Tuesday, November 19, 2024
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पुलिस प्रमुख का राष्ट्रपति पर आरोप, बंद करवाई थी इस्लामिक आतंकियों की जाँच: श्री लंका धमाके में खुलासा

पिछले महीने श्री लंका में हुए आतंकी हमलों के मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बरतने और भारत से मिली गुप्त जानकारी को हल्के में लेने के आरोप में निलंबित चल रहे पुलिस इंस्पेक्टर-जनरल पूजित जयासुंदरा ने देश के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना पर आरोप लगाया कि हमले के पहले पुलिस द्वारा की जा रही इस्लामी कटटरपंथियों की जाँच सिरिसेना ने रुकवा दी थी। जयासुंदरा के मुताबिक इसके लिए सिरिसेना ने खुद को डायरेक्ट रिपोर्ट करने वाली स्टेट इंटेलिजेंस सर्विस (एसआईएस) का इस्तेमाल किया था।

गुप्तचर व सुरक्षा विभागों में संवाद की कमी

अपनी 20 पन्नों की शिकायत में जयासुंदरा राष्ट्रपति सिरिसेना के अंतर्गत आने वाले और सीधे उन्हें रिपोर्ट करने वाले सुरक्षा विभाग और गुप्तचर एजेंसियों के बीच गंभीर रूप से संवाद की कमी को रेखांकित किया है। उन्होंने यह कहा कि देश की चोटी की गुप्तचर एजेंसी एसआईएस ने पुलिस को आदेश दिया था कि इस्लामिक उग्रवादियों के खिलाफ पुलिस की चल रही जाँच चलने दी जाए। यह जाँच पुलिस का टेररिस्ट इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (आतंकी जाँच विभाग) कर रहा था, और इसमें शामिल संस्थाओं में से एक नेशनल तौहीद जमात भी थी, जिस पर इस समय धमाकों का शक है।

जयासुंदरा के आरोप ऐसे समय आए हैं जब राष्ट्रपति सिरिसेना पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीरता से न लेने के आरोपों से दो-चार हैं। एक दूसरे गुप्तचर अधिकारी सिसिरा मेंडिस ने संसदीय पैनल को बताया कि इन धमाकों को रोका जा सकता था। मेंडिस के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठकें नियमित अंतराल पर नहीं होतीं थीं जिससे ऐसे हमलों की धमकी जैसे खतरों की समीक्षा नहीं हो पाई।

जयासुंदरा ने एसआईएस पर पुलिस को भारत से मिली श्री लंका में (तब) संभावित इस्लामी आतंकी हमले की ‘टिप’ साझा नहीं साझा करने का भी आरोप लगाया है। इससे पहले इकोनॉमिक टाइम्स में पद से हटाए गए श्री लंका पुलिस के प्रमुख (यानी जयासुंदरा) के ही हवाले से दावा किया गया था कि उन्हें मिली टिप पर भारत-पाकिस्तान के तल्ख रिश्तों को देखते हुए भरोसा नहीं हुआ था

जिम्मेदारी न लेने के कारण हटाए गए थे जयासुंदरा

सिरिसेना ने ईस्टर धमाकों के बाद जयासुंदरा को इसलिए निलंबित कर दिया था क्योंकि जयासुंदरा ने हमले के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराए जाने देने से मना कर दिया था। उनके मुताबिक उन्हें यह भी पेशकश मिली थी कि यदि वे जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दें तो उन्हें कोई कूटनीतिक पद दे दिया जाएगा। उनका यह भी कहना है कि पिछले वर्ष अक्टूबर में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना के बीच मतभेद बढ़ने के बाद से ही उन्हें हाशिए पर डाल दिया गया था

गाँधी की प्रतिमाएँ तोड़ो, नोटों से उनकी फोटो हटाओ: IAS अधिकारी ने गोडसे को कहा ‘Thank You’

महाराष्ट्र की एक महिला आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी निधि चौधरी ने महात्मा गाँधी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है। उन्होंने गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को धन्यवाद भी कहा। बृहन्मुम्बई महानगरपालिका में डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर (स्पेशल) के पद पर तैनात निधि चौधरी ने एक ट्वीट के माध्यम से गाँधी के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग किया। महिला आइएएस अधिकारी ने विवाद के बाद अपनी ट्वीट को डिलीट कर दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था:

