहीं हुए। उलटे नूरी पर कई तरह की पाबंदियाँ लगा दी।

राम गोपाल की हत्या ने असमंजस को संकल्प में बदला

राष्ट्रीय हिन्दू शेर सेना के अध्यक्ष विकास हिन्दू ने ऑपइंडिया को बताया कि नूरूी शुरुआत में असमंजस में थी। वह शादी के बाद भी अपना मजहब नहीं छोड़ना चाहती थी। अखिलेश भी इसके लिए राजी था। लेकिन बहराइच की घटना के बाद उसका मन इस्लाम से उचट गया।

विकास हिन्दू ने बताया कि राम गोपाल मिश्रा की हत्या ने नूरी को हिला दिया। उनकी पत्नी को रोता-बिलखता देख वह विचलित हो गईं। उसके बाद उसने इस्लाम छोड़ घर वापसी का फैसला लिया।

नूरी ने फिर अपने फैसले से अखिलेश को अवगत कराया। अखिलेश ने बहराइच हिंसा के दौरान राष्ट्रीय हिन्दू शेर सेना को पीड़ितों की आवाज उठाते सोशल मीडिया पर देखा था। उसने विकास हिन्दू से बात की। फिर संगठन के सहयोग से शिव मंदिर में पूरे विधि-विधान के साथ दोनों ने शादी कर ली।

पति के साथ हवन करती नूरी

शुद्धिकरण के बाद नूरी और अखिलेश ने एक दूसरे के गले में जयमाला डाली। दोनों ने हवन किया और हिन्दू देवी-देवताओं के जयकारे लगाए। ऑपइंडिया के पास विवाह के फोटो और वीडियो के साथ नूरी द्वारा स्टाम्प पर दिया गया शपथ-पत्र मौजूद है। इस मौके पर नुरुनेहार ने बहराइच हिंसा से व्यथित हो कर हिन्दू धर्म अपनाने की बात दोहराई। उन्होंने रामगोपाल मिश्रा वाली घटना फेसबुक पर देखने की बात कहते हुए कहा- ऐसे धर्म में नहीं रहना। वहीं अखिलेश ने कहा, “जिस धर्म में इंसान को इंसान न समझे, उसी कारण नूरी हिन्दू बनीं।”

हिन्दू धर्म में नहीं है भेदभाव

ऑपइंडिया से बात करते हुए नूरी ने कहा कि हिन्दू धर्म में उसको सबसे अच्छी बात ये लगी है कि इसमें कोई भेदभाव नहीं है। हर कोई एक समान है। नूरी के मुताबिक यही वजह थी कि फैक्ट्री में काम करने वाले तमाम लोगों में उसने अखिलेश को ही चुना। अब नूरी अखिलेश के परिवार के साथ बेहद खुश है। वह महादेव शिव, माँ काली और दुर्गा की पूजा भी कर रही है। उसने बताया कि अखिलेश के परिवार वाले बेहद अच्छे हैं और उसका पूरा ध्यान रख रहे हैं।

मिल रही हैं कत्ल की धमकियाँ

नूरी के अनुसार अखिलेश से अफेयर के बाद उनको अपनी बुआ की तरफ से मौत की धमकियाँ मिल रही थी। नूरी की बुआ लुधियाना में ही रहती है। उसने अखिलेश की हत्या करने की भी बात कही थी। नूरी को उसके भाई ने गाँव ले जाकर बाँध कर पीटा भी था। अब वह चाहती है कि उसका परिवार भी इस रिश्ते को कबूल कर ले।

बदल दिया बहराइच ने

नूरी ने बताया कि बहराइच की घटना ने उसको एकदम से बदल डाला। इसके बाद से वह ऐसे मजहब में रहना ही नहीं चाहती थी जहाँ कोई कुछ सुनने को तैयार ही न हो। उसने कहा, “बताओ, बेचारे को झंडा लगाने के लिए मार डाला।”

बधाई मेरे दोस्त… अमेरिका ने 132 साल बाद दोहराया इतिहास, राष्ट्रपति चुनाव जीतते ही एलन मस्क से लेकर आतंकवाद तक पर डोनाल्ड ट्रंप ने की मन की बात

