Sunday, November 17, 2024
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तुम्हारी क़िस्मत में विंग कमांडर अभिनंदन का जूठा कप ही है, वर्ल्ड कप नहीं: देखें वीडियो

रविवार (16 जून) को ‘ICC वर्ल्ड कप 2019’ का मैच भारत-पाकिस्तान के बीच खेला जाना है। यह मैच मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला जाना है। जहाँ एक तरफ इस मैच पर दुनिया की नज़रें होंगी, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान अपने विज्ञापनों के ज़रिए भारतीय टीम को नीचा दिखाने की कोई कसर बाक़ी नहीं रख रहा है। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक विज्ञापन ख़ूब वायरल हो रहा है, इसमें विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के डुप्लीकेट को दिखाकर भारतीय टीम पर तंज कसा गया।

इस विज्ञापन में एक मॉडल बात करता दिखता है जिसे भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का लुक दिया गया था। इस वीडियो में कुछ सवाल पूछे जाते हैं जिसके जवाब में वो मॉडल कहता है, “I am sorry, I am not supposed to tell you this” (मुझे माफ़ कीजिए। मैं आपको इसकी जानकारी नहीं दे सकता।) इस वीडियो में विंग कमांडर की भूमिका निभाने वाला मॉडल ठीक उसी अंदाज़ में चाय पीने का ढोंग करता दिखता है, जैसे एक वीडियो विंग कमांडर वास्तव में चाय पीते नज़र आए थे, जब वो पाकिस्तान में थे। भारत ने इसी वीडियो का मुँहतोड़ जवाब कुछ नए अंदाज़ में दिया है, जो इस समय चर्चा में बना हुआ है:

विज्ञापन के इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि एक नाई की दुकान पर भारतीय टीम के समर्थक को पाकिस्तानी टीम का समर्थक ‘फ़ादर्स डे’ की बधाई देते हुए तोहफे़ में एक रूमाल देता है, और कहता है कि भारतीय टीम के हारने के बाद आपको मुँह छिपाने के काम आएगा और कहता है कि ये खेल बड़ा ज़ालिम है, एक ही दिन में बेटा, बाप बन जाता है। ये तंज भारतीय टीम के समर्थकों के लिए किया गया था।

इसके बाद पाक समर्थक नाई को इशारा करता है कि वो अफ़रीदी के स्टाइल में उसकी दाढ़ी बना दे। लेकिन, नाई और भारतीय समर्थक के बीच आँखों ही आँखों में कुछ ऐसा इशारा होता है, जिसका परिणाम यह निकलकर सामने आता है कि पाक समर्थक की दाढ़ी विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के स्टाइल में बना देता है।

इसके बाद भारतीय टीम का समर्थक अपना दाँव चलता है और तोहफ़े में मिले उसी रूमाल को पाक समर्थक की ओर बढ़ाकर कहता है कि लो यह रुमाल मुँह छिपाने के काम आ जाएगा। साथ ही कटाक्ष भी करता है कि बड़ा ही मज़ेदार है यह खेल और सिर्फ़ एक दिन लगता है बाप को बेटे को समझाने में। इतना ही नहीं, भारतीय समर्थक ने पाक पर निशाना साधते हुए यहाँ तक कहा कि तुम्हारी क़िस्मत में विंग कमांडर अभिनंदन का जूठा कप ही है, वर्ल्ड कप नहीं।

यहाँ हिंदी पर बवाल है वहाँ नेपाल के स्कूलों में चीनी भाषा पढ़ाना अनिवार्य, चीनी सरकार दे रही सैलरी

नेपाल के कई स्कूलों में छात्रों के लिए चीनी भाषा मेंडारिन सीखना अनिवार्य कर दिया गया है। खबर के मुताबिक, चीनी सरकार ने नेपाल सरकार से कहा है बच्चों को मेंडारिन सिखाने वाले शिक्षकों को चीनी सरकार वेतन देगी। नेपाल के 10 बड़े स्कूलों के प्राचार्य और स्टाफ ने बताया कि चीनी भाषा पहले ही अनिवार्य विषय के रूप में शामिल। इसके शिक्षकों की सैलरी काठमांडू में चीनी दूतावास से दी जाती है। एलआरआई स्कूल के फाउंडर शिवराज पंत ने कहा कि पोखरा, धुलीखेल और देश के कुछ अन्य हिस्सों में कई निजी स्कूलों में भी चीनी भाषा को विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।

सरकारी पाठ्यक्रम विभाग के सूचना अधिकारी गणेश प्रसाद भट्टारी ने इस बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘स्कूलों को विदेशी भाषा पढ़ाने की अनुमति है। मगर वे किसी भी विषय को विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य नहीं कर सकते हैं। यदि कोई विषय अनिवार्य करना भी है तो इसका निर्णय सरकार करती है। यह अधिकार स्कूलों के पास नहीं है।’’