“150वीं जयंती की कितनी असाधारण तैयारियाँ चल रही हैं। यह सही समय है जब हम भारतीय रुपये व नोटों पर से उनके चेहरे को हटा दें, दुनिया भर में उनकी प्रतिमाओं को हटा दिया जाए और उनके नाम पर स्थापित संस्थानों व सड़कों का नया नामकरण किया जाए। 30 जनवरी 1948 के लिए धन्यवाद गोडसे।”

ये ट्वीट 17 मई को किया गया था। इस ट्वीट के बाद एनसीपी व कॉन्ग्रेस ने उक्त महिला आइएएस अधिकारी पर कार्रवाई करने की माँग की है। इन दलों ने महात्मा गाँधी के लिए निधि द्वारा प्रयोग किए गए शब्दों को अपमानजनक और शॉकिंग बताते हुए तत्काल निलंबन की माँग की। विवाद के बाद निधि ने कहा कि जो उनकी टाइमलाइन को 2011 से फॉलो कर रहे हैं, उन्हें पता है कि वो गाँधीजी की कितनी इज्ज़त करती हैं और उनके लिए कभी अपमानजनक शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकतीं। निधि ने कहा कि उन्होंने यह ट्वीट इसीलिए डिलीट की क्योंकि कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगा।

IAS अधिकारी निधि चौधरी का गाँधी को लेकर की गई वह ट्वीट, जो उन्होंने डिलीट कर दी

बता दें कि 30 जनवरी 1948 ही वह तारीख है, जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी की हत्या की थी। इससे पहले भोपाल की भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ने भी चुनाव के दौरान नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे नाराज़गी जताते हुए कहा था कि बापू के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करने वाले को वह दिल से कभी भी माफ़ नहीं कर सकते। वहीं चौधरी ने सफाई में कहा कि महात्मा गाँधी की आत्मकथा उनकी सबसे पसंददीदा पुस्तक है। निधि ने कहा कि उनका वो ट्वीट Sarcasm था और कुछ लोगों को इसे समझने में दिक्कत हुई।

कॉलेज का प्राचार्य होकर माँ सरस्वती पर बनाया आपत्तिजनक वीडियो, गिरफ्तार

माँ सरस्वती पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में पिछले पाँच दिन से फरार चल रहा मध्य प्रदेश के दतिया में सेंवढ़ा कॉलेज का प्राचार्य डाॅ एसएस गौतम बृहस्पतिवार (मई 30, 2019) की रात पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने प्राचार्य को पकड़ने के लिए कई जगह दबिश दी, लेकिन जब कहीं पता नहीं चला तो पुलिस ने आरोपित की नरसिंहपुर में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बेटी और नायब तहसीलदार बेटे के घर तलाशी की, इसके बाद आरोपित पर दबाव पड़ा।

देवी सरस्वती पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर के वीडियो किया था वायरल

हाल ही में सेंवढ़ा कॉलेज के प्राचार्य का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें प्राचार्य एसएस गौतम हिन्दू देवी सरस्वती के बारे में अत्यंत आपत्तिजनक और अभद्र बातें कह रहा है। 26 मई को वीडियो वायरल होने के बाद लोगों का गुस्सा फूटा और प्राचार्य एसएस गौतम के खिलाफ नारेबाजी की। दतिया में ब्राह्मण समाज के अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआई ने एसपी को ज्ञापन सौंपकर मामला दर्ज करने और प्राचार्य को गिरफ्तार करने की माँग की।

विभिन्न दलों के छात्र नेताओं ने कहा कि अगर प्राचार्य के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन करेंगे। प्राचार्य के खिलाफ लोगों का आक्रोश देखते हुए पुलिस हरकत में आई और पुलिस ने प्राचार्य गौतम को शुक्रवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपित प्राचार्य बृहस्पतिवार की रात खुद ही सरेंडर करने भगुआपुरा थाने पहुँच गया था। जबकि, पुलिस का दावा है कि उसे रात को थाने के पास से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को सुबह पहले कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील किया। इसके बाद एडीजे लवकेश सिंह ने कोर्ट में प्राचार्य को पेश किया। आरोपित ने जमानत अर्जी दी लेकिन न्यायालय ने इसे खारिज करते हुए आरोपित प्राचार्य को 14 जून तक की न्यायिक हिरासत में ग्वालियर जेल भेज दिया। वहीं, आपत्तिजनक वीडियो बनाकर वायरल करने वाले इसी काॅलेज के प्रोफेसर मनोज व्यास के खिलाफ भी मामला दर्ज हो गया है।