अमेरिका का 47वाँ राष्ट्रपति चुने जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र ने बधाई संदेश दिया। ट्रंप के साथ अपनी पुरानी 4 तस्वीरें साझा करते हुए पीएम मोदी ने ट्रंप को अपना दोस्त बताया और कामना की कि वे लोग मिलकर भविष्य में भी काम करेंगे।

उन्होंने अपने संदेश में कहा, “मेरे मित्र डोनाल्ड ट्रंप को ऐतिहासिक चुनावी जीत पर हार्दिक बधाई। जैसा कि आप अपने पिछले कार्यकाल की सफलताओं को आगे बढ़ा रहे हैं, मैं भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए हमारे सहयोग को नवीनीकृत करने के लिए तत्पर हूँ। आइए हम सब मिलकर अपने लोगों की बेहतरी के लिए और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए काम करें।”

डोनाल्ड ट्रंप की इस जीत के साथ ही सोशल मीडिया पर काफी मीम भी बनाकर शेयर किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक मीम कंगना रनौत ने अपने साझा किया है। मीम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह ट्रंप का चेहरा लगा है और सीएम योगी की जगह एलन मस्क का चेहरा लगा है। इस मीम को साझा करते हुए कंगना ने कहा कि ये मीम इंटरनेट पर सबसे बेस्ट है। वहीं अन्य यूजर्स भी इसी तरह के मीम शेयर करके लिबरलों की चुटकी ले रहे हैं।

बता दें कि ट्रंप की जीत से डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक जहाँ दुख में है वहीं ट्रंप ने जीत के बाद अपने समर्थकों में जोश भरा है। चुनाव जीतने के बाद ट्रंप की पहली स्पीच में उन्होंने कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने अमेरिका की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि वो अपनी बहर सांस तक अमेरिका के लोगों और उनके परिवार के लिए लड़ेंगे।

समर्थकों से अपने ऊपर हुए हमले को याद दिलाते हुए कहा- “भगवान ने मेरी जिंदगी किसी वजह से बचाई। और यह वजह है कि अपने देश को बचाना और अमेरिका को फिर से महान बनाना।” उन्होंने आश्वासन दिया कि वो अब सब ठीक कर देंगे और कहीं कोई युद्ध नहीं होगा। उन्होंने अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर भी बात की और आतंकवाद को खत्म करने के वादे को भी याद रखा।

ट्रंप ने अपने भाषण के दौरान एलन मस्क का भी जिक्र किया। ट्रंप ने कहा कि एलन मस्क को बहुत प्रेम करते हैं और उनके समर्थन के लिए आभार जताते हैं। उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रपति बनकर वो अपने देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए काम करेंगे। उन्होंने अवैध माइग्रेशन को बंद करने और अमेरिकियों को अच्छी नौकरी देने के अपने वादे पर प्रतिबद्धता दिखाई।

गौरतलब है कि अमेरिकी के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने 270 का आँकड़ा पार करते हुए कमला हैरिस को मात दी और एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति पद को संभाला। ये अमेरिका के 132 साल के इतिहास में दूसरी बार हुआ है। उनसे पहले ग्रोवर क्लीवलैंड दो लगातार कार्यकाल वाले अमेरिकी राष्ट्रपति थे। वे पहली बार 1884 और फिर 1892 में राष्ट्रपति बने थे। मालूम हो कि ट्रंप की पार्टी के लिए इस जीत के साथ अमेरिका के उच्च सदन से भी खुशखबरी सामने आई है जहाँ पार्टी ने चार साल बाद सीनेट में अपनी संख्या बहुमत के पार कर ली है। इसी के साथ अब सदन में रिपब्लिकन पार्टी के 51 और डेमोक्रेट पार्टी के 49 सांसद हो गए हैं।

A (अर्नब) से Z (जुबैर) को बेल, दबाव गैंग से मुक्ति, जजों पर भरोसा… न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब क्या, CJI चंद्रचूड़ ने प्वाइंट टू प्वाइंट समझाया

