Saturday, May 18, 2024
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OBC आरक्षण का दायरा बढ़ने की उम्मीद, हो सकती है बजट सत्र में घोषणा

हाल ही में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10% आरक्षण की घोषणा के बाद मोदी सरकार अब OBC वर्ग का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। पिछले कुछ सालों में कई जातियों ने खुद को इस वर्ग का हिस्सा बनाकर आरक्षण का लाभ उठाने के लिए कई आंदोलन किए हैं। ताज़ा जानकारी के अनुसार अब मोदी सरकार OBC में शामिल जातियों पर नए सिरे से विचार करने जा रही है।

OBC कमीशन की रिपोर्ट चुनाव से पहले ही पेश होगी, इस बात की उम्मीद की जा रही है। इस सन्दर्भ में हर मंत्रालय से उनके यहाँ कार्य करने वाले OBC कर्मचारियों की जाति और संख्या का ब्यौरा माँगा गया है। माना जा रहा है कि आने वाले बजट सत्र में, जनवरी 31 से फ़रवरी 13, मोदी सरकार इस सन्दर्भ में OBC जातियों में, कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर, उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को नज़र में रखते हुए उनकी समुचित हिस्सेदारी और प्रतिनिधित्व तय करेगी। कई ऐसी जातियाँ हैं जिन्होंने अपने आरक्षण के हक़ के लिए लगातार आवाज़ उठाई है, कमीशन की रिपोर्ट से पता चलेगा कि उनकी सामाजिक स्थिति कैसी है और क्या वो सच में आरक्षण के हक़दार हैं।

इससे पहले, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश भर के 40,000 कॉलेज व 900 यूनिवर्सिटी में इसी साल से सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 10% आरक्षण कोटा लागू किया जाएगा। मंत्री ने अपने बयान में कहा कि छात्रों को सरकारी व ग़ैर-सरकारी, दोनों ही तरह के, संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके आलावा मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान कोटे में किसी तरह से छेड़छाड़ किए बिना 10% अतिरिक्त कोटा के ज़रिए इस कैटेगरी के छात्रों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी कहा कि आरक्षण कोटा को लागू करने के लिए कॉलेज व यूनिवर्सिटी में 25% सीटों में भी वृद्धि की जाएगी।

इसी सप्ताह, गुजरात के बाद दूसरे भाजपा शासित राज्य झारखंड ने समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए आरक्षण लागू किया। झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को सरकारी नौकरी व शिक्षा में दिए जाने वाले 10% आरक्षण को लागू कर दिया है। राज्य सरकार के इस फ़ैसले के बाद अब झारखंड में रहने वाले समान्य वर्ग के लोगों को 15 जनवरी 2019 के बाद आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। झारखंड सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा – “15 जनवरी 2019 के बाद ज़ारी होने वाली बहाली में समान्य वर्ग के लोगों को 10 फ़ीसद आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।”  

जनवरी 12, 2019 को केंद्रीय न्याय एवं विधि मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में अधिसूचना ज़ारी करते हुए कहा कि संविधान के 103वें संशोधन, 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। इसे अनुच्छेद 15 तथा 16 के अंतर्गत पारित किया गया है। इस अधिसूचना के ज़ारी होने के साथ ही 8 लाख से कम सालाना आमदनी वाले सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है। इस क़ानून के अंतर्गत सरकार को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का अधिकार होगा।

अखाड़ा: नागा से लेकर अन्य साधु-संतों का सनातन में क्यों है विशेष महत्त्व

जब बात शाही स्नान की हो तो अखाड़े, उनका वैभव, धार्मिक-आध्यात्मिक परम्परा सब एक साथ कुम्भ में उपस्थित और जो अभी तक प्रयागराज नहीं पहुँचे हैं, सभी के मन में कौतूहल पैदा करते हैं। आख़िर क्या है इन अखाड़ों का महत्त्व? क्यों इनमें शामिल होने की इतनी होड़ रहती है? चलिए आप सभी को बताता हूँ, सनातन धर्म की ध्वजा थामे इन अखाड़ों के बारें में।

अखाड़ा शब्द को सुनते ही प्रायः जो दृश्य मानस पटल पर उभरता है वह मल्लयुद्ध का। मल्ल्युद्ध अर्थात शारीरिक दमख़म किन्तु यहाँ शारीरिक मल्लयुद्ध से भी बड़ा भाव है। दरअसल, ‘अखाड़ा’ शब्द ‘अखण्ड’ शब्द का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है न विभाजित होने वाला।

आदि गुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा हेतु साधुओं के संघों को मिलाने का प्रयास किया था। उसी प्रयास के फ़लस्वरूप सनातन धर्म की रक्षा एवं मज़बूती बनाए रखने एवं विभिन्न परम्पराओं व विश्वासों का अभ्यास व पालन करने वालों को एकजुट करने तथा धार्मिक परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए विभिन्न अखाड़ों की स्थापना हुई। अखाड़ों से सम्बन्धित साधु-सन्तों की विशेषता यह होती है कि इनके सदस्य शास्त्र और शस्त्र दोनों में प्रवीण होते हैं।