सेंवढ़ा थाना प्रभारी शैलेंद्र सिंह के अनुसार प्रिंसिपल गौतम पर 153-ए और 295-ए के तहत मामला दर्ज किया गया है और कॉलेज के प्रोफेसर मनोज को भी इन्हीं धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है।

घटना के विरोध में जगह-जगह जलाए गए पुतले

पुलिस ने फरियादी कुलदीप यादव की रिपोर्ट पर प्राचार्य गौतम के खिलाफ मामला दर्ज तो कर लिया था, लेकिन लोगों की माँग के अनुसार 295-ए नहीं लगाई थी। जिसके चलते सुबह भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह बुंदेला के नेतृत्व में तमाम कार्यकर्ता एसपी डी.कल्याण चक्रवर्ती से मिले। शाम को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राजगढ़ चौराहे पर प्राचार्य गौतम का पुतला जलाकर चप्पलों से पीटा फिर पुलिस प्रशासन से प्राचार्य की गिरफ्तारी की माँग की। करीब आधा घंटे तक चौराहे पर प्रदर्शन हुआ। इस दौरान भाजपा नेता डॉ. राजू त्यागी, अतुल भूरे चौधरी, बल्लन गुप्ता, आकाश भार्गव सहित तमाम कार्यकर्ता मौजूद रहे। वहीं थरेट में बस स्टैंड पर ग्रामीणों ने प्राचार्य के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए पुतला बनाकर जूतों की माला पहनाई, फिर पुतला जलाया।

थरेट में आक्रोशित युवा पुतला दहन की तैयारी करते हुए

बुरहान वानी ‘साहब’… आतंकी को सम्मान देने के लिए J&K के पूर्व CM उमर अब्दुल्ला को पड़ रही लताड़

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मारे गए आतंकी बुरहान वानी को ‘साहब’ कह कर संबोधित किया है। आतंकी को इज्ज़त देने के लिए उमर अब्दुल्ला की ख़ासी आलोचना हो रही है। अब्दुल्ला ने एक ब्रिटिश मीडिया एजेंसी से बात करते हुए इस शब्द का इस्तेमाल किया। दरअसल, उनसे सवाल पूछा गया था कि हाल ही में आतंकी जाकिर मूसा को मारे जाने पर वो क्या कहना चाहेंगे, इसके बाद अब्दुल्ला ने याद दिलाया कि बुरहान वानी ‘साहब’ के मारे जाने के बाद कश्मीर में हालात बदतर हो गए थे।

इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने बुरहान वानी को कश्मीर के असंतुष्ट तबके का मसीहा बताया था। उन्होंने कहा था कि वानी इस समूह का आइकॉन बन चुका है। अब उन्होंने विदेशी मीडिया से बात करते हुए एक आतंकी का नाम सम्मान से लिया है। बता दें कि बुरहान की मौत के बाद जाकिर मूसा उसके आतंकी संगठन का प्रमुख सरगना बना था, भारतीय सेना ने उसे भी मार गिराया। मूसा ने कश्मीर में अल-कायदा से जुड़ा संगठन अंसार गजवत-उल-हिंद शुरू किया था।

सेना ने अब बुरहान वानी के आतंकी संगठन का पूरी तरह सफाया कर दिया है। उसका आखिरी सदस्य भी मारा गया है। 2017 में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहानी वानी की साथी आतंकियों के साथ एक फोटो वायरल हुई थी, जिसके बाद सेना ने एक-एक कर सबको निपटा दिया है।

’10 लोगों को गिरफ्तार किया था, अब क्या 10 लाख को गिरफ्तार करेंगी ममता’