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका की असल आजादी क्या होती है, इसका मतलब हाल ही में समझा दिया। उन्होंने वापमंथी उमर खालिद को बेल ना मिलने पर उठने वाले सवालों का भी जवाब दे दिया। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी साफ़ कर दिया कि किसी जज के नेता के साथ दिखने से डील की बात करना गलत है और ऐसा नहीं होता।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह सारी बातें अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के एक कायर्क्रम में कहीं। उन्होंने यहाँ न्यायपालिका की आजादी, उसके दिए फैसलों पर लोगों के सवाल और साथ ही कोलेजियम को लेकर भी बात की है।

क्या होती है न्यायपालिका की आजादी?

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने समझाया कि न्यायपालिका की असल आजादी का मतलब सिर्फ सरकार के दखल से ही बल्कि उन लोगों से भी है जो सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सहारे अपने नैरेटिव के अनुसार निर्णय न्यायपालिका से चाहते हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “अब आप कई समूह ऐसे पाते हैं जिनका कहना है कि अगर आप मेरे पक्ष में निर्णय दोगे तब तो आप स्वतंत्र हैं और अगर आप मेरे पक्ष में निर्णय नहीं करते तो हम नहीं मानेंगे कि आप निष्पक्ष हो।”

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि असल आजादी का मतलब यह है कि जज वह निर्णय देने में स्वतंत्र हो जो उसकी अंतरात्मा की आवाज उन्हें बताती है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसका उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, “जब हमने इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला दिया तो कहा गया कि न्यायपालिका स्वतंत्र है लेकिन अगर कोई फैसला सरकार के पक्ष में जाए तो अप स्वतंत्र नहीं हो, ऐसा कहा जाता है। ये मेरी आजादी की परिभाषा नहीं है।”

गौरतलब है कि वामपंथी और लिबरल गैंग लगातार EVM और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर उनके मन मुताबिक़ फैसला ना देने पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ पर हमला बोलते रहे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट पर भी प्रश्न उठाते रहे हैं। यही रुख इस गैंग ने राम मंदिर पर दिए गए निर्णय में भी अपनाया है। इस गैंग में पत्रकार, लेखक, फिल्मकार और वामपंथी नेता शामिल हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने एक बयान से इस गैंग का ‘कैंसिल कल्चर’ का नैरेटिव ध्वस्त कर दिया है।

अर्नब से लेकर जुबैर को दी जमानत

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस दौरान जमानत को लेकर उठने वाले सवालों को भी शांत कर दिया। जब चीफ जस्टिस से पूछा गया कि जमानत मिलने को लेकर उनके क्या विचार हैं तो उन्होंने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है, इसका निचली अदालतों अभी पूरी तरीके से पालन नहीं कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि मैंने A से लेकर Z तक सबको जमानत दी है। A से उनका मतलब पत्रकार अर्नब गोस्वामी जबकि Z से मतलब मोहम्मद जुबैर से था, जो कि लगातार फैक्टचेक के नाम पर प्रोपेगेंडा फैलाता रहता है। उन्होंने कहा कि यही उनकी सोच है।

उन्होंने कुछ आँकड़े भी बताए। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस दौरान बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान 21000 से अधिक जमानत के मामले निपटाए जा चुके हैं। उन्होंने यहाँ पर दिल्ली दंगों में अपनी भूमिका के कारण जेल में बंद उमर खालिद की जमानत पर भी बात की।

उन्होंने कहा कि जमानत देते टाइम केस कितना लंबा चलेगा, आरोपित छूटने के बाद कहीं सबूतों से छेड़छाड़ तो नहीं करेगा और बाकी चीजें देखी जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी के पास पैसे और अच्छे वकील हैं इसका मतलब यह नहीं है कि मामला व्यवस्था से इतर जाएगा, हम इसी लिए मामलों को वापस निचली अदालत में भेज देते हैं।