शाही स्नान को प्रस्थान करते अखाड़े

अखाड़ा सामाजिक व्यवस्था, एकता और संस्कृति तथा नैतिकता का प्रतीक है। समाज में आध्यात्मिक महत्व मूल्यों की स्थापना करना ही अखाड़ों का मुख्य उद्देश्य है। अखाड़ा मठों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सामाजिक जीवन में नैतिक मूल्यों की स्थापना करना है। इसीलिए, धर्मगुरुओं के चयन के समय यह ध्यान रखा जाता था कि उनका जीवन सदाचार, संयम, परोपकार, कर्मठता, दूरदर्शिता तथा धर्ममय हो।

भारतीय संस्कृति एवं एकता इन्हीं अखाड़ों के बल पर जीवित है। अलग-अलग संगठनों में विभक्त होते हुए भी अखाडे़ एकता के प्रतीक हैं। अखाड़ा मठों का एक विशिष्ट प्रकार नागा संन्यासियों का एक विशेष संगठन है। प्रत्येक नागा संन्यासी किसी न किसी अखाड़े से सम्बन्धित रहते हैं। ये संन्यासी जहाँ एक ओर शास्त्र पारंगत होते हैं वहीं दूसरी ओर शस्त्र चलाने का भी इन्हें विधिवत अनुभव होता है।

वर्तमान में अखाड़ों को उनके इष्ट-देव के आधार पर निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

शैव अखाड़े: इस श्रेणी के इष्ट भगवान शिव हैं। ये शिव के विभिन्न स्वरूपों की आराधना अपनी-अपनी मान्यताओं के आधार पर करते हैं।

वैष्णव अखाड़े: इस श्रेणी के इष्ट भगवान विष्णु हैं। ये विष्णु के विभिन्न स्वरूपों की आराधना अपनी-अपनी मान्यताओं के आधार पर करते हैं।

उदासीन अखाड़ा: सिक्ख सम्प्रदाय के आदि गुरु श्री नानकदेव के पुत्र श्री चंद्रदेव जी को उदासीन मत का प्रवर्तक माना जाता है। इस पन्थ के अनुयाई मुख्यतः प्रणव अथवा ‘ॐ’ की उपासना करते हैं।

अखाड़ों की व्यवस्था एवं संचालन हेतु पाँच लोगों की एक समिति होती है जो ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश व शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। अखाड़ों में संख्या के हिसाब से सबसे बड़ा जूना अखाड़ा है इसके बाद निरञ्जनी और तत्पश्चात् महानिर्वाणी अखाड़ा है। उनके अध्यक्ष श्री महंत तथा अखाड़ों के प्रमुख आचार्य महामण्डेलेश्वर के रुप में माने जाते हैं। महामण्डलेश्वर ही अखाड़े में आने वाले साधुओं को गुरुमन्त्र भी देते हैं।

अखाड़ों की शाही पेशवाई का जुलुस

पेशवाई या शाही स्नान के समय में निकलने वाले जुलूस में आचार्य महामण्डलेश्वर और श्रीमहंत रथों पर आरूढ़ होते हैं, उनके सचिव हाथी पर, घुड़सवार नागा अपने घोड़ों पर तथा अन्य साधु पैदल आगे रहते हैं। शाही ठाट-बाट के साथ अपनी कला प्रदर्शन करते हुए साधु-सन्त अपने लाव-लश्कर के साथ अपने-अपने गन्तव्य को पहुँचते हैं।

अखाड़ों में आपसी सामंजस्य बनाने एवं आंतरिक विवादों को सुलझाने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन किया गया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ही आपस में परामर्श कर पेशवाई के जुलूस और शाही स्नान के लिए तिथियों और समय का निर्धारण मेला आयोजन समिति, आयुक्त, जिलाधिकारी, मेलाधिकारी के साथ मिलकर करता है।

आज इन अखाड़ों को बहुत ही श्रद्धा-भाव से देखा जाता है। सनातन धर्म की पताका हाथ में लिए यह अखाड़े धर्म का आलोक चहुँओर फैला रहे हैं। इनके प्रति आम जन-मानस में श्रद्धा का भाव शाही स्नान के अवसर पर देखा जा सकता है। जब वे जुलूस मार्ग के दोनों ओर इनके दर्शनार्थ एकत्र होते हैं तथा अत्यंत श्रद्धा से इनकी चरण-रज लेने का प्रयास करते हैं।

दण्डी बाड़ा

हाथ में दण्ड, जिसे ब्रम्ह दण्ड कहते हैं, धारण करने वाले संन्यासी को दण्डी संन्यासी कहा जाता है। दण्डी संन्यासियों का संगठन दण्डी बाड़ा के नाम से जाना जाता है। “दण्ड संन्यास” सम्प्रदाय नहीं अपितु आश्रम परम्परा है। दण्ड संन्यास परम्परा के अन्तर्गत दण्ड संन्यास लेने का अधिकार सिर्फ ब्राह्मण को है। प्रथम दण्डी संन्यासी के रुप में भगवान नारायण ने ही दण्ड धारण किया है।

“नारायणं पद्य भवं वशिष्ठं, शक्तिं च तत्पुत्र पाराशरं च
व्यासं शुकं गौड़ पदं महन्तं गोविन्द योगिन्द्रमथास्य शिष्यं
श्री शंकराचार्यमथास्य पद्य पादं ए हस्तामलकं च शिष्यं
तं त्रोटकं वार्तिककार मनमानस्य गुरु सततं मानतोऽस्मि।।”