पश्चिम बंगाल में ‘जय श्री राम’ कहने को लेकर पर भाजपा और तृणमूल कॉन्ग्रेस की रार बढ़ती ही जा रही है। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जय श्री राम बोलने पर आपत्ति जता चुकी हैं, लाठीचार्ज करवा चुकी हैं और साथ ही 10 लोगों को गिरफ्तार भी करवा चुकी हैं। अब लोकसभा चुनाव में भाजपा, ममता बनर्जी को ‘जय श्री राम’ लिखे हुए दस लाख पोस्टकार्ड भेज कर उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम करने वाली है।

पश्चिम बंगाल से बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद अर्जुन सिंह ने कहा है कि जय श्री राम लिखकर सभी पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री निवास पर भेजे जाएँगे। तृणमूल कॉन्ग्रेस में विधायक रहे और आम चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए अर्जुन सिंह ने टीएमसी नेताओं के बैठक स्थल के बाहर कथित रूप से जय श्रीराम के नारे लगाते बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए ये बात कही। बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि टीएमसी के नेता व्यर्थ की बातें कर रहे हैं। लोगों ने तृणमूल कॉन्ग्रेस को खारिज किया है और यह उनकी प्रतिक्रिया है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने जय श्री राम बोलने के लिए 10 लोगों को गिरफ्तार किया है और अब 10 लाख लोगों को गिरफ्तार करेगी। ऐसा लगता है कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।

जानकारी के मुताबिक, तृणमूल कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के कचरापाड़ा में उन कार्यालयों को फिर से वापस लेने की रणनीति बनाने के लिए बैठक कर रहे थे, जिन पर कथित रूप से भाजपा कार्यकर्ताओं ने कब्जा कर रखा है। गौरतलब है कि, हाल ही में सम्पन्न हुए चुनाव में भाजपा कुल 42 सीटों में से 18 सीटें जीतकर बंगाल में एक राजनीतिक ताकत के तौर पर उभरी है। इस जीत के बाद तृणमूल कॉन्ग्रेस के काफी नेता और पार्षद भाजपा में शामिल हुए हैं।

दिल्ली का ‘बदला’ पटना में: नीतीश के मंत्रिमंडल विस्तार में BJP के लिए कोई जगह नहीं

बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से किनारा कर लिया था। नीतीश कुमार का कहना था कि चूँकि उन्हें सिर्फ़ एक कैबिनेट सीट ऑफर की जा रही थी, जिसे लेने के लिए उनकी पार्टी में कोई इच्छुक नहीं था। हालाँकि, नीतीश ने पूरी मजबूती के साथ राजग में रहने व केंद्र सरकार को सहयोग करने की बात कही। अब उन्होंने दिल्ली की राजनीति का जवाब पटना में दिया है। आज रविवार (जून 2, 2019) को मुख्यमंत्री ने पटना में मंत्रिमंडल विस्तार किया, जिसमें भाजपा से किसी को भी शामिल नहीं किया गया। कुल 8 नए मंत्री बनाए गए, जिनमें लोजपा के पशुपति कुमार पारस के सांसद बन जाने के बाद खाली हुई जगह भी शामिल है, लेकिन भाजपा के अलावा लोजपा के भी किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया।

विश्लेषक मान कर चल रहे हैं कि दिल्ली में भाजपा द्वारा नीतीश को केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक सीट ऑफर करने का बदला नीतीश ने पटना में भाजपा को मंत्रिमंडल विस्तार से महरूम कर लिया है। नीतीश कुमार का मानना था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में सांसदों की संख्या के हिसाब से गठबंधन दलों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए लेकिन नीतीश कुमार के अनुसार भाजपा ने सिर्फ़ प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व का ऑफर दिया, जिसे उनकी पार्टी ने स्वीकार नहीं किया। इसके ठीक 2 दिन बाद हुए बिहार मंत्रिमंडल विस्तार में नीतीश ने भाजपा के एक भी नेता को मंत्री नहीं बनाया।