वहीं, युनाइटेड स्कूल के प्राचार्य कुलदीप नुपेन ने बताया कि उन्होंने 2 साल पहले ही मेंडारिन को अनिवार्य विषय के तौर पर लागू कर दिया था। इसके लिए चीनी दूतावास ने मुफ्त में शिक्षक मुहैया कराए जाने की बात कही थी। नेपाल में स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने का जिम्मा सरकार के पाठ्यक्रम विकास केंद्र के पास है। स्कूल में चीनी भाषा पढ़ाए जाने की जानकारी उनके पास है। मगर उन्होंने मुफ्त में मिल रहे मेंडारिन शिक्षकों को देखते हुए इस भाषा को अनिवार्य कर दिया।

शुवातारा स्कूल के प्राचार्य ख्याम नाथ तिमसिना ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि उनका मानना है कि बच्चों को अपनी पसंद बताने की अनुमति मिलनी चाहिए और यदि कोई जापानी या जर्मन पढ़ाना चाहे, तो वो उनका भी स्वागत करेंगे। इसके साथ ही एपेक्स लाइफ स्कूल के प्राचार्य हरि दहल ने बताया कि वो चीनी शिक्षकों को सिर्फ उनके आने-जाने और भोजन का भत्ता देते हैं।

कॉन्ग्रेस ने सोशल मीडिया पोस्ट के कारण युवक को किया गिरफ्तार, पत्रकार से जवाब-तलब, योगी को घेरने वाले यहाँ मौन

छत्तीसगढ़ में कॉन्ग्रेस सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया पोस्ट पर एक वीडियो शेयर करने के मामले में मांगीलाल अग्रवाल नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। मांगीलाल द्वारा शेयर की गई वीडियो में दावा किया गया था कि भूपेश भगेल की सरकार का इंवर्टर बनाने वाली कंपनियों से साँठ-गाँठ ही छत्तीसगढ़ में बिजली जाने का मुख्य कारण हैं।

इस वीडियो से भूपेश सरकार इतनी आहत हुई कि अग्रवाल के ऊपर उन्होंने राजद्रोह का मुकदमा दायर किया। इस मामले के मद्देनजर मानक गुप्ता नाम के पत्रकार ने एक ट्वीट किया था। जिसमें पत्रकार ने कहा था कि मांगीलाल की गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध के कारण सरकार ने उनके ऊपर से राजद्रोह की धारा हटा ली है, लेकिन फिर भी उन्हें अब भी हिरासत में रखा गया है।

मानक गुप्ता के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

इस ट्वीट के बाद मानक ने मांगीलाल की रिहाई की माँग करते हुए, छत्तीसगढ़ में कटती बिजली के बारे में लिखा, “चिलचिलाती गर्मी में आपकी सरकार बिजली काटे और आम आदमी कराह भी नहीं सकता।”

आम आदमी के नजरिए से देखें तो पत्रकार मानक का ये पोस्ट बेहद आम था। लेकिन उनके इस पोस्ट ने छत्तीसगढ़ कॉन्ग्रेस को इतनी ठेस पहुँचाई कि उन्होंने मानक के ट्वीट को टारगेट करते हुए न्यूज 24 से अपने ट्वीट में कुछ सवाल कर डाले। छत्तीसगढ़ कॉन्ग्रेस ने न्यूज 24 को टैग करते हुए सवाल किया कि वह तत्काल स्पष्ट करें कि उनके एंकर @manakgupta द्वारा फैलाए जा रहे झूठ पर चैनल का क्या रुख है? अपने ट्वीट में छत्तीसगढ़ कॉन्ग्रेस ने संस्थान से ये भी सवाल पूछा कि क्या यह चैनल का विचार है या एंकर का निजी विचार?

अब ऐसे मे हैरान करने वाली बात ये है कि जो कॉन्ग्रेस सरकार कुछ दिन पहले तक सीएम योगी पर टिप्पणी करने पर गिरफ्तार हुए पत्रकार की गिरफ्तारी का विरोध कर रही थी, वो आज खुद पर उँगली उठने पर इतना क्यों बौखला गई है? क्यों सिर्फ़ एक पोस्ट शेयर करने पर एक व्यक्ति पर न केवल राजद्रोह का मुकदमा लगा दिया गया बल्कि उस व्यक्ति के समर्थन में उठी पत्रकार की आवाज को भी दबाने के लिए संस्थान को टैग करके उनकी टिप्पणी पर जवाब माँगा गया। अभिव्यक्ति की आजादी का तर्क देकर जो लोग न जाने कितनी देश विरोधी आवाजों को वाजिब ठहरा चुके हैं, वे अपनी सत्ता शासित प्रदेश में क्यों लोगों की आवाजों को गला घोंटकर, ट्रोल करके या उन्हें गिरफ्तार कर चुप करना चाहते हैं?