तत्पश्चात, आदि गुरु शंकराचार्य ने चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की और इन चारों मठों में धर्माचार्यों की नियुक्ति की। तदुपरान्त, धर्म की रक्षा के लिए भगवान आदि शंकराचार्य ने दशनाम संन्यास की स्थापना की, जिनमें तीन (आश्रम, तीर्थ, सरस्वती) दण्डी संन्यासी हुए और सात अखाड़ों के रुप में स्थापित हुए। उपर्युक्त तीन नामों में सर्वप्रथम आश्रम आता है। इनका प्रधान मठ शारदा मठ है, इनके देवता सिद्धेश्वर और देवी भद्रकाली होती हैं तथा इनके आचार्य विश्वरुपाचार्य हैं। इनके ब्रम्हचारी की उपाधि ‘स्वरुप’ है। इन्हीं में दूसरा नाम तीर्थ आता है जो आश्रम के ही समस्त आचरण को अपनाते हैं। तीसरा नाम सरस्वती है, जो शृंगेरी मठ के अनुयायी होते हैं।

आचार्य बाड़ा

आचार्य बाड़ा सम्प्रदाय ही रामानुज सम्प्रदाय नाम से भी जाना जाता है। इस सम्प्रदाय के पहले आचार्य शठकोप हुए जो सूप बेचा करते थे। “शूर्पं विक्रीय विचार शठकोप योगी”। उनके शिष्य मुनिवाहन हुए। तीसरे आचार्य यामनाचार्य हुए। चौथे आचार्य रामानुज हुए। उन्होंने कई ग्रन्थ बनाकर अपने सम्प्रदाय का प्रचार किया। तभी से इस सम्प्रदाय का नाम श्री रामानुज सम्प्रदाय हो गया। इस सम्प्रदाय के अनुयायी नारायण की आराधना करते है और लक्ष्मी को अपनी देवी मानते हैं। कावेरी नदी पर अपना तीर्थ और त्रिदंड धारण करते हैं।

आचार्य बाड़ा संप्रदाय में ब्रह्मचारी दीक्षा आठ वर्ष से अधिक आयु के बालकों को दी जाती। इसके बाद उन्हें वेद अध्ययन कराया जाता है। सामवेद को ये अपना वेद मानते हैं । आराधना के कई चरणों की परीक्षा के बाद ही उन्हें संन्यास दिया जाता है। उन्हें इस बात की स्वतंत्रता है कि पढ़ाई पूरी होने पर वे चाहे तो गृहस्थ हो सकते हैं परन्तु संन्यासी होने के बाद परिवार से नाता छूट जाता है।

संन्यासियों को पंच संस्कार की दीक्षा दी जाती है-
1. जिनमें शंख चक्र गरम करके हाथ के मूल में स्पर्श कराया जाता है।
2. माथे पर चंदन का त्रिपुंड टीका धारण कराया जाता है।
3. सन्तों का भगवान के नाम पर नामकरण किया जाता है।
4. तत्पश्चात उन्हें गुरु मंत्र दिया जाता है।
5. यज्ञ संस्कार के बाद उन्हें संप्रदाय की परंपरा से जोड़ा जाता है।

आचार्य बाड़ा संप्रदाय शरणागति के छः सिद्धान्तों पर आधारित है जो निम्नलिखित है –

  • अनुकूलता का संकल्प
  • प्रतिकूलता का वर्जन
  • भगवान रक्षा करेंगे का दृढ़ विश्वास
  • सब कुछ भगवान
  • आत्मान्छिेद
  • कार्यपन्णता

निष्कर्षतः, यह कहा जा सकता है आचार्य बाड़ा विशिष्ट द्वैत वाद का उत्कृष्ट उदाहरण है तथा यह सम्प्रदाय अपने और ईश्वर को अलग मान अपने इष्ट की आराधना करता है।

प्रयागवाल

इतिहास में प्रसिद्ध तीर्थराज प्रयागराज की प्राचीनता के साथ-साथ प्रयागवालों का भी निकट का सम्बन्ध है। प्रयागराज के अति प्राचीन निवासी होने के कारण इनका नाम प्रयागवाल पड़ा। कुम्भ मेला व माघ मेला में आने वाले तीर्थयात्री प्रयागवाल द्वारा बसाए जाते रहे हैं और वे ही इनका धार्मिक कार्य करते हैं, जिसका विस्तृत वर्णन ‘मत्स्य पुराण’ तथा ‘प्रयाग महात्म्य’ में है। प्रयागराज में आने वाले प्रत्येक तीर्थयात्री का एक विशेष तीर्थ पुरोहित होता है। तीर्थयात्री और पुरोहित का सम्बन्ध गुरु-शिष्य परम्परा का द्योतक है। तीर्थयात्री के धार्मिक गुरु रूप माने जाने वाले इन प्रयागवालों को ही त्रिवेणी क्षेत्र में दान लेने का एक मात्र अधिकार है।