ताजा मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बिहार में कुल मंत्रियों की संख्या 33 हो गई है। नए मंत्रियों में अशोक चौधरी, नरेन्द्र नारायण यादव, श्याम रजक, संजय झा, रामसेवक सिंह, लक्ष्मेशेवर राय, नीरज कुमार और बीमा भारती शामिल हैं। इनमें से 5 ऐसे नेता हैं, जिन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया है। राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल लालजी टंडन ने इन मंत्रियों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। ताजा लोकसभा चुनाव में जदयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से पार्टी को 16 सीटों पर जीत मिली।। भाजपा अपने कोटे के सभी 16 सीट जीतने में सफल रही। वहीं लोजपा के खाते में 6 सीटें आईं।

नीतीश मंत्रिमंडल में 2 महादलित मंत्री शामिल किए गए हैं। महादलित समुदाय को साधने के लिए नीतीश पहले भी कोशिश करते रहे हैं। नीतीश ने कहा कि चूँकि भाजपा कोटे का कोई भी सीट खाली नहीं था इसलिए सिर्फ जदयू कोटे की सीटों को भरा गया है, भाजपा के साथ कोई विवाद नहीं है। उप मुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि नीतीश ने भाजपा कोटे से किसी को मंत्री बनाए जाने की पेशकश की, लेकिन पार्टी ने इसे भविष्य में करने का निर्णय लिया।

साक्षी महाराज ने ममता पर लगाया हिरण्यकश्यप के खानदान का होने का आरोप

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कॉन्ग्रेस का रामभक्तों पर कहर चुनाव के बाद भी जारी है। लेकिन, इसी बीच भाजपा नेता साक्षी महाराज ने एक टिप्पणी कर के इस विवाद को नई हवा दे दी है। पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों में हार का सामना करने वाली तृणमूल कॉन्ग्रेस के जख्मों पर नमक छिड़कते हुए बीजेपी ने जय श्री राम लिखकर दस लाख पोस्टकार्ड भेजने का फैसला किया है। वहीं, बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हिरण्य कश्यप की खानदान का बताया है।

‘हिरण्यकश्यप ने जय श्रीराम बोलने पर जेल में डाल दिया था’

भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने कहा, “बंगाल का नाम आते ही त्रेतायुग की याद आती है। जब राक्षस राज हिरण्यकश्यप ने ‘जय श्री राम’ बोलने पर अपने बेटे को जेल में डाल कर यातनाएँ दी थीं। बंगाल में ममता भी यही कर रही हैं। ‘जय श्री राम’ बोलने पर जेल में डाल रही हैं और यातनाएँ दे रही हैं। ममता कहीं हिरण्यकश्यप के खानदान की तो नहीं हैं?”

इसके आगे बीजेपी सांसद ने कहा, “ममता का शासन अलगाववाद से कम नहीं है, इससे बंगाली आहत हैं और इसका खामियाजा ममता को भुगतान ही पड़ेगा। विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सरकार बनेगी, उनकी तानाशाही चलने वाली नहीं है।”

ममता को भेजेंगे जय श्री राम लिखा कार्ड

इससे पहले पश्चिम बंगाल से बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री के आवास पर 10 लाख पोस्टकार्ड भेजने का निर्णय किया है, जिन पर जय श्री राम लिखा होगा। तृणमूल कॉन्ग्रेस के विधायक रह चुके अर्जुन सिंह आम चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने यह बात बीजेपी कार्यकर्ताओं के समूह पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने के बाद कही जो उस स्थान के बाहर प्रदर्शन के दौरान जय श्री राम के नारे लगा रहे थे, जहाँ तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता बैठक कर रहे थे।

1947 में ही दे दी गई थी हिस्सेदारी, मामला खत्म हो गया: ओवैसी के बयान पर BJP का पलटवार

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के ‘किरायेदार नहीं हिस्सेदार’ वाले बयान की भाजपा ने कड़ी निंदा की है। भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रवक्ता माधव भंडारी ने इस बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने ओवैसी पर निशाना साधते हुए कहा, “उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए। उनको किसी ने किरायेदार नहीं कहा, लेकिन हिस्सेदारी की भाषा बोलेंगे तो हिस्सेदारी 1947 में दे दी तो मामला ख़त्म हो गया।”