घमंडी, फासीवादी, सांप्रदायिक, स्वेच्छाचारी, हिंसक, असंवैधानिक, तानाशाह, भ्रष्ट, अलगाववादी: यही हैं ममता

ममता बनर्जी चक्रवात फोनी के प्रदेश की दहलीज पर होने के बाद भी देश के प्रधानमंत्री का फ़ोन नहीं उठातीं, प्रदेश के डॉक्टरों के हड़ताल में जलने के बाद भी राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के फ़ोन का जवाब नहीं देतीं। क्या यह उनका घमंडी होना नहीं है?

अपने काफ़िले से निकल कर लोगों के सामान्य से अभिवादन ‘जय श्री राम‘ पर भड़क उठतीं हैं। डॉक्टरों को चार घंटे में हड़ताल खत्म कर न लौटने की सूरत में वह ‘परिणाम भुगतने’ की चेतावनी देतीं हैं। क्या यह फ़ासीवादी होने की निशानी नहीं है?

हिन्दुओं के साथ नकारात्मक और समुदाय विशेष के साथ ममता बनर्जी सकारात्मक भेदभाव करतीं हैं। इंद्रधनुष के लिए बंगाली शब्द ‘रामधोनु’ को वह किताबों में ‘रोंगधोनु’ करवा देतीं हैं, और मुहर्रम के दिन दुर्गा पूजा के मूर्ति विसर्जन में बाधा उत्पन्न करतीं हैं। क्या यह सांप्रदायिक होना नहीं दिखाता है?

विपक्ष के कद्दावर नेताओं, योगी आदित्यनाथ से लेकर अमित शाह तक को वह बंगाल में कदम तक रखने से रोकने की कोशिश करतीं हैं। भाजपा के पोस्टर फड़वा देतीं हैं, और उनके रिश्तेदारों को हवाई अड्डे पर रोकने की हिमाकत करने वाले पुलिस वालों पर कार्रवाई करतीं हैं। ऐसा करने वाला शासक स्वेच्छाचारी हुआ या नहीं?

पश्चिम बंगाल की सड़कों पर विरोधियों की खुलेआम, बेधड़क ‘लिंचिंग’ होती है। हिंसा इतनी ज्यादा है कि एक-तिहाई से ज्यादा पंचायती सीटों पर तृणमूल के प्रत्याशियों के खिलाफ कोई खड़ा ही नहीं होता। क्या यह इस बात का सबूत नहीं कि ममता बनर्जी की राजनीति हिंसक है?

लोगों को मीम के लिए जेल भेजा जा रहा है, प्रोफेसरों पर मंदिर में (वह भी प्रदेश के बाहर) पूजा करती अपनी माँ की तस्वीर डालने पर साम्प्रदायिक हिंसा का मामला दर्ज हो रहा है। अगर ममता बनर्जी असंवैधानिक और लोकतंत्र-विरोधी न होतीं तो वह ऐसा क्यों करतीं?

इसमें कोई दोराय नहीं हो सकती कि बंगाल में ममता का शासन तानाशाह का है। नौकरशाही उनके पैरों तले है, पुलिस उनके राजनीतिक बलप्रयोग का ही विस्तार है, और उसे वह बदले में केंद्रीय जाँच एजेंसियों से भी महफूज़ रखतीं हैं। डॉक्टरों की हड़ताल का इस हद तक खिंचना उनकी तानाशाही का ही एक और उदाहरण है।

नारदा, सारधा, रोज़ वैली के घोटाले में उनका नाम आता है। भ्रष्टाचार ने उनकी पार्टी को लील लिया है। यह ममता के भ्रष्ट होने का नाकाफ़ी सबूत है?

पश्चिम बंगाल में जिहादियों और दहशतगर्दो के नेटवर्क फल-फूल रहे हैं। जमात-उल-मुजाहिदीन ने राज्य में जड़ें जमा लीं हैं। वर्धमान जैसे जिलों के मदरसे कट्टरपंथ पढ़ा रहे हैं। इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठन ने बंगाल के लिए बाकायदा ‘अमीर’ नियुक्त किया है, जो बंगाल में जिहाद करेगा और नए लोगों की भर्ती देखेगा। ममता बनर्जी में और एक अलगाववादी में क्या अंतर है?