कुम्भ में शाही स्नान करते विभिन्न अखाड़ों के साधु-सन्यासी

जिला गजेटियर में मि० नेमिल ने लिखा है- जो यात्री प्रयाग में आता है, उसका समस्त प्रकार का धार्मिक कर्मकाण्ड प्रयागवाल ही कराता है। सर्वप्रथम बेनीमाधव भेंट, उसके बाद संकल्प कराया जाता है। इसके बाद तीर्थयात्रियों का मुण्डन होता है। मुण्डन के पश्चात स्नान और फिर पिण्ड दान, शय्यादान, गोदान व भूमिदान कराया जाता है। समस्त प्रकार के दान-उपदान प्रयागवाल द्वारा ही कराये जाते हैं। यात्रियों के परिवार की वंशावली उनसे सम्बन्धित तीर्थ पुरोहित की बही में मिलता है। प्रयागवालों के यजमान क्षेत्र व स्नान दान के आधार पर चलते हैं और यह अपने यजमानों की वंशावली सुरक्षित रखते हैं। तीर्थ पुरोहित अपने क्षेत्र के यजमानों की वंशावली तत्काल खोज लेते हैं। यजमान उनकी मोटी बहियों में अपने पूर्वजों के नाम, हस्ताक्षर आदि देखकर प्रसन्न होते हैं। प्रयागवाल शासन से मामूली शुल्क पर भूमि प्राप्त करता है, उस पर टेन्ट या कुटिया की व्यवस्था करता है। इसमें अपने तीर्थयात्रियों को ठहराता है और इससे दान स्वरूप जो लेता है, उसी से अपनी जीविका का निर्वाह करता है।

प्रयागवालों का संगठन प्रयागवाल सभा के नाम से जाना जाता है। यजमानों को टिकाने के लिए भूमि तथा संगम के निकट प्रयागवाल हेतु भूमि का आवंटन प्रयागवाल सभा के माध्यम से होता है। प्रयागवाल तख़्तों की संख्या निश्चित है। प्रयागवाल अपने तख़्त पर बहियों का बड़ा सा बक्सा रखते हैं तथा इन्हीं तख़्तों पर आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा धार्मिक अनुष्ठान एवं कर्मकाण्ड कराए जाते हैं। प्रयागवाल पहचान के लिए एक ऊँचे बाँस पर अपना निशान या झंडा लगाते हैं। तीर्थयात्री इसी झंडे को देखकर अपने प्रयागवाल के पास पहुँचते हैं।

साभार: kumbh.gov.in

गणतंत्र दिवस पर उपस्थित रहने के लिए जम्मू-कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों को राज्यपाल की कड़ी चेतावनी

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों को गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेने का आदेश दिया है। राज्यपाल कार्यालय से जारी सर्कुलर में गणतंत्र दिवस समारोह में सभी कर्मचारियों को हर हाल में मौजूद रहने का स्पष्ट आदेश दिया गया है।

यही नहीं राज्यपाल कार्यालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह में कर्मचारियों की अनुपस्थिति को सरकारी आदेश का उल्लंघन माना जाएगा। राज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी की गई नोटिस में इस बात का भी जिक़्र किया गया है कि गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में अनुपस्थित होने वाले कर्मचारी के बारे में समझा जाएगा कि उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया है।

जम्मू-कश्मीर राज्यपाल कार्यालय के डिप्टी सेक्रेटरी चंद्र प्रकाश ने राज्यपाल के आदेश के बाद सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए यह निर्देश जारी किया।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ़ से हर सरकारी दफ़्तर के सीनियर अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वो गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान अपने दफ़्तर में काम करे रहे अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करें।

गणतंत्र दिवस के मौके प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक जम्मू में ही झंडोत्तोलन करेंगे। इसके अलावा सरकारी स्तर पर राज्य के कश्मीर घाटी में स्थित शेर-ए कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में भी भव्य गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा।

इन दोनों ही समारोह स्थल पर पहुँचने वाले सरकारी कर्मचारियों को लाने व ले जाने की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन व टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को दी गई है।  

शेष विश्व की तुलना में एशिया के कर्मचारियों के वेतन में होगी सर्वाधिक वृद्धि: 10% बढ़ेगी सैलरी

देश में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए एक अच्छी ख़बर है। दरअसल मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म ‘कॉर्न फेरी’ के रिपोर्ट की मानें तो देश में साल 2019 में कर्मचारियों का वेतन 10% तक बढ़ सकता है। कॉर्न फेरी की मानें तो 2018 में 9% की तुलना में इस साल भारत में पेरोल में 10% की वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति-समायोजित वास्तविक-वेतन वृद्धि 4.7% से 5% तक बढ़ने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार एशिया में वेतन वृद्धि के पूर्वानुमान में भारत शीर्ष पर है।

‘कॉर्न फेरी’ के रिपोर्ट की मानें तो पिछले साल 5.4% से एशिया में वेतन 5.6% तक बढ़ सकता है। कॉर्न फेरी इंडिया के चेयरमैन और रीजनल मैनेजिंग डायरेक्टर नवनीत सिंह ने कहा: “तेज आर्थिक वृद्धि के चलते एशिया में कुल वेतन और वास्तविक वेतन वृद्धि के मामले में भारत शीर्ष पर बना रहेगा”।

एशिया में 5.6 फीसदी की हो सकती है वृद्धि

रिपोर्ट की मानें तो एशिया में इस वर्ष वेतन में 5.6 फीसदी की दर से वृद्धि, और मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद यह दर 2.6 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं अन्य एशियाई देशों में 2019 में वास्तविक वेतन वृद्धि चीन में 3.2 फीसदी, जापान में 0.10 फीसदी, वियतनाम में 4.80 फीसदी, सिंगापुर में 3 फीसदी और इंडोनेशिया में 3.70 फीसदी रह सकती है।