इससे पहले, शनिवार (1 जून) को असदुद्दीन ओवैसी के ‘किरायेदार नहीं हिस्सेदार’ वाले बयान पर  केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज करते हुए कहा था, “ये जो सेक्युलरिज्म के लिए सियासी सूरमा हैं, इन्होंने देश के अल्पसंख्यकों, विशेष तौर से मुस्लिमों को किरायेदार बना रखा था, हिस्सेदार नहीं बनाया था। मोदी जी ने देश के 130 करोड़ लोगों को विकास का हिस्सेदार बनाया।”

दरअसल, शुक्रवार (1 जून) को हैदराबाद में मक्का मस्जिद पर लोगों को संबोधित करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था,“अगर कोई ये समझ रहा है कि हिन्दुस्तान के वज़ीर-ए-आज़म 300 सीट जीत कर, हिन्दुस्तान पे मनमानी करेंगे, ये नहीं हो सकेगा। वज़ीर-ए-आज़म से हम कहना चाहते हैं, संविधान का हवाला देकर, असदुद्दीन ओवैसी आपसे लड़ेगा, मज़लूमों के इंसाफ़ के लिए लड़ेगा।”

इसके अलावा, ओवैसी ने कहा था कि हिन्दुस्तान को आबाद रखना है, हम हिन्दुस्तान को आबाद रखेंगे। हम यहाँ पर बराबर के शहरी हैं, किरायेदार नहीं हैं हिस्सेदार रहेंंगे।

ख़बर के अनुसार, ओवैसी ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भी कहा था, “भारत का क़ानून, संविधान हमें इजाज़त देता है कि हम अपने धर्म का पालन करें।” उन्होंने कहा, “जब भारत के प्रधानमंत्री मंदिर जा सकते हैं तो हम भी गर्व के साथ मस्जिद जा सकते हैं।” इससे पहले ओवैसी ने बाबा रामदेव के उस बयान की कड़ी निंदा की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि देश की आबादी नियंत्रित करने के लिए तीसरे बच्चे पैदा करने वालों से वोट का अधिकार छीन लेना चाहिए। इस बयान की आलोचना करते हुए ओवैसी ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी से वोट का अधिकार केवल इसलिए नहीं छीन लेना चाहिए क्योंकि वो अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं।

अपने ट्वीट में ओवैसी ने लिखा था, “लोगों को असंवैधानिक बातें कहने से रोकने के लिए कोई क़ानून नहीं है, लेकिन रामदेव के विचारों पर अनुचित ध्यान क्यों दिया जाता है? वह अपने पेट के साथ कुछ कर सकते हैं या अपने पैरों को घुमा सकते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि नरेंद्र मोदी अपना वोट देने का अधिकार सिर्फ़ इसलिए खो दें, क्योंकि वह तीसरी संतान हैं।”


शूरवीरों के सम्मान में, राजनाथ सिंह सियाचिन में: रक्षा मंत्री के रूप में पहला दौरा

भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह का केंद्रीय रक्षा मंत्री के रूप में पहला दौरा सियाचिन का होगा। ये रक्षा मंत्री के रूप में उनका पहला अधिकारिक दौरा होगा। इस दौरान उनके साथ थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत भी होंगे। राजनाथ सिंह ने पिछली मोदी सरकार में 5 वर्षों तक गृह मंत्री का ज़िम्मा संभाला था। नई सरकार में उन्हें रक्षा मंत्री का ज़िम्मा सौंपा गया है और गृह मंत्री के रूप में उनकी जगह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कार्यभार संभाला।राजनाथ सियाचिन ग्लेशियर के दौरे पर सोमवार (जून 2, 2019) को जाएँगे। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाहर रक्षा बेस पर भी यह उनकी पहली यात्रा है।

सियाचिन दौरे के दौरान राजनाथ वहाँ स्थित वार मेमोरियल पर जवानों को श्रद्धांजलि देंगे और वहाँ तैनात जवानों से मुलाकात करेंगे। रक्षा मंत्री सियाचिन की कठिन परिस्थितियाँ और वहाँ मौजूद रक्षा चुनौतियों का जायजा लेंगे और इस सम्बन्ध में जवानों से जानकारी भी लेंगे। इससे पहले तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने भी सियाचिन का दौरा किया था। उन्होंने वहाँ तैनात जवानों संग दशहरा का पर्व मनाया था। उनसे पहले जुलाई 2018 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने सियाचिन का दौरा किया था। पर्रीकर ने सियाचिन ग्लेशियर का हवाई सर्वे भी किया था।