अब इन सारे ‘बोल्ड’ में लिखे गए विशेषणों को इकठ्ठा करिए: घमंडी, फासीवादी, सांप्रदायिक, स्वेच्छाचारी, हिंसक, असंवैधानिक, लोकतंत्र-विरोधी, तानाशाह, भ्रष्ट, अलगाववादी- यह सारे शब्द ज़रा याद करिए आखिरी बार किस इंसान के लिए सुने थे! नरेंद्र मोदी। और मेरी चुनौती है कि लुटियंस मीडिया के ममता बनर्जी को इनमें से एक भी शब्द कहने का एक भी उदाहरण मुझे दिखा दिया जाए।

इकोसिस्टम क्या है? इकोसिस्टम सत्तासीन सरकार नहीं होता। इकोसिस्टम राजनीतिज्ञों, मीडिया, बुद्धिजीवियों, वकीलों, नौकरशाहों, संस्थानों के अध्यक्षों, सांस्कृतिक ‘नवाबों’ आदि का झुण्ड होता है, जो एक ही एजेंडा चलाने के लिए इकट्ठे होते हैं।

राजनीतिज्ञों (राहुल गाँधी, महबूबा मुफ़्ती, उमर अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, मायावती आदि), पत्रकारों (शेखर गुप्ता, राजदीप सरदेसाई, सागरिका घोष, बरखा दत्त आदि), वकील (प्रशांत भूषण आदि), बौद्धिक (राम चंद्र गुहा, फैज़ान मुस्तफा, राजमोहन गाँधी इत्यादि), संस्थानिक अध्यक्ष (पूर्व चुनाव आयुक्त, पुलिस आयुक्त, कॉलम लिखने वाले पूर्व मुख्य न्यायाधीश), सांस्कृतिक ‘नवाब’ (जावेद अख्तर, कमल हासन आदि) की ट्विटर टाइमलाइन देखिए। देखिए कि उन्होंने ममता पर कभी साम्प्रदायिक, स्वेच्छाचारी, भ्रष्ट होने या लिंचिंग को बढ़ावा देने का आरोप लगाया हो। ऐसा कैसे है कि ममता बनर्जी के बारे में इन लोगों की राय उसके बिलकुल विपरीत है, जो ममता के बारे में देश के लगभग हर तबके में आमराय होगी?

यह इकोसिस्टम सवालों से बचने के लिए पलट कर प्रतिप्रश्न के बहाने कुतर्क (whataboutery) में उस्ताद है। बंगाल की हर हिंसा में तृणमूल के साथ बराबर का भागीदार भाजपा को बना देता है। सांप्रदायिकता में भी यही रवैया अपनाता है।

लेकिन इस बार इकोसिस्टम फँस गया है। डॉक्टरों का आक्रोश भाजपा के माथे नहीं मढ़ा जा सकता। राज्य की आम जनता ही ममता के खिलाफ उतर आई है। भाजपा और संघ के खिलाफ सांप्रदायिकता और लिंचिंग के नाम पर चाहे जितना प्रोपेगैंडा कर लिया जाए, आप लाखों लोगों का आक्रोश कैसे झेलोगे? हाल ही में हुए लोकसभा निर्वाचन में वह आम जनता ही थी जो इकोसिस्टम के खिलाफ उठ खड़ी हुई और उसे आईना दिखा दिया। और एक बार फिर यह आम जनता ही है जो इस गिरोह को बेपर्दा कर रही है।

जैसा कि एक कहावत में कहा गया है, कुछ लोगों को हर समय बेवकूफ बनाया जा सकता है, लेकिन सभी लोगों को हर समय बेवकूफ़ नहीं बनाया जा सकता।

(आशीष शुक्ला के मूल लेख का हिंदी में अनुवाद किया है मृणाल प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव ने)

मिर्ची बाबा की नई नौटंकी: दिग्गी का बैंड बजा कर, अब अग्नि-कुण्ड में समाधि को तैयार

लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह की जीत के लिए ‘मिर्ची यज्ञ’ करने वाले बाबा वैराग्यानंद का नया ड्रामा फिर से शुरू हो गया है। कभी हिंदुत्व को गाली बना देने वाले दिग्विजय सिंह की भोपाल से जीत सुनिश्चित करने के लिए बाबा वैराग्यानंद ने कई क्विंटल मिर्ची के साथ भोपाल में एक बड़ा यज्ञ दावे के साथ किया था कि यदि दिग्विजय सिंह नहीं जीते तो समाधि ले लूँगा। कुछ दावे जलसमाधि के थे तो कुछ अग्निकुण्ड के। खैर, इस ड्रामे ने साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ चुनाव प्रचार को और भी मजेदार बना दिया था।