सीएम के निर्देश पर बिहार में मछलियों पर लगे बैन पर मिली राहत

मुख्यमंत्री नितीश कुमार के निर्देश पर बिहार की राजधानी पटना में मछलियों पर लगा बैन आंशिक रूप से हटा दिया गया है। मछिलयों पर लगे बैन के दौरान मछली विक्रेताओं के भारी विरोध प्रदर्शन के कारण नीतीश सरकार के मंत्री मदन साहनी ने सीएम से मुलाकात कर इस बैन को हटाने का आग्रह किया था।

रिपोर्ट के अनुसार, ज़िन्दा मछलियों पर लगा बैन हटा दिया गया हैं क्योंकि ज़िन्दा मछलियों में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं पायी गई है। लेकिन, मृत मछलियों की सभी किस्मों की बिक्री, परिवहन और भंडारण पर 15 दिन का लंबा प्रतिबंध जारी रहेगा।

मालूम हो कि बिहार में आंध्र प्रदेश, बंगाल सहित अन्य राज्यों से आने वाली मछलियों पर सरकार ने 14 जनवरी को बैन लगा दिया था क्योंकि इन मछलियों में जानलेवा रसायन पाया गया था। सरकार ने 14 जनवरी को आदेश ज़ारी कर बिहार के अंदर किसी भी तरह की मछली की खरीद बिक्री और उसके खाने पर रोक लगा दी थी। आदेश का पालन नहीं करने वालों पर 10 लाख रुपए जुर्माना और 7 साल तक की सज़ा का प्रावधान किया था। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 59 के तहत, जो असुरक्षित भोजन के लिए दंड से संबंधित है।

बता दें कि बिहार सरकार के इस निर्णय के ख़िलाफ़ मछली व्यापारियों ने कड़ा विरोध दर्ज़ कराया था। उन्होंने कहा कि उन्हें ये बातें अख़बारों से माध्यम से पता चलीं। राज्य सरकार के इस निर्णय के ख़िलाफ़ विरोध दर्ज़ कराने के लिए क़रीब 500 मछली व्यापारियों ने पटना की मछली मंडी में शनिवार (जनवरी 12, 2019) को एक बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में व्यापारियों ने बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस फार्मलिन की बात सरकारी महक़मों द्वारा की जा रही है, वो सरासर झूठी और बेबुनियाद है।

सरकार का बड़ा फ़ैसला: शहीद हुए जवानों की विधवाओं और सेवानिवृत्त सैनिकों को मिलेगी कानूनी सहायता

भारत सरकार ने शहीद जवानों की विधवाओं और सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए बड़ा फ़ैसला लिया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने शहीद जवानों की विधवाओं व सेना के सेवानिवृत्त जवानों के लिए किसी भी तरह की कानूनी सहायता के प्रावधान को मंजूरी प्रदान की है। उन्होंने यह निर्णय
बुधवार 16 जनवरी को लिया।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने मीडिया को इसकी जानकारी दी है। सरकार का यह फ़ैसला बलिदानी सैनिकों की लाखों विधवाओं के लिए लाभकारी साबित होगा। ऐसा देखा गया है कि जवानों के शहीद होने के बाद किसी भी तरह की कानूनी सहायता के लिए विधवाओं को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

पति के शहीद होने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने पर किसी भी कानूनी समस्या को हल करने के लिए या महंगे वकील की व्यवस्था करने के लिए विधवा को दर-दर भटकना पड़ता है। ऐसे में सरकार का यह फ़ैसला सेवानिवृत्त जवानों और शहीदों की विधवाओं के लिए बेहद राहत भरा साबित हो सकता है।

इस प्रस्ताव पर फ़ैसला लेने के लिए रक्षा मंत्री ने मंत्रालय के उच्च स्तरीय अधिकारियों के साथ मीटिंग की। इस मीटिंग में रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों के अलावा आर्मड फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस विरेंद्र सिंह भी मौजूद थे।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के ने बताया कि मंत्रालय के इस फैसले को लागू करने में केंद्रीय सैनिक बोर्ड व ज़िला सैनिक बोर्ड के अधिकारी मदद करेंगे।

लोकसभा चुनाव की तारीख़ों से जुड़ी अफ़वाह फ़ैलाने वालों पर चुनाव आयोग सख्त

आगामी लोकसभा चुनावों की तारीख़ों से संबंधित झूठी खबर फ़ैलाने वालों पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी को ऐसी ख़बरें फ़ैलाने वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराने को कहा है।

सोशल मीडिया पर 15 जनवरी से लोकसभा चुनाव को लेकर एक झूठी ख़बर फ़ैलाई जा रही है। इस ख़बर में दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया 7 अप्रैल से शुरू होगी और 17 मई को समाप्त होगी।

सोशल मीडिया में फ़ेसबुक व वाट्सअप जैसे माध्यम के ज़रिए फैलाई जा रही इस झूठी ख़बर पर चुनाव आयोग ने सख़्त रुख़ अपनाया है। चुनाव आयोग की नोटिस के बाद दिल्ली चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर इस मामले में स्पेशल सेल व तकनीकी सेल की मदद लेने का आग्रह किया है।