हिमालयन रेंज में मौजूद सियाचिन दुनिया का सबसे ऊँचा युद्ध क्षेत्र है। रणनीतिक रूप से भारत के लिए यह काफ़ी महत्वपूर्ण है लेकिन उतना ही दुर्गम भी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1984 से लेकर अब तक पिछले 35 वर्षों में 900 के करीब जवान वहाँ वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं। अधिकतर जवान यहाँ मौसम की मार और हिमस्खलन के कारण वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं। यहाँ औसत 1000 सेंटीमीटर बर्फ गिरती है। यहाँ का न्‍यूनतम तापमान माइनस 50 डिग्री (-140 डिग्री फॉरेनहाइट) तक हो जाता है।

‘लव-स्टोरी’ पर ‘जय श्री राम’ बदनाम: मजलिस बचाओ तहरीक नेता द्वारा मुस्लिम लड़के की पिटाई की झूठी खबर

ओवैसी की पार्टी (AIMIM) के पूर्व नेता और मजलिस बचाओ तहरीक के नेता अमजद उल्लाह खान ने ट्विटर पर तस्वीरें शेयर करते हुए भाजपा और आरएसएस पर आरोप लगाया है कि उनके कार्यकर्ताओं ने तेलंगाना के करीमनगर में जय श्री राम न बोलने पर एक मुस्लिम लड़के की पिटाई कर दी थी। इसे दूसरे सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा भी शेयर किया जा रहा है।

अमजद का ये आरोप बिल्कुल निराधार है, क्योंकि तेलंगाना के करीमनगर के पुलिस कमिश्नर ने मुस्लिम व्यक्ति का एक वीडियो शेयर करते हुए साफ किया कि उस लड़के को निजी कारणों की वजह से पिटाई की गई है। इसका कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।

उन्होंने बताया कि ये सांप्रदायिक मामला नहीं, बल्कि लव-स्टोरी का मामला है और पिछले कुछ दिनों से एक किशोर लड़की को परेशान करने के लिए लड़के को पीटा गया है। पुलिस ने उन 5 लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिन्होंने उसकी पिटाई की थी। इसके साथ ही, उस मुस्लिम लड़के के पिता ने ये भी बात स्वीकारी है कि इसमें उनके बेटे की गलती थी, जिसकी वजह से उसकी पिटाई की गई और उन्होंने इस बात के लिए माफी भी माँगी। साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि इस घटना का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था।

इस घटना की सच्चाई के सामने आने के बाद लोगों ने मामूली सी घटना को सांप्रदायिक रंग देकर नफरत फैलाने के लिए अमजद उल्लाह खान को निशाने पर ले लिया। लोगों ने उससे फेक खबर को डिलीट करने के लिए कहा।

आए दिन मामूली सी मारपीट की घटना को कुछ लोग सांप्रदायिक रंग देने का भरपूर प्रयास करते हैं। अभी पिछले दिनों 25 मई को गुरुवार की रात कथित तौर पर एक मुस्लिम युवक (बरकत अली) की टोपी फेंकने और जबरन जय श्री राम बुलवाने का मामला सामने आया था। मगर, जब पुलिस ने इसकी तहकीकात की, तो पता चला कि मुस्लिम युवक के साथ मारपीट हुई थी। लेकिन इस दौरान न तो किसी ने उसकी टोपी फेंकी और न ही उसकी शर्ट फाड़ी गई। जाँच के दौरान सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद ये बात निकल कर सामने आई कि दो युवकों के बीच कहासुनी के बाद हाथापाई हुई और इस दौरान मुस्लिम युवक की टोपी गिर गई, जिसे उसने खुद ही उठाकर अपनी जेब में रखा, किसी दूसरे ने उसकी टोपी को हाथ तक नहीं लगाया। इस मामले में भी पुलिस ने कहा था कि शराब के नशे में की गई मामूली सी मारपीट की घटना को कुछ असामाजिक तत्व सांप्रदायिकता का रंग देने का प्रयास कर रहे हैं।