हर बैठक डील नहीं होती: चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उनकी हाल की प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो और उनकी अयोध्या में राम मंदिर जाने को लेकर हो रही आलोचना को शांत कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का उनके घर गणपति के मौके पर आना कुछ गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि जजों और नेताओं के बीच ऐसी मुलाकातें होती रहती हैं।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों के काम को उनके द्वारा लिखे गए निर्णयों से तोला जाना चाहिए ना कि वह क्या कहते हैं और किसके साथ दिखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के अलावा उस फोटो में वह कोई नेता अथवा जज रखने का समर्थन इसलिए नहीं करते क्योंकि यह कोई CBI डायरेक्टर के चुनाव की मीटिंग नहीं थी।

उन्होंने साफ़ किया कि ऐसी बैठकों में कोई डील नहीं होती और लोगों को जजों पर विश्वास रखना चाहिए। गौरतलब है कि इससे पहले भी एक कॉलेज में एक संबोधन के दौरान उन्होंने यही बात कही थी। उनके इस जवाब से उनकी पीएम मोदी के साथ पूजा वाली फोटो पर प्रश्न उठाने वालों का मुंह बंद हो गया है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ आगामी 10 नवम्बर, 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह पर जस्टिस संजीव खन्ना देश के नए चीफ जस्टिस होंगे।

हिंदू लड़का, मुस्लिम लड़की… इश्क नहीं कर रहे थे कबूल, अपने-अपने घरों में फाँसी लगा झूल गए: युवक को जेल भी भिजवा चुका था युवती का परिवार

18 साल की मुस्लिम लड़की। 21 साल का हिंदू लड़का। दोनों इश्क में थे। शादी करना चाहते थे। लेकिन लड़की के परिजनों को यह कबूल न था। कुछ महीने पहले उन्होंने लड़की को अगवा करने का आरोप लगाते हुए लड़के को जेल भी भिजवा दिया था। आखिरकार लड़का और लड़की दोनों ने अपने अपने घरों में फाँसी लगा ली।

अंतरधार्मिक जोड़े की इस प्रेम कहानी का दुखद अंत उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के साहनपुर गाँव में हुआ है। रिपोर्टों के अनुसार दोनों का घर आसपास ही था। दोनों की दोस्ती बचपन से थी। लड़की ने रविवार (3 नवंबर 2024) की रात अपने घर में पंखे में फंदा लगाकर जान दे दी। अगली सुबह लड़के को इसकी खबर लगी। सोमवार की दोपहर उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया और बाद में उसका शव भी पंखे से लटकते हुए मिला।

बुलंदशहर के एसपी सिटी ने बताया कि पुलिस को दोनों के शवों के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। लड़का और लड़की दोनों के परिजनों ने एक-दूसरे के खिलाफ तहरीर दी है। पुलिस दोनों शिकायतों की जाँच कर रही है। जाँच में आए निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। मृत युवक के एक परिजन ने मीडिया को बताया कि लड़की और लड़का एक-दूसरे के साथ जीवन बिताना चाहते थे लेकिन दोनों के परिजन इसके लिए तैयार नहीं थे।

लड़की के अपहरण में जेल गया था प्रेमी

गौरतलब है कि जिस युवक ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है, उस पर पहले अपनी प्रेमिका के अपहरण का केस दर्ज हुआ था। यह केस 1 जून 2024 को लड़की की अम्मी ने स्याना थाने में दर्ज करवाया था। तब मृतका की अम्मी ने बताया था कि 31 मई को कुश उनकी नाबालिग बेटी को अपने 2 अज्ञात साथियों की मदद से बलपूर्वक कहीं भगा ले गया गया।

कुश और उसके साथियों को शातिर अपराधी बताते हुए तब मृतका की अम्मी ने कड़ी कार्रवाई की माँग की थी। ऑपइंडिया के पास FIR कॉपी मौजूद है। पुलिस ने यह FIR IPC की धारा 363 के तहत दर्ज कर के लड़की को बरामद कर लिया था। पीड़िता को उसके परिजनों के सुपुर्द कर कुश को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। जेल में लगभग 1 माह रहने के बाद कुश को जमानत मिली थी।