आमतौर पर यह देखा गया है कि लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया आरंभ होने से एक या दो महीने पहले चुनाव आयोग तारीख़ों की घोषणा करता है। लेकिन सोशल मीडिया पर ट्रैफ़िक लाने व ट्रेंड बढ़ाने करने के चक्कर में शरारती तत्वों द्वारा लोकसभा चुनाव से जुड़ी झुठी ख़बर को सोशल मीडिया पर फ़ैलाया जा रहा है।  

पहले भी प्रधानमंत्री से जुड़ी अफ़वाह को फ़ैलाया गया है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 जनवरी को खुर्दा-बलांगिर रेलवे लाइन को हरी झंडी दिखाने के लिए ओडिशा के बलांगिर पहुँचे थे। प्रधानमंत्री का यह दौरा हेलिपेड निर्माण के लिए हजारों पेड़ काटे जाने की झूठी ख़बर के बाद विवाद में आ गया था।

दरअसल 14 जनवरी को पीटीआई ने एक ख़बर अपडेट की थी, जिसके बाद इस ख़बर को आधार बनाकर मुख्यधारा की मीडिया वेबसाइटों ने प्रधानमंत्री के हेलीपेड के लिए 1000-1200 पेड़ काटे जाने की ख़बर को प्रमुखता से प्रचारित किया था।

पीटीआई ने डिविजनल फ़ॉरेस्ट ऑफिसर (बलांगिर) समीर सतपथी के स्टेटमेंट को आधार बनाकर यह रिपोर्ट तैयार कर दी थी। अपने स्टेटमेंट में सतपथी ने कहा कि फ़ॉरेस्ट विभाग से अनुमति लिए बग़ैर हेलीपेड बनाने के लिए पेड़ों को काटा गया, इस मामले में जाँच का आदेश दे दिया गया है।

फ़ॉरेस्ट विभाग के एक अधिकारी के बयान के बाद पीटीआई जैसे संस्थान में काम करने वाले रिपोर्टर ने ग्राउंड पर जाकर सच जानने की कोशिश नहीं की। हालाँकि, PTI की ख़बर में ‘alleged’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है फिर भी देश के इतने बड़े मीडिया संस्थान के द्वारा ऐसी ख़बर को ‘कथित’ (alleged) कहकर आगे बढ़ा देना आलस्य ही कहा जाएगा।

इसका परिणाम यह हुआ कि प्रधानमंत्री से जुड़ी गलत ख़बर को लगभग सभी संस्थानों ने अपनी वेबसाइट पर अपडेट किया। इसके बाद 13 जनवरी 2019 को द हिन्दू ने अपने वेबसाइट पर एक ख़बर प्रकाशित की। इस ख़बर में इस बात का उल्लेख है कि ‘अर्बन प्लांटेशन प्रोग्राम’ के अंतर्गत 2.25 हेक्टेयर जमीन रेलवे विभाग ने 2016 में अपने अधीन ली थी।

हेलीपेड बनाने के लिए कुछ खाली ज़मीन की ज़रूरत थी जिसके के लिए 1.25 हेक्टेयर ज़मीन को साफ़ किया गया। बाद में ऑपइंडिया ने फ़ैक्ट चेक में पाया कि यह महज अप़वाह है। प्रधानमंत्री के दौरे से पहले हेलीपेड बनाने के लिए इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को नहीं काटा गया था।

प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना ने कीर्तिमान बनाया; एक करोड़ से अधिक युवा हुए लाभान्वित

रोजगार सृजन के लिए सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) ने 14 जनवरी, 2019 तक एक करोड़ से अधिक लोगों को लाभ पहुँचा कर कीर्तिमान स्थापित किया है।

पीएमआरपीवाई की घोषणा 7 अगस्त, 2016 को की गई थी और इसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के ज़रिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय लागू कर रहा है। योजना के तहत भारत सरकार नियोक्ता के योगदान का पूरा 12 प्रतिशत का भुगतान कर रही है। इसमें कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी पेंशन योजना दोनों शामिल हैं।

सरकार का यह योगदान उन नए कर्मचारियों के संबंध में तीन वर्षों के लिए है, जिन्हें ईपीएफओ में 1 अप्रैल, 2016 या उसके बाद पंजीकृत किया गया है तथा जिनका मासिक वेतन 15 हजार रुपए तक है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 (जनवरी 15 , 2019 तक) के दौरान क्रमशः 33,031; 33,27,612 और 69,49,436 लाभार्थियों ने पीएमआरपीवाई के तहत ईपीएफओ में पंजीकरण कराया है। योजना के कार्यान्वयन के दौरान लाभान्वित होने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 1.24 लाख है। यह पूरी प्रणाली ऑनलाइन और आधार के ज़रिए चलाई जा रही है।

प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्‍साहन योजना क्या है?