दिग्विजय सिंह साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से तीन लाख से ज्यादा वोटों से हार गए और इसके बाद मिर्ची बाबा धुँआ हो गए। जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो लोग उन्हें सोशल मीडिया से लेकर यहाँ-वहाँ बड़ी बेसब्री से ढूँढते नज़र आए।

बताया जा रहा था कि लोगों ने उन्हें परेशान कर दिया था। वो चुनाव परिणाम के बाद ही छिपते-छिपाते खुद को बचाए हुए थे लेकिन उन्हें यूपी में एक रोजा इफ्तार पार्टी में देख लिया। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ लोगो ने बाबा का ढूँढ़कर लाने वाले को एक लाख रुपए देने का ऐलान भी कर दिया था। बीच में बाबा का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था जिसमें बाबा ने उनकी जलसमाधि का सवाल पूछने पर उस व्यक्ति पर भड़क गए थे। संत समाज ने भी मिर्ची बाबा के इस चुनावी ड्रामे की निंदा करते हुए, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की थी। 

मिर्ची बाबा को कोई उपाय नहीं सूझा तो लोकसभा चुनाव में भोपाल संसदीय क्षेत्र से कॉन्ग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह की जीत की भविष्यवाणी गलत साबित होने पर वैराग्यानंद गिरी ने, जो अब मिर्ची बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो चुके हैं, 16 जून को हवन-कुण्ड में ब्रह्मलीन समाधि लेने की घोषणा की है। इसके लिए उन्होंने बाकायदा जिलाधिकारी को एक आवेदन देकर स्थान निर्धारित करने सहित समाधि लेने की अनुमति भी माँगी है।

हालाँकि, पत्र हमारे हाथ नहीं लगा है लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बात जलसमाधि की भी कही जा रही है। खैर समाधि चाहे जिस तरह से हो उनके समर्थक इस अगले ड्रामे का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। मिर्ची बाबा ने अपने आवेदन में लिखा है, “दिग्विजय सिंह के लिए उन्होंने कोहेफिजा इलाके में ‘मिर्ची यज्ञ’ किया था और कहा था कि यदि दिग्विजय सिंह नहीं जीते तो वो जल समाधि लेंगे। पत्र में ये भी लिखा है कि वो अपनी बात पर अटल हैं और जो प्रण लिया है उसे जरूर पूरा करेंगे।” 

एक दूसरे मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, निरंजनी अखाड़े के पूर्व महामंडलेश्वर मिर्ची बाबा ने अपने अधिवक्ता माजिद अली के माध्यम से जिलाधिकारी को जून 13, 2019 को दिए आवेदन में कहा है, “कॉन्ग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के पक्ष में प्रचार करते हुए उनकी विजय की कामना के लिए एक यज्ञ-हवन किया था। इस दौरान संकल्प लिया था कि अगर इस चुनाव में दिग्विजय सिंह को पराजय मिलती है तो हवन-कुण्ड में ब्रह्मलीन समाधि लूँगा।”

मिर्ची बाबा के ड्रामे वाले पत्र का मज़मून कुछ यूँ है, ‘‘दिग्विजय सिंह भोपाल संसदीय क्षेत्र से पराजित हो चुके हैं और मैं अपने संकल्प पर दृढ़ संकल्पित रहते हुए अपने संकल्प को पूर्ण करना चाहता हूँ। इस समय मैं कामाख्या धाम (गुवाहाटी) में तपस्यारत हूँ।’’ बाबा वैराग्यनंद ने आगे लिखा, ‘‘सकल संत पंचों से परामर्श के जरिए यह समाधि लेने हेतु विधि विधान के अनुरूप 16 जून 2019 को दो बजकर 11 मिनट पर अनुराधा नक्षत्र चतुर्दशी को मैंने ब्रह्मलीन समाधि लेने का निश्चय किया है, ताकि मैं अपना संकल्प पूर्ण कर सकूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि प्रशासन द्वारा मुझे पूर्ण सहयोग कर मेरी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए मुझे ब्रह्मलीन समाधि लेने हेतु स्थान निर्धारण करते हुए स्वीकृति प्रदान की जाएगी।’’

बता दें कि इस आवेदन पर वैराग्यनंद गिरी महाराज की ओर अधिवक्ता माजिद अली ने हस्ताक्षर किए हैं। अली ने बताया कि उसे वैराग्यनंद ने इस आवेदन पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत किया है। अली भोपाल जिला न्यायालय में निजी वकालत करते हैं।

मिर्ची बाबा के इस पत्र की पुष्टि करते हुए जिलाधिकारी तरुण तिकोड़े ने शुक्रवार को डीआईजी को पत्र लिखकर बताया, ‘‘समाधि लेने के लिए वैराग्यनंद गिरी महाराज का 13 जून को आवेदन आया था। इस तरह की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके बारे में मैंने पुलिस को पत्र लिखा है और उनको कहा है कि वैराग्यानंद की जान-माल की सुरक्षा करें।’’


दिग्विजय सिंह की हार पर समाधि लेने का ऐलान करने वाले वैराग्यनंद गिरी की तस्वीरों को जल समाधि देते हुए

हालाँकि, बाबा के इस ड्रामे को एक बार फिर से उनका नया नाटक समझ कर कुछ लोगों ने उनके तस्वीर को ही जल समाधि देकर तसल्ली कर ली थी, लेकिन कुछ अभी भी बाबा वैराग्यानंद को फर्जी यज्ञ और झूठी भविष्यवाणी करने के लिए प्रायश्चित करने पर अड़े हैं। इसी बीच संत समाज के ही कुछ लोगों का कहना है कि किसी सार्वजनिक स्थल पर 108 दिन तक जल सत्याग्रह करना चाहिए एवं ध्यानपूर्वक ना केवल क्षमायाचना करना चाहिए बल्कि यह संकल्प भी दोहराना चाहिए कि आज के बाद वो कभी भी झूठी भविष्यवाणी नहीं करेंगे। हिंदू शास्त्रों में कठोर प्रायश्चित के और भी कई उपाय उपलब्ध हैं जिनके लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं होती।

कुल मिला कर, मिर्ची बाबा को अच्छे से पता है कि सरकार उन्हें अनुमति नहीं देगी। उनका अनुमति माँगना उनका नया ड्रामा ही है। लेकिन यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि ऐसे छद्म तथाकथित बाबाओं की इन हरकतों से पूरा संत समाज बदनाम होता है। यज्ञ की विधियों का दुरुपयोग कर इस तरह की ग़ैरवाजिब भविष्यवाणी कर मिर्ची बाबा न सिर्फ अपना बल्कि अध्यात्म और कर्मकाण्ड की एक पूरी संस्कृति का मजाक बनाया है इसके लिए उन्हें सार्वजानिक रूप से माँफी माँगते हुए दोबारा ऐसा कुछ न करने का संकल्प लेना चाहिए।

गुरुद्वारे में अब लंगर की सामग्री पर नहीं लगेगा GST, सरकार करेगी रिफंड

केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना वादा पूरा करने के लिए धन्यवाद दिया है। उन्होंने गुरुवार (जून 13, 2019) को बताया कि केंद्र ने स्वर्ण मंदिर समेत विभिन्न गुरुद्वारों में लंगर तैयार करने के लिए खरीदी गई सामग्री पर वसूले गए जीएसटी के रिफंड के लिए 57 लाख रुपए जारी किए हैं।

अपने बयान में उन्होंने कहा कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने लुधियाना में जीएसटी अधिकारियों को गुरुद्वारे में लंगर के लिए खरीद सामग्री पर जीएसटी के लिए 57 लाख रुपए जारी किए हैं। केंद्र द्वारा जारी की गई यह राशि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति को हस्तांतरित की जाएगी।

हरसिमरत कौर ने बताया, “जीएसटी की यह पहली किस्त है। रिफंड तिमाही आधार पर एसजीपीसी को जारी किया जाएगा। मैं इस मुद्दे का समाधान कर सिखों की भावना का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देती हूँ।”

गौरतलब है साल 2018 में एसजीपीसी ने दावा किया था कि लंगर के लिए खरीदी जाने वाली सामग्रियों पर जीएसटी के कारण स्वर्ण मंदिर पर काफ़ी भार पड़ा है। चूँकि सिर्फ़ 1 जुलाई 2017 से 31 जनवरी 2018 के बीच में ही उन्हें 2 करोड़ रुपए चुकाने पड़े। जिसके बाद मोदी सरकार ने गुरुवार को लंगर के लिए खरीदी जाने वाली सामग्री पर से जीएसटी माफ़ करने का फ़ैसला किया था। इसे उन्होंने ‘सेवा भोज योजना’ का नाम दिया था।

तीन तलाक बिल का विरोध करेगी जदयू, कहा- मुस्लिमों पर कोई भी विचार नहीं थोपा जाना चाहिए

संसद के आगामी सत्र में मोदी सरकार नए सिरे से तीन तलाक बिल को पेश करने वाली है। तीन तलाक से जुड़े विधेयक को बुधवार (जून 12, 2019) को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी दी गई थी। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा है की सरकार को उम्मीद है को इस बार राज्य सभा में विपक्ष का समर्थन मिलेगा और इस बिल पर मुहर लग जाएगी। मगर, तीन तलाक के मुद्दे पर एक बार फिर से एनडीए की सहयोगी पार्टी जदयू ने विरोध का ऐलान कर दिया है। जदयू ने अपना विरोध दर्ज करते हुए कहा कि बगैर व्यापक परामर्श के मुस्लिमों पर कोई भी विचार नहीं थोपा जाना चाहिए।

जदयू के प्रवक्ता के सी त्यागी ने शुक्रवार (जून 14, 2019) को बयान जारी कर कहा कि पार्टी अपने पुराने रुख पर कायम है। हमारा देश कानून के सम्मान और विभिन्न धर्मों व पारंपरिक समूहों के सिद्धांतों के बीच नाजुक संतुलन बनाए रखने पर आधारित है। के सी त्यागी ने कहा कि उनके विचार से सिविल कोड पर विभिन्न धर्म समूहों के बीच और गहराई से विचार-विमर्श करने की जरूरत है। मौजूदा धार्मिक रीतियों जैसे शादी, तलाक, बच्चा गोद लेना, पैतृक संपत्ति के अधिकार जैसे जटिल व संवेदनशील मुद्दों पर जल्दबाजी में कोई कदम उठाना सही नहीं होगा।

इस बारे में जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने भी बयान देते हुए कहा था कि तीन तलाक के मामले में उनकी पार्टी केंद्र सरकार का साथ नहीं देगी। जदयू ने पहले भी इसका विरोध किया था और अभी भी इसका विरोध करती है। ये विरोध आगे भी जारी रहेगा। रजक ने कहा कि मसला चाहे राममंदिर का हो, तीन तलाक का हो या फिर धारा 370 का, पार्टी इसका समर्थन नहीं करती है।

गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने भी पिछले दिनों अपना रुख दोहराते हुए कहा था कि उनका विचार है कि अनुच्छेद 370 समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। इसी तरह, समान नागरिक संहिता किसी के ऊपर नहीं थोपी जानी चाहिए और अयोध्या राम मंदिर का मुद्दा या तो संवाद के जरिए सुलझाया जाए या फिर अदालत के आदेश के जरिए।

जामा मस्जिद गोलीकांड का इनामी गैंगस्टर गिरफ़्तार, BSP के टिकट पर लड़ा था चुनाव

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद इक़बाल सैफी उर्फ़ ‘राजा’ को गिरफ़्तार कर लिया है। उस पर 25 हज़ार रुपए का ईनाम था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम को यह सूचना मिली थी कि मोहम्मद इक़बाल सैफी 13 जून को किसी वारदात को अंजाम देने के मक़सद से वेलकम इलाक़े में आने वाला है। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने इलाक़े की घेराबंदी की और इक़बाल को गिरफ़्तार कर लिया। पुलिस ने उसके पास से हथियार और कारतूस बरामद किए हैं।

पुलिस ने बताया कि 21 फ़रवरी 2018 को जामा मस्जिद इलाक़े में मोहम्मद इक़बाल ने अपने दो साथियों नौशाद और रिज़वान के साथ मिलकर मक्की नाम के शख़्स पर गोली चलाई थी। हालाँकि मक्की इस हमले में अपनी जान बचाने में क़ामयाब रहा। ख़बर के अनुसार, मोहम्मद इक़बाल ने इस हत्या को अंजाम देने के लिए अपने गैंग के सरगना शाहीन सैफी के निर्देश पर किया था। बता दें कि शाहीन सैफी अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील का गुर्गा है, जो फ़िलहाल अभी मेरठ की जेल में बंद है।

इसके अलावा इक़बाल उर्फ राजा पर हत्या, लूट, आर्म्स एक्ट, गुंडा एक्ट और चोरी से जुड़े क़रीब 10 मामले दर्ज हैं। पुलिस काफ़ी समय से इक़बाल की तलाश कर रही थी। ख़बर के अनुसार, 33 साल के इक़बाल ने रंगदारी न देने पर जामा मस्जिद में गोलीबारी की वारदात को अंजाम दिया था। डीसीपी के अनुसार, इक़बाल ने वर्ष 2017 में BSP के टिकट पर मेरठ में वॉर्ड नंबर-47 से पार्षद का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में वो हार गया था। फ़िलहाल, पुलिस इक़बाल के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों की गहन जाँच में जुट गई है।

‘मेट्रो मैन’ श्रीधरन ने जताई दिवालियेपन की चिंता, सिसोदिया ने जवाब में लिखे अपने ‘तर्क’

दिल्ली मेट्रो के पहले प्रबंध निदेशक और ‘मेट्रो मैन’ के नाम से मशहूर ई श्रीधरन ने मेट्रो में महिलाओं को मुफ़्त यात्रा की सुविधा देने की आम आदमी पार्टी सरकार की पहल को मेट्रो के लिए नुकसानदायक बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि छूट की राशि सीधे महिलाओं के खाते में ट्रांसफर की जाए। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी।

दिल्ली मेट्रो के सलाहकार श्रीधरन द्वारा लिखी चिट्ठी पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने कड़ी आपत्ति जताते हुए जवाब में लिखा, “मुझे आश्चर्य के साथ-साथ आपकी चिट्ठी पर दुख भी है, जिसमें आपने मेट्रो में महिलाओं को फ्री यात्रा का खर्च दिल्ली सरकार द्वारा उठाने के प्रस्ताव का विरोध किया है।”

अपनी चिट्ठी में सिसोदिया ने यह तर्क दिया कि मेट्रो की कुल क्षमता प्रतिदिन 40 लाख यात्रियों की है, लेकिन DMRC के अनुसार, फ़िलहाल औसतन राइडरशिप 25 लाख है। सिसोदिया ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दिल्ली मेट्रो अपनी कुल क्षमता का 65 फ़ीसदी ही काम कर रही है, जो कि एक कंपनी की गुणवत्ता और परफॉर्मेंस के लिए बहुत ख़राब है।

अपनी चिट्ठी में मनीष सिसोदिया ने यह दावा किया कि दिल्ली सरकार के प्रस्ताव के बाद मेट्रो में महिला यात्रियों की संख्या में इज़ाफ़ा होगा, इससे मेट्रो की क्षमता 90 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। उन्होंने लिखा कि उनकी सरकार के प्रस्ताव के बाद भी दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की रोज़मर्रा की राइडरशिर मात्र 3 लाख यात्री प्रतिदिन बढ़ेगी, जबकि मेट्रो के डिज़ाइन के हिसाब से कुल क्षमता 40 लाख यात्रियों की है।

उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने मेट्रो के किराये को लेकर भी कुछ बातें अपनी चिट्ठी में लिखींं। उन्होंने लिखा कि दिल्ली मेट्रो किसी भी सार्वजनिक यातायात माध्यमों में सबसे महँगी है। श्रीधरन को लिखी चिट्ठी में सिसोदिया ने उन्हें मनाने की भी कोशिश की है और लिखा, “हमारा मक़सद दिल्ली मेट्रो की कार्यप्रणाली में दखल देना नहीं है बल्कि हमने दिल्ली मेट्रो के सभी प्रोजेक्ट के साथ-साथ उसे बढ़ाने में तत्परता दिखाई है जिसे वर्षों तक लटका कर रखा गया।”

सिसोदिया ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनकी सरकार मेट्रो को महिलाओं के लिए फ्री नहीं कर रही है बल्कि DMRC से मेट्रो में यात्रा करने वाली दिल्ली की महिलाओं के लिए टिकट बड़ी तादाद में एक साथ ख़रीद रही है, जिससे महिलाओं को मेट्रो में सुरक्षित यात्रा का मौक़ा मिल सके।

माओवादियों का पाकिस्तान कनेक्शन, बरामद राइफलों से हुआ खुलासा

छत्तीसगढ़ में शुक्रवार (जून 15, 2019) को पुलिस ने उत्तर बस्तर के कांकेर में हुई मुठभेड़ के बाद माओवादियों के पास से जी-3 राइफल समेत अन्य हथियार और गोला बारूद बरामद किए। हैरानी की बात ये है कि माओवादियों के पास जो राइफलें बरामद हुई वो पाकिस्तानी सेना द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं जिसके कारण सुरक्षा एजेंसियाँ चौकन्नी हो गई हैं। जानकारी के मुताबिक ये राइफल जर्मनी के हेकलर एंड कोच कंपनी द्वारा बनाई जाती है।

इन हथियारों के बरामद होने के बाद माना जा रहा है कि माओवादी पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी आतंकी संगठन के संपर्क में हैं। इनका मकसद भारत की शासन व्यवस्था के विरुद्ध खड़े होकर देश को तोड़ना है। गौरतलब है कि अभी तक पाकिस्तानी सेना और उसके आतंकी संगठन आतंकवादियों को हथियार और गोला बारूद गैर कानूनी तरीके से उपलब्ध कराते रहे हैं।

आजतक में छपी खबर के अनुसार छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी ने बताया है कि माओवादियों के पास से बरामद जी-3 राइफल्स का इस्तेमाल भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा नहीं किया जाता है बल्कि इनका इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना द्वारा किया जाता है। बता दें कि यह दूसरी बार है जब माओवादियों के पास से पाकिस्तानी राइफल बरामद हुई है। पिछले साल छत्तीसगढ़ पुलिस ने सुकमा में मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के पास से जी-3 राइफल बरामद की थी।