प्रधानमंत्री रोजगार योजना एक तरह से देश के करोड़ों युवाओं के लिए शुरू की गई ऋण योजना है। इस योजना का उद्देश्य विनिर्माण, व्यापार या सेवा क्षेत्र में बिजनेस शुरू करने के इच्छुक भारत के शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवाओं को सब्सिडी युक्त वित्तीय सहायता देना है।

इस योजना का लाभ पाने के लिए आवेदक की आयु 18 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए। महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति, पूर्व सैनिकों और शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट प्रदान की जाएगी। वहीं उत्तर-पूर्वी राज्यों के निवासियों के लिए आयु सीमा 18 से 40 वर्ष है।

पीएमआरपीवाई के तहत अलग-अलग सेक्‍टर में मिलने वाली अधिकतम राशि कुछ इस प्रकार है: बिजनेस सेक्‍टर में ₹2 लाख, सर्विस सेक्‍टर में ₹5 लाख और इंडस्‍ट्री सेक्‍टर ₹5 लाख। वहीं पाटर्नशिप के लिए अगर दो या दो से अधिक लोग शामिल हैं तो ₹10 लाख का लोन मिल सकता है।

साभार: पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार

बिहार के सेनारी कांड में 35 गरीब सवर्णों को मारे जाने के लिए RJD ही जिम्मेदार है तेजस्वी जी!

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिए जाने वाले आरक्षण के मामले में कहा, “हम गरीब सवर्णों के विरोधी नहीं हैं।”

दरअसल तेजस्वी ने ट्विटर चौपाल के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसी कार्यक्रम में सवर्णों से जुड़े एक सवाल के बाद राजद नेता ने यह जवाब दिया। लेकिन यह सोचने वाली बात है कि क्या सच में तेजस्वी और उनकी पार्टी गरीब सवर्णों की हितैषी है! इस सवाल के जवाब के लिए आपको आज से 20 साल पहले साल मार्च 1999 की दौर में जाना होगा।

18 मार्च 1999 को जहानाबाद के सेनारी गाँव में सवर्ण समुदाय के 34 लोगों को बेरहमी से मार दिया गया था, जबकि 6 लोग गंभीर रूप से जख्मी अवस्था में पाए गए थे। इस घटना के बाद पटना हाई कोर्ट में रजिस्ट्रार की नौकरी करने वाले पद्मनारायण सिंह जब घर लौटे और अपने परिवार के 8 लोगों की लाशों को देखा, तो मौके पर पद्मनारायण सिंह को दिल का दौरा पड़ा, और वो तुरंत मर गए।

इस घटना के बाद राज्य भर के सवर्णों के बीच भय का माहौल पैदा हो गया था। इस समय तेजस्वी की पार्टी राजद पार्टी की ही बिहार में सरकार थी। लालू और राबड़ी के राज में खुलेआम जाति आधारित हिंसा हो रही थी। सेनारी कांड की तरह ही राज्य में लालू के शासन में दर्जनों जाति आधारित हिंसा की घटनाएँ हुई।

राजद की सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। इसी दौर में जातीय हिंसा का जवाब देने के लिए सवर्णों की तरफ़ से रणवीर सेना नाम का एक संगठन बना। इसके बाद लालू जी पटना में बैठकर झुनझुना बजाते रहे और राज्य में, क्या दलित और क्या सवर्ण, हर तरह के लोग हिंसा में मारे जाते रहे।

रघुवंश ने आरक्षण पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया

जानकारी के लिए बता दें कि अभी कल ही राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कोटा बिल पर पार्टी के फ़ैसले के खिलाफ़ बयान दिया है। रघुवंश प्रसाद ने कहा: “लालू यादव ने मुझसे कहा था कि वो गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के ख़िलाफ़ नहीं हैं। हमारी पार्टी ने तो हमेशा गरीबों के लिए काम किया है। हम तो यह चाहते थे कि ओबीसी, दलित व अति पिछड़ा वर्ग को आबादी के हिसाब से उनका आरक्षण बढ़ाया जाए। संसद में कोटा बिल का समर्थन न करना हमारी भूल थी। हमसे चूक तो हुई है।”

रघुवंश प्रसाद के इस बयान में हिंदी की कहावत – ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’ – की टीस मालूम होती है। लेकिन, रघुवंश सिंह ने भरोसा नहीं छोड़ा है। उन्होंने कोटा बिल पर पार्टी के स्टैंड के खिलाफ़ बयान देकर राजपूत जाति के लोगों को अपनी तरफ झुका कर रखने का प्रयास किया है।

संसद में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए लाए गए बिल के विरोध का झुनझुना बजाकर राजद प्रवक्ता मनोज झा ने विरोध किया। अपने भाषण में मनोज झा ने संविधान संशोधन बिल के महत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया था।

निवेश आकर्षित करने के लिए नौवीं ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ का उद्घाटन आज

‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ के नौवें संस्‍करण का शुभारंभ आज गांधीनगर स्थित महात्‍मा मंदिर प्रदर्शनी सह सम्‍मेलन केन्‍द्र में होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी इस शिखर सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे। इस शिखर सम्‍मेलन का लक्ष्‍य गुजरात में निवेश आकर्षित करने की गति को और तेज करना है।

‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ का आयोजन 18-20 जनवरी, 2019 के दौरान किया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस शिखर सम्‍मेलन के शुभारंभ से पहले आयोजित प्रमुख कार्यक्रम ‘ग्लोबल ट्रेड शो’ का उद्घाटन कल (जनवरी 17, 2019) गांधीनगर स्थित प्रदर्शनी केन्‍द्र में किया। साथ ही, अहमदनगर में 750 करोड़ रुपए की लागत से बने सरदार वल्लभ भाई पटेल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर का भी उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री ने विभिन्‍न पवेलियनों का अवलोकन किया और इसरो, डीआरडीओ, खादी इत्‍यादि के स्‍टॉल में विशेष रुचि दिखाई और इसके साथ ही इस अवसर पर एक उपयुक्त टैगलाइन ‘चरखे से चंद्रयान तक’ के साथ मेक इन इंडिया संबंधी उनके अभिनव दृष्टिकोण को प्रस्‍तुत किया गया। प्रधानमंत्री के साथ गुजरात के मुख्‍यमंत्री श्री विजय रूपाणी और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति भी उपस्थित थे। ‘ग्‍लोबल ट्रेड शो’ का आयोजन 2,00,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में किया गया है। इस दौरान 25 से भी अधिक औद्योगिक और व्‍यवसायिक सेक्‍टर एक ही स्‍थान पर अपने-अपने अनूठे विचारों या आइडिया, उत्‍पादों और डिजाइनों को दर्शा रहे हैं।



अहमदाबाद शॉपिंग फेस्‍टि‍वल 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के साथ गुजरात के मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी (तस्वीर: PIB)

शिखर सम्‍मेलन के साथ-साथ अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। एक प्रमुख आकर्षण ‘अहमदाबाद शॉपिंग फेस्‍टि‍वल 2019’ भी है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने कल शाम किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘वाइब्रेंट गुजरात अहमदाबाद शॉपिंग फेस्टिवल’ के शुभंकर का भी अनावरण किया। ‘अहमदाबाद शॉपिंग फेस्‍टि‍वल 2019’ भारत में अपनी तरह का पहला आयोजन है और यह शहर के उद्यमों को अपने-अपने उत्‍पादों को दर्शाने का बेहतरीन अवसर सुलभ करा रहा है।

वाइब्रेंट गुजरात समिट के हिस्‍से के रूप में कई प्रमुख कार्यक्रमों के आयोजन के अलावा इस शिखर सम्‍मेलन का नौवाँ संस्‍करण अनेक पूर्णरूपेण नए मंचों (फोरम) के शुभारंभ का भी साक्षी बनेगा जिनका उद्देश्‍य इस शिखर सम्‍मेलन के दौरान ज्ञान साझा करने के स्‍वरूप में विविधता लाना और प्रतिभागियों के बीच नेटवर्किंग के स्‍तर को बढ़ाना है।

क्या है ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’

‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ की परिकल्‍पना वर्ष 2003 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा की गई थी जो उस समय गुजरात के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री थे। इस शिखर सम्‍मेलन के आयोजन का मुख्‍य उद्देश्‍य गुजरात को फिर से एक पसंदीदा निवेश गंतव्‍य या राज्‍य के रूप में स्‍थापित करना था। यह शिखर सम्‍मेलन वैश्विक सामाजिक-आर्थिक विकास, ज्ञान साझा करने और प्रभावकारी साझेदारियाँ करने से जुड़े एजेंडे पर विचार मंथन करने के लिए एक उपयुक्‍त प्‍लेटफॉर्म सुलभ कराएगा।

वाइब्रेंट गुजरात समिट 2019 की प्रमुख बातें निम्‍नलिखित हैं:

  1. भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) से जुड़ी शिक्षा एवं शोध में उपलब्‍ध अवसरों पर गोलमेज बैठक आयोजित की जाएगी। ‘भारत में स्‍टेम शिक्षा एवं शोध में उपलब्‍ध अवसरों के लिए रोडमैप’ तैयार करने के उद्देश्‍य से इस गोलमेज बैठक में प्रख्‍यात शिक्षाविद एवं महत्‍वपूर्ण नीति-निर्माता शिरकत करेंगे।
  2. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (स्‍टेम) पर अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन आयोजित किया जाएगा।
  3. अत्‍याधुनिक अथवा भविष्‍यवादी प्रौद्योगिकियों और अंतरिक्ष अन्वेषण पर प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी जो अंतरिक्ष यात्रा के भविष्य के बारे में उपयुक्‍त विजन प्रस्‍तुत करेगी।
  4. भारत को एशिया के वाहनांतरण (ट्रांस-शिपमेंट) हब के रूप में स्थापित करने के लिए बंदरगाह आधारित विकास और रणनीतियों पर संगोष्‍ठी आयोजित की जाएगी।
  5. ‘मेक इन इंडिया’ से जुड़े कार्यक्रम और सरकार के महत्‍वपूर्ण उपायों या कदमों से मिली सफलता की गाथाओं को प्रदर्शित करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पर संगोष्‍ठी आयोजित की जाएगी।
  6. रक्षा और एयरोस्‍पेस में उद्योग के लिए उपलब्‍ध अवसरों पर संगोष्‍ठी आयोजित की जाएगी, ताकि गुजरात में रक्षा और वैमानिकी में उपलब्‍ध अवसरों के प्रति प्रतिभागियों को संवेदनशील बनाया जा सके और इसके साथ ही रक्षा एवं वैमानिकी के क्षेत्र में एक विनिर्माण केन्‍द्र (हब) के रूप में भारत और गुजरात के  उभरने से जुड़ी आगे की राह पर विचार-विमर्श किया जा सके।

वर्ष 2003 में अपनी शुरुआत से ही लेकर वाइब्रेंट गुजरात समिट ने एक उत्‍प्रेरक की भूमिका निभाई है जिसकी बदौलत कई अन्‍य राज्‍य भी अपने यहाँ व्‍यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से इस तरह के शिखर सम्‍मेलनों के आयोजन के लिए प्रेरित हुए।  

साभार: